
ब्यूरो रिपोर्ट
शिक्षक हंसराज तंवर : शिक्षा सेवा में मिसाल
शिक्षा जगत में कुछ नाम ऐसे होते हैं जो न केवल अपने पढ़ाने के तरीके से बल्कि समाज के लिए किए गए कार्यों से भी अमिट छाप छोड़ते हैं। शिक्षक हंसराज तंवर उन्हीं में से एक हैं। उन्होंने यह साबित किया कि सम्मान केवल शोभा बढ़ाने के लिए नहीं होता, बल्कि उसे समाज और बच्चों की प्रगति में भी लगाया जा सकता है।
5 सितंबर 2025 को जयपुर के बिड़ला सभागार में आयोजित राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में राज्य सरकार द्वारा शिक्षक हंसराज तंवर को कक्षा 1 से 5 वर्ग में उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उन्हें 21000 रुपये की सम्मान राशि दी गई।
शिक्षक हंसराज तंवर ने सम्मान राशि दान की
अक्सर सम्मान राशि को व्यक्तिगत उपयोग में लाया जाता है, लेकिन शिक्षक हंसराज तंवर ने यह राशि पूरी तरह ज्ञान संकल्प पोर्टल के माध्यम से छात्रहित में दान कर दी।

रा.उ.मा.वि. बीलोता (उप ब्लॉक उनियारा) को 10,000 रुपये
महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय बनेठा को 11,000 रुपये
इस तरह उन्होंने पूरी 21000 रुपये की राशि शिक्षा के उत्थान में लगा दी।
प्रेरणादायक कार्य की प्रशंसा
शिक्षक हंसराज तंवर के इस कदम की भूरि-भूरि प्रशंसा शिक्षकों और स्थानीय समुदाय ने की।
प्रधानाचार्य बजरंग लाल मीणा और फहाद सईद खान ने इसे एक प्रेरणादायक और अनुकरणीय कार्य बताया।
दोनों विद्यालयों के शिक्षक और विद्यार्थियों ने उनका अभिनंदन करते हुए साफा और माला पहनाकर सम्मानित किया।
पहले भी किया है योगदान
यह पहला अवसर नहीं है जब शिक्षक हंसराज तंवर ने सम्मान राशि का उपयोग समाजहित में किया हो। इससे पूर्व भी ब्लॉक और जिला स्तर पर उन्हें मिले सम्मानों की राशि उन्होंने विद्यालय की सुविधाओं के लिए दान की थी।
उनका मानना है कि शिक्षा तभी सार्थक है जब उससे समाज को लाभ पहुंचे। उनके प्रयास से विद्यालयों में बच्चों को बेहतर संसाधन उपलब्ध हो रहे हैं, जिससे उनका शैक्षिक विकास और अधिक सुगम बन रहा है।
क्यों है शिक्षक हंसराज तंवर का कार्य महत्वपूर्ण?
आज जब समाज में प्रतिस्पर्धा और निजी स्वार्थ की प्रवृत्ति बढ़ रही है, ऐसे समय में शिक्षक हंसराज तंवर का कार्य न केवल शिक्षा जगत के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
उन्होंने दिखाया कि सम्मान राशि केवल व्यक्ति की प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की मजबूती में भी योगदान दे सकती है।
छात्रहित में दान करने से बच्चों के भविष्य को सशक्त बनाने की राह प्रशस्त होती है।
इससे समाज में अन्य शिक्षक और लोग भी प्रेरित होकर इसी राह पर चल सकते हैं।
शिक्षक हंसराज तंवर : गांव और जिले का गौरव
बनेठा और बीलोता गांव के लोगों ने भी शिक्षक हंसराज तंवर के इस कदम को गर्व की बात बताया। बच्चों और ग्रामीणों ने ईश्वर से प्रार्थना की कि वे आगे भी इसी तरह कार्य करते रहें और गांव, विद्यालय तथा जिले का नाम रोशन करें।
शिक्षा सेवा में नई दिशा
आज के दौर में, जब शिक्षा केवल किताबों तक सीमित रह जाती है, वहां शिक्षक हंसराज तंवर ने यह उदाहरण दिया है कि शिक्षा का असली उद्देश्य बच्चों के सर्वांगीण विकास में निहित है।
उनका यह योगदान शिक्षा सेवा में एक नई दिशा देता है, क्योंकि उन्होंने अपने सम्मान को व्यक्तिगत उपलब्धि न मानकर सामाजिक जिम्मेदारी में बदल दिया।
शिक्षक हंसराज तंवर का यह कार्य स्पष्ट संदेश देता है कि अगर शिक्षक अपनी जिम्मेदारी और संवेदनशीलता को समझें तो शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव संभव हैं।
सम्मान राशि को बच्चों की शिक्षा और सुविधाओं के लिए समर्पित करना न केवल एक महान कदम है बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक आदर्श भी बनेगा।

परम सम्माननीय श्री हंसराज जी का शिक्षा के क्षेत्र में अतुल्य योगदान बहुत बहुत अच्छा है। किसी से सभी को एक मोटिवेशन मिलेगा ।