शिशु संजीवनी कार्यक्रम: कामां के वार्ड 20 में बच्चों और माताओं को मिला स्वस्थ जीवन का संदेश

कामां में आयोजित शिशु संजीवनी कार्यक्रम में महिलाएं और बच्चे

 शिशु संजीवनी कार्यक्रम कामां के वार्ड 20 में 

 

🔴 हिमांशु मोदी की रिपोर्ट

🌿 कामां में “शिशु संजीवनी कार्यक्रम” ने जगाई नई स्वास्थ्य चेतना

राजस्थान के भरतपुर जिले के कामां क्षेत्र के वार्ड नंबर 20 और 23 में स्थित नंदघर केंद्रों पर शिशु संजीवनी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह विशेष आयोजन महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित अनिल अग्रवाल फाउंडेशन और अर्पण सेवा संस्थान के संयुक्त प्रयास से संपन्न हुआ।

इस शिशु संजीवनी कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में कुपोषण की रोकथाम, पोषण जागरूकता और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना रहा।

👩‍🍼 महिलाओं और बच्चों के लिए प्रेरणादायी पहल

इस शिशु संजीवनी कार्यक्रम का संचालन अर्पण सेवा संस्थान की सुपरवाइजर नेहा तिवारी ने किया। इस मौके पर परशुराम जी और किरन जीकिया विशेष रूप से उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिकाएं और बड़ी संख्या में बच्चों व महिलाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

बच्चों को पौष्टिक आहार के महत्व की जानकारी दी गई, वहीं माताओं को संतुलित भोजन, स्वच्छता और नियमित स्वास्थ्य जांच के प्रति जागरूक किया गया।

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🍎 “शिशु संजीवनी कार्यक्रम” ने दी पोषण और स्वास्थ्य की नई दिशा

कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने बताया कि शिशु संजीवनी कार्यक्रम केवल एक आयोजन नहीं बल्कि समाज में बदलाव की शुरुआत है।

यह पहल माताओं को यह समझाने का प्रयास करती है कि संतुलित आहार न केवल बच्चों के शारीरिक विकास बल्कि मानसिक वृद्धि के लिए भी आवश्यक है।

महिलाओं को आंगनबाड़ी केंद्रों से जुड़ने, टीकाकरण, आयरन-फोलिक एसिड की खुराक, और नियमित वजन जांच कराने की सलाह दी गई।

💬 विशेषज्ञों ने दी जानकारी — “कुपोषण से लड़ने में शिशु संजीवनी कार्यक्रम अहम”

अर्पण सेवा संस्थान की सुपरवाइजर नेहा तिवारी ने कहा कि “शिशु संजीवनी कार्यक्रम के माध्यम से समाज के हर वर्ग तक पोषण का संदेश पहुंचाया जा रहा है।

यह कार्यक्रम बच्चों में कुपोषण, रक्ताल्पता, और विकास रुकने जैसी समस्याओं के खिलाफ जनजागरूकता बढ़ाने में मील का पत्थर साबित हो रहा है।”

परशुराम जी ने कहा कि “एक स्वस्थ समाज की नींव मजबूत माताओं पर निर्भर है। शिशु संजीवनी कार्यक्रम ऐसी ही माताओं को प्रेरित कर रहा है कि वे अपने बच्चों को उचित पोषण और देखभाल दें।”

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🌸 नंदघर केंद्रों पर खुशियां और सीख का संगम

वार्ड 20 और ग्राम इन्द्रौली तथा छिछरवाड़ी के नंदघर केंद्रों पर आयोजित इस शिशु संजीवनी कार्यक्रम में बच्चों ने रंगोली, गीत, और स्वास्थ्य-थीम आधारित गतिविधियों में हिस्सा लिया।

इन कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों ने सीखा कि पोषणयुक्त आहार, दूध, फल-सब्जियां, और स्वच्छ पानी स्वस्थ जीवन के लिए कितने जरूरी हैं।

इस अवसर पर महिलाओं को “सुपोषण थाली” और स्वास्थ्य पुस्तिकाएं भी वितरित की गईं। 

🧡 समाज में स्वास्थ्य क्रांति की पहल बना “शिशु संजीवनी कार्यक्रम”

महिला एवं बाल विकास विभाग की इस पहल का उद्देश्य केवल पोषण पर जोर देना नहीं, बल्कि ग्रामीण समाज में सामुदायिक भागीदारी बढ़ाना है।

शिशु संजीवनी कार्यक्रम के जरिए यह संदेश दिया गया कि कुपोषण से लड़ना केवल सरकार का नहीं, बल्कि पूरे समाज का दायित्व है।

कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि स्वस्थ बच्चे ही स्वस्थ राष्ट्र की नींव होते हैं, और हर मां को यह समझना चाहिए कि उसका थोड़ा-सा ध्यान भविष्य की पीढ़ी को संजीवनी दे सकता है।

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🌼 “शिशु संजीवनी कार्यक्रम” — स्वस्थ भारत की मजबूत कड़ी

कामां में आयोजित यह शिशु संजीवनी कार्यक्रम स्थानीय लोगों के लिए प्रेरणादायक साबित हुआ।

इसने यह साबित किया कि यदि समाज, सरकार और संस्थान एकजुट हों, तो कुपोषण मुक्त भारत का सपना साकार किया जा सकता है।

इस कार्यक्रम से न केवल महिलाओं में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ी, बल्कि बच्चों को भी स्वच्छता और पोषण के महत्व का बोध हुआ।

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