अयोध्या विस्फोट : पगलाभारी गांव में जोरदार धमाका, पांच की मौत – प्रशासन ने जांच तेज की

अयोध्या विस्फोट के बाद ध्वस्त मकान और राहत कार्य करते अधिकारी

चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

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🔴 अयोध्या विस्फोट से मचा कोहराम

अयोध्या जिले के पूराकलंदर इलाके के पगलाभारी गांव में गुरुवार शाम को हुए अयोध्या विस्फोट ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया। यह धमाका इतना तेज था कि एक पक्का मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गया और मलबे के ढेर में तब्दील हो गया। इस अयोध्या विस्फोट में पांच लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जिनमें तीन एक ही परिवार के थे।

मौके पर पहुंचे जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फुंडे ने हादसे की पुष्टि करते हुए बताया कि फरेंसिक टीम ने मौके से फटा हुआ कुकर और गैस सिलिंडर बरामद किया है। प्रारंभिक जांच में बारूद के इस्तेमाल की पुष्टि नहीं हुई, लेकिन गांववालों के बयान से यह शक गहरा गया है कि घर में अवैध पटाखे बनाने का कार्य चल रहा था।

अयोध्या विस्फोट के बाद ध्वस्त मकान और राहत कार्य करते अधिकारी
अयोध्या के पगलाभारी गांव में हुए विस्फोट के बाद मलबा हटाते राहतकर्मी

🔥 धमाके की भयावह तस्वीरें: 100 मीटर तक उड़े मलबे के टुकड़े

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, अयोध्या विस्फोट इतना जबर्दस्त था कि आसपास के घरों की दीवारें भी दरक गईं। धमाके की आवाज कई किलोमीटर दूर तक सुनाई दी। मलबा करीब 100 मीटर दूर तक फैल गया, जिससे आसपास के खेतों में भी ईंटों के टुकड़े बिखर गए।

गांव में मातम पसरा है। प्रशासन ने पूरे इलाके को घेरा बंदी कर लिया है ताकि कोई सबूत नष्ट न हो सके। एसएसपी, सीओ और दमकल विभाग की टीमें मौके पर डटी हैं।

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👨‍👩‍👧‍👦 मृतकों में एक ही परिवार के तीन सदस्य

जिला अस्पताल से मिली सूचना के अनुसार, अयोध्या विस्फोट में जिन पांच लोगों की मौत हुई है, उनमें रामकुमार कसौधन उर्फ पप्पू, उनकी बेटी ईशा, बेटा यश, और दो मजदूर शामिल हैं। पप्पू के परिवार के अन्य सदस्यों का अभी तक कोई पता नहीं चल पाया है।

मलबा हटाने का कार्य जारी है और एनडीआरएफ टीम को भी मौके पर बुलाया गया है ताकि किसी के जिंदा दबे होने की संभावना खत्म की जा सके।

⚙️ सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिए जांच और राहत के निर्देश

अयोध्या विस्फोट की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिलाधिकारी और पुलिस प्रशासन को त्वरित राहत और जांच के निर्देश दिए।

“अयोध्या में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना अत्यंत दुःखद है। प्रशासन को राहत एवं बचाव कार्य में तेजी लाने तथा घायलों के समुचित उपचार की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं।”

मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की और पीड़ित परिवारों को राजकीय सहायता देने का आश्वासन दिया।

🧪 फरेंसिक टीम की जांच – बारूद या सिलिंडर?

घटनास्थल पर मौजूद फरेंसिक एक्सपर्ट्स ने कहा कि प्रारंभिक जांच में गैस सिलिंडर ब्लास्ट की संभावना लगती है, लेकिन मौके से मिले फटे कुकर और धातु के टुकड़ों ने संदेह गहरा दिया है।

डीएम फुंडे ने बताया कि “अभी तक विस्फोट में बारूद की पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन हम हर एंगल से जांच कर रहे हैं — चाहे वह गैस लीक, कुकर फटना या पटाखों का अवैध निर्माण हो।”

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⚠️ अवैध पटाखों का कारोबार: गांववालों का बड़ा आरोप

स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि मृतक रामकुमार कसौधन के घर में लंबे समय से अवैध पटाखे बनाने का काम चल रहा था। त्योहारों के सीजन में वह घर में ही पटाखों का भंडारण करता था। ग्रामीणों का कहना है कि बारूद का इस्तेमाल स्थानीय स्तर पर किया जाता था और कोई लाइसेंस नहीं था।

“हमने कई बार पुलिस को सूचना दी थी कि पप्पू के घर में पटाखे बनते हैं, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। आज उसी लापरवाही ने पांच जिंदगियां निगल लीं।” – रामसूरत निषाद, ग्रामीण

अयोध्या विस्फोट ने प्रशासन की लापरवाही पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। पिछले साल भी इसी गांव में पटाखा विस्फोट में तीन लोगों की मौत हुई थी।

🚨 पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई तेज

धमाके के बाद अयोध्या पुलिस ने इलाके को सील कर दिया है। फरेंसिक टीम, बम निरोधक दस्ते और एसडीआरएफ की यूनिट को बुलाया गया है। घटना में एफआईआर दर्ज की जा रही है और अवैध पटाखा कारोबार की जांच के लिए विशेष टीम गठित की गई है।

एसएसपी ने कहा कि, “अयोध्या विस्फोट की जड़ तक हम जाएंगे। अगर किसी अधिकारी की लापरवाही या स्थानीय पुलिस की अनदेखी सामने आई तो सख्त कार्रवाई होगी।”

📜 पिछले साल भी हुआ था धमाका

गांववालों का कहना है कि पिछले वर्ष भी पगलाभारी में इसी तरह का धमाका हुआ था, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी। उस समय भी अवैध पटाखा निर्माण की बात सामने आई थी, लेकिन कार्रवाई आधी-अधूरी रह गई थी।

अयोध्या विस्फोट 2025 के बाद अब यह सवाल फिर उठ रहा है कि आखिर प्रशासन ने पहले की घटनाओं से सबक क्यों नहीं लिया?

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💔 मानवीय त्रासदी के बीच सवालों की बौछार

अयोध्या विस्फोट न केवल एक दर्दनाक हादसा है, बल्कि यह प्रशासनिक व्यवस्था पर गहरा प्रश्नचिन्ह है। जहाँ धार्मिक और पर्यटन दृष्टि से अयोध्या विश्वभर में अपनी पहचान बना रही है, वहीं इस तरह की घटनाएँ सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल उठाती हैं।

क्या गांव-गांव में चल रहे अवैध पटाखा निर्माण केंद्रों की निगरानी का कोई ठोस तंत्र है? क्या स्थानीय पुलिस केवल त्योहारों के मौसम में ही चौकसी करती है?

🧭 आगे की राह: प्रशासन के लिए सीख

अब जबकि अयोध्या विस्फोट में पांच जिंदगियाँ जा चुकी हैं, प्रशासन को चाहिए कि हर गांव में लाइसेंसविहीन पटाखा निर्माण की जांच की जाए, पुलिस गश्त और सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू किया जाए, और ग्रामीण जागरूकता अभियान चलाया जाए ताकि ऐसी घटनाएँ दोहराई न जाएं।

विशेषज्ञों का कहना है कि बारूद या गैस से जुड़ी हर गतिविधि को नियामक दायरे में लाना जरूरी है, वरना “अयोध्या विस्फोट जैसी त्रासदियाँ” फिर सामने आ सकती हैं।

अयोध्या विस्फोट ने खोली लापरवाही की परतें

अयोध्या विस्फोट सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि यह उस खतरनाक व्यवस्था का आईना है जहाँ अवैध गतिविधियाँ प्रशासन की आँखों के सामने पनप रही हैं। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यह त्रासदी केवल आंकड़ों में नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं की कब्रगाह बन जाएगी।

सरकार और स्थानीय प्रशासन को अब केवल राहत नहीं, बल्कि रोकथाम की ठोस नीति अपनानी होगी ताकि अयोध्या विस्फोट जैसी घटनाएँ भविष्य में दोबारा न हों।

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