
रिपोर्ट: हिमांशु मोदी
भरतपुर (राजस्थान)। राजस्थान सरकार ने भरतपुर पंचायत समिति वैर के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत हतीजर में गंभीर अनियमितताओं पर बड़ी कार्रवाई की है। शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने जांच रिपोर्ट के आधार पर अधिकारियों को निलंबित करने और सरपंच को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं।
शिकायत मिलने पर गठित राज्य स्तरीय जांच समिति ने पाया कि ग्राम पंचायत हतीजर में राजकीय कार्यों का संपादन नियमानुसार नहीं किया गया था। इस मामले में समिति ने ग्राम विकास अधिकारी भूपेंद्र सिंह, कार्यवाहक विकास अधिकारी रतन सिंह गुर्जर और सरपंच मीना को जिम्मेदार ठहराया।
राजस्थान में पंचायत प्रशासन पर सख्त सरकार
भरतपुर पंचायत में सामने आए इस मामले ने राजस्थान सरकार को पंचायत स्तर की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाने पर मजबूर किया है। मदन दिलावर ने कहा कि सरकार किसी भी प्रकार की लापरवाही या भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि पंचायती राज विभाग की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए कठोर कदम उठाए जाएंगे।
सरकार का यह कदम न केवल भरतपुर पंचायत बल्कि राज्य की अन्य ग्राम पंचायतों के लिए भी चेतावनी है कि सरकारी कार्यों में अनियमितता करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी।
राज्य स्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट
राज्य स्तरीय जांच टीम ने हतीजर ग्राम पंचायत के कई परियोजनाओं और विकास कार्यों का निरीक्षण किया। जांच में पाया गया कि कई कार्य अधूरे पड़े हैं और खर्च का हिसाब पारदर्शी नहीं है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ग्राम विकास अधिकारी और कार्यवाहक विकास अधिकारी ने प्रशासनिक नियमों की अवहेलना की।
इन कमियों के मद्देनजर शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दोनों अधिकारियों को निलंबित कर दिया और सरपंच मीना को “कारण बताओ” नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।
भरतपुर पंचायत की निगरानी बढ़ाई जाएगी
भरतपुर जिला प्रशासन को आदेश दिए गए हैं कि ग्राम पंचायत स्तर पर हर सरकारी योजना और विकास कार्य की निगरानी सख्ती से की जाए। राजस्थान सरकार ने इस घटना के बाद नई निगरानी समिति गठित करने पर भी विचार शुरू कर दिया है।
इस समिति का उद्देश्य राज्य के प्रत्येक ब्लॉक और पंचायत क्षेत्र में प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूत करना होगा। मुख्यमंत्री कार्यालय ने भी इस कार्रवाई का समर्थन करते हुए यह कहा कि भरतपुर पंचायत की यह घटना राज्य की शासन व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
जनता की प्रतिक्रिया और स्थानीय माहौल
ग्राम पंचायत हतीजर के ग्रामीणों ने इस कार्रवाई का स्वागत किया है। उनका कहना है कि इससे भविष्य में किसी भी ग्राम विकास अधिकारी या सरपंच को नियमों की अनदेखी करने से पहले कई बार सोचना पड़ेगा।
स्थानीय लोगों ने यह उम्मीद भी जताई कि राजस्थान सरकार अब पंचायतों में पारदर्शिता और जवाबदेही कायम करने के लिए निरंतर प्रयास करेगी ताकि विकास कार्यों का लाभ सीधे जनता तक पहुंचे।
राजस्थान सरकार की सख्त नीति
मदन दिलावर ने स्पष्ट किया कि भविष्य में पंचायतों में किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार, अनियमितता या लापरवाही के मामले में संबंधित अधिकारियों और निर्वाचित प्रतिनिधियों पर न केवल निलंबन बल्कि विभागीय कार्रवाई और कानूनी दंड भी लगाया जाएगा।
उनके अनुसार, पंचायती राज मंत्री कार्यालय लगातार शिकायतों की मॉनिटरिंग कर रहा है और अब तक प्रदेश भर में 16 से अधिक सीसीए कार्यवाही की जा चुकी हैं। इनमें अधिकांश शिकायतें ग्राम पंचायत स्तर की हैं।
पंचायती राज प्रणाली में पारदर्शिता का नया अध्याय
भरतपुर पंचायत में हुई इस कार्रवाई को राजस्थान सरकार द्वारा लागू की जा रही नई “शून्य सहिष्णुता नीति” का हिस्सा माना जा रहा है। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि राजकीय योजनाओं का लाभ जनता तक पहुंचे और किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार या गड़बड़ी बर्दाश्त न की जाए।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी कार्रवाईयों से ग्राम पंचायत स्तर पर जवाबदेही और प्रशासनिक अनुशासन में सुधार होगा। इससे भरतपुर पंचायत के साथ-साथ पूरे राज्य में जनविश्वास और शासन पारदर्शिता को बल मिलेगा।
राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में ग्राम विकास और पंचायती राज व्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए यह कदम एक मिसाल बन सकता है।
रिपोर्ट: हिमांशु मोदी, भरतपुर से