कामां नगर को उसके प्राचीन और पौराणिक नाम कामवन के रूप में पुनः स्थापित करने की मांग अब एक संगठित जनआंदोलन का रूप लेती जा रही है। यह मुहिम अब केवल सामाजिक संगठनों या व्यापारिक संस्थाओं तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसमें महिलाओं की सक्रिय और वैचारिक भागीदारी भी स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगी है। इसी क्रम में खंडेलवाल महिला मंडल राधे की पदाधिकारियों एवं महिला सदस्यों ने उपखण्ड अधिकारी कार्यालय पहुंचकर मुख्यमंत्री महोदय के नाम एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा।
महिलाओं की भागीदारी से आंदोलन को मिला नया आयाम
खंडेलवाल महिला मंडल राधे की अध्यक्ष आयुषी खंडेलवाल ने ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि कामां का नाम बदलकर कामवन किया जाना केवल प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि इस नगरी की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को पुनर्जीवित करने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि महिलाएं भी चाहती हैं कि आने वाली पीढ़ियां अपने नगर के गौरवशाली अतीत से जुड़ सकें और उसकी वास्तविक पहचान को समझ सकें।
महिला मंडल का मानना है कि कामां वह भूमि है, जिसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में कामवन के नाम से मिलता है। समय के साथ नाम में आया परिवर्तन इस नगरी के ऐतिहासिक महत्व को धूमिल करता गया, जिसे अब सुधारा जाना आवश्यक है।
पौराणिक ग्रंथों में कामवन का स्पष्ट उल्लेख
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि विष्णु पुराण और गर्ग संहिता जैसे प्राचीन ग्रंथों में इस क्षेत्र का उल्लेख कामवन के रूप में मिलता है। मान्यता है कि यही वह पावन भूमि है, जहां भगवान श्रीकृष्ण का बाल्यकाल व्यतीत हुआ। बृज परंपरा में कामवन को एक प्रमुख वन और लीला स्थल के रूप में जाना जाता है।
ज्ञापन सौंपने में शामिल रहीं प्रमुख महिलाएं
मुख्यमंत्री के नाम सौंपे गए ज्ञापन में प्रमुख रूप से ललिता तमोलिया (जिला अध्यक्ष, खंडेलवाल समाज), आयुषी खंडेलवाल (अध्यक्ष), अनीता सोंखिया (उपाध्यक्ष), अंजू कथूरिया (कोषाध्यक्ष), राजरानी नाटाणी, लता तमोलिया, सुधा तमोलिया, सीमा पाटोदिया, तारा पीतलिया, राजबाला खंडेलवाल सहित अनेक महिला सदस्य उपस्थित रहीं।
लगातार बढ़ रहा है जनसमर्थन
कामां को कामवन बनाने की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से लगातार विभिन्न समाजों, व्यापारिक संगठनों और सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा ज्ञापन सौंपे जा रहे हैं। स्थानीय बृजवासियों का कहना है कि यह पहली बार है जब नगर के सभी वर्ग एक ही मुद्दे पर एकजुट दिखाई दे रहे हैं।
विधायक और प्रशासन का रुख
इस पूरे आंदोलन को लेकर क्षेत्रीय विधायक नौक्षम चौधरी ने भी हरसंभव सहयोग का ठोस आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा है कि वे स्वयं भी इस विषय को उच्च स्तर तक पहुंचाने के प्रयास कर रहे हैं। वहीं, उपखण्ड अधिकारी सुभाष यादव को अब तक मुख्यमंत्री के नाम दर्जनों ज्ञापन सौंपे जा चुके हैं।
अब तक सौंपे गए ज्ञापनों का क्रम
- 08 दिसंबर 2025 – अपनाघर सेवा समिति, इकाई कामवन
- 09 दिसंबर 2025 – स्वर्णकार समाज, कामां
- 10 दिसंबर 2025 – खंडेलवाल समाज, कामां
- 11 दिसंबर 2025 – व्यापार महासंघ
- 12 दिसंबर 2025 – पंजाबी राजपूत समाज
- 15 दिसंबर 2025 – खंडेलवाल महिला मंडल राधे
- मंदिर श्री राधावल्लभ जी, कामवन
- 16 दिसंबर 2025 – ब्रजवाणी साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, कामवन
खंडेलवाल महिला मंडल राधे की इस पहल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कामवन की मांग अब केवल एक प्रशासनिक विषय नहीं, बल्कि समाज की सांस्कृतिक और भावनात्मक आकांक्षा बन चुकी है। अब सभी की निगाहें सरकार के निर्णय पर टिकी हैं। बृजवासियों को उम्मीद है कि उनकी यह एकजुट आवाज जल्द ही सकारात्मक परिणाम लेकर आएगी।
❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
कामां का नाम कामवन क्यों किया जाना चाहिए?
क्योंकि पौराणिक ग्रंथों जैसे विष्णु पुराण और गर्ग संहिता में इस नगरी का उल्लेख कामवन के नाम से मिलता है और यह बृज क्षेत्र की ऐतिहासिक पहचान से जुड़ा है।
इस मांग को कौन-कौन समर्थन दे रहा है?
इस मांग को विभिन्न समाजों, व्यापारिक संगठनों, धार्मिक संस्थाओं, साहित्यिक मंचों और अब महिला संगठनों का व्यापक समर्थन मिल रहा है।
क्या प्रशासन ने इस पर कोई प्रतिक्रिया दी है?
उपखण्ड अधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम दर्जनों ज्ञापन सौंपे जा चुके हैं और विधायक स्तर पर भी इस विषय को आगे बढ़ाने का आश्वासन दिया गया है।






