ब्रज की दीपावली : प्रेम, भक्ति और उल्लास का दिव्य संगम

हिमांशु मोदी की रिपोर्ट

समाचार दर्पण 24.कॉम की टीम में जुड़ने का आमंत्रण पोस्टर, जिसमें हिमांशु मोदी का फोटो और संपर्क विवरण दिया गया है।
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250922_085217_0000
Schools Poster in Light Pink Pink Illustrative Style_20250922_085125_0000
Blue Pink Minimalist Modern Digital Evolution Computer Presentation_20250927_220633_0000
Red and Yellow Minimalist Truck Services Instagram Post_20251007_223120_0000
Red and Black Corporate Breaking News Instagram Post_20251009_105541_0000
समाचार दर्पण 24 टीम जॉइनिंग पोस्टर – राजस्थान जिला ब्यूरो आमंत्रण
Light Blue Modern Hospital Brochure_20251017_124441_0000
IMG-20251019-WA0014
Picsart_25-10-21_19-52-38-586
previous arrow
next arrow

भारत में दीपावली केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह अंधकार से प्रकाश की, अज्ञान से ज्ञान की और अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। किंतु जब दीपावली ब्रजभूमि में आती है, तो इसका रूप अलौकिक और रसभरा हो जाता है। ब्रज की धरती पर दीपावली का अर्थ है – श्रीकृष्ण की लीलाओं में रम जाना, प्रेम के दीप जलाना और भक्ति के रंगों में नहाना।

ब्रजभूमि: जहां हर कण में बसी है कृष्ण की लीलाएं

ब्रज मंडल – जिसमें मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन, नंदगांव, बरसाना, गोकुल, राधाकुंड और बल्देव जैसे पवित्र स्थल आते हैं – केवल भौगोलिक क्षेत्र नहीं है। यह वह भूमि है जहां कृष्ण ने बचपन की लीलाएं कीं, गोपियों संग रास रचाया और यशोदा के स्नेह में लिपटे। हर धूलकण में “राधे-कृष्ण” का नाम गूंजता है।

इसे भी पढें  हिमांशी ने जीता सिल्वर — बेरा स्पीड स्केटिंग अकादमी के खिलाड़ियों ने 11वीं यूपी स्टेट चैंपियनशिप में चमक बिखेरी

मथुरा की दीपावली: श्रीकृष्ण जन्मभूमि का आलोक पर्व

मथुरा में दीपावली का आरंभ कार्तिक कृष्ण पक्ष से होता है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर हजारों दीपों, झालरों और फूलों से सजाया जाता है। श्रद्धालु “जय कन्हैया लाल की” के जयघोष के साथ दीप प्रज्ज्वलित करते हैं। गलियों में दीपों की कतारें एक सजीव ज्योति-रेखा प्रतीत होती हैं।

वृंदावन की दीपावली: रासलीला और भक्ति की पराकाष्ठा

वृंदावन में दीपावली केवल एक रात्रि का उत्सव नहीं, बल्कि भक्ति-प्रवाह है। बांके बिहारी मंदिर, राधा रमण मंदिर और इस्कॉन मंदिर में दीपमालाओं की सजावट होती है। भक्त “हरि नाम संकीर्तन” में लीन हो जाते हैं। यमुना तट पर दीपों की लहरें आध्यात्मिक आनंद का अनुभव कराती हैं।

गोवर्धन पूजा: दीपावली के अगले दिन ब्रज का अनूठा उत्सव

दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा मनाई जाती है। इस दिन गोवर्धन पर्वत की प्रतिकृति को गोबर, मिट्टी और फूलों से सजाया जाता है। श्रद्धालु सात प्रदक्षिणाएं करते हुए “गोवर्धन महाराज की जय” का जयघोष करते हैं। यह पर्व प्रकृति के प्रति आभार और भक्ति का प्रतीक है।

इसे भी पढें  नपेंगे दबंग भू माफिया : चित्रकूट में मंदिर और अस्पताल की जमीन पर अवैध कब्जा उजागर, कार्यवाही शुरू

बरसाना की दीपावली: राधा रानी के नगर में रास और रोशनी

बरसाना में दीपावली के अवसर पर रासलीला और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है। राधा रानी मंदिर में दीपों की श्रृंखला और झांकियां श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देती हैं।

गोकुल और नंदगांव: मातृस्नेह और ग्रामीण उल्लास

गोकुल और नंदगांव में दीपावली पारंपरिक और ग्रामीण स्वरूप में मनाई जाती है। महिलाएं आंगनों में गोबर और मिट्टी से श्रीकृष्ण के चरणों के चिन्ह बनाती हैं। दीपक और भजन-कीर्तन से पूरा वातावरण भक्ति और उल्लास से भर जाता है।

यमद्वितीया: भाई-बहन के स्नेह का ब्रज संस्करण

दीपावली के पांचवें दिन भाई दूज या यमद्वितीया मनाई जाती है। बहनें यमुना तट पर दीप जलाती हैं और अपने भाइयों के लिए स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना करती हैं।

दीपदान की परंपरा: यमुना और मन के तट पर उजाला

ब्रज की दीपावली में हजारों दीपक यमुना तट पर प्रवाहित किए जाते हैं। यह न केवल नदी में दीप बहाने का प्रतीक है, बल्कि मन के अंधकार को दूर करने का भी संदेश है।

इसे भी पढें  आओ विद्यालय में खोजें नन्हे कलाम — विज्ञान नवाचार सप्ताह में बच्चों ने दिखाया विज्ञान का कमाल

अंतिम संदेश: ब्रज की दीपावली, मन का उजाला

ब्रज की दीपावली केवल एक पर्व नहीं, बल्कि ईश्वर और मानव के बीच प्रेम का सेतु है। दीपावली का असली अर्थ है – दिल में प्रेम और भक्ति का दीप जलाना।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

ब्रज की दीपावली किसके लिए प्रसिद्ध है?
ब्रज की दीपावली श्रीकृष्ण की लीलाओं, रास-रंग, यमुना तट पर दीपदान और गहरे भक्ति-परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ का उत्सव भौतिक सजावट से बढ़कर आध्यात्मिक अनुभव बन जाता है।
गोवर्धन पूजा कब मनाई जाती है?
गोवर्धन पूजा सामान्यतः दीपावली के अगले दिन मनाई जाती है। इस दिन लोग गोवर्धन पर्वत की प्रतिकृति सजाते, पूजा करते और गोवर्धन महाराज की आराधना करते हैं।
बरसाना में दीपावली कैसे मनाई जाती है?
बरसाना में रासलीला, भजन-कीर्तन और राधा रानी मंदिर की विशेष दीप सजावट के माध्यम से दीपावली मनाई जाती है। यहाँ का लोकनृत्य-संगीत और झांकियाँ विशेष आकर्षण होती हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »
Scroll to Top