
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पंचायत चुनावों से पहले ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ऐतिहासिक कदम उठाने जा रही है। राज्य सरकार अब ग्राम पंचायतों को आधार बनाने का अधिकार देने की तैयारी में है। इस फैसले से ग्रामीण जनता को अपने ही गांव में आधार कार्ड बनवाने और बायोमीट्रिक अपडेट कराने की सुविधा मिलेगी। इससे न केवल ग्रामीणों को सुविधा मिलेगी बल्कि पंचायतों की आय में भी वृद्धि होगी।
मुख्यमंत्री योगी सरकार और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के बीच इस दिशा में तेजी से काम चल रहा है। 18 नवंबर को दोनों के बीच एमओयू (MOU) पर हस्ताक्षर किया जाएगा। पहले चरण में 57 हजार ग्राम पंचायतों में से लगभग 2,500 ग्राम पंचायतों को यह अधिकार दिए जाने की योजना है।
ग्राम पंचायतों को आधार बनाने का अधिकार मिलने से क्या बदलेगा?
अब तक आधार कार्ड बनाने और बायोमीट्रिक अपडेट की सुविधा केवल बैंकों, डाकघरों और कुछ चुनिंदा जनसुविधा केंद्रों तक सीमित थी। लेकिन अब जब ग्राम पंचायतों को आधार बनाने का अधिकार मिलेगा, तो ग्रामीणों को अपने गांव में ही यह सेवा प्राप्त होगी। इसका सीधा लाभ लाखों ग्रामीण परिवारों को मिलेगा जिन्हें अब आधार केंद्र तक जाने की आवश्यकता नहीं होगी।
इसके साथ ही ग्राम पंचायतों की आर्थिक स्वावलंबन में भी यह कदम मील का पत्थर साबित होगा। प्रत्येक आधार रजिस्ट्रेशन और अपडेट पर पंचायतों को निर्धारित शुल्क मिलेगा, जिससे उनकी आमदनी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी।
पहले चरण में 2,500 ग्राम पंचायतों को मिलेगा अधिकार
पंचायतीराज विभाग ने पहले चरण में प्रदेश की 57,000 पंचायतों में से करीब 2,500 पंचायतों को चुना है। इन पंचायतों के चयन का आधार उनके पास मौजूद संसाधन होंगे — जैसे कंप्यूटर, स्कैनर, इंटरनेट कनेक्टिविटी और पावर बैकअप।
लखनऊ जिले की 97 ग्राम पंचायतों के नाम इस सूची में प्रस्तावित किए गए हैं। इन पंचायतों में आवश्यक तकनीकी संसाधन मौजूद हैं और इनके पंचायत सहायकों को UIDAI द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
पंचायत सहायकों को मिलेगा विशेष प्रशिक्षण
ग्राम पंचायतों को आधार बनाने का अधिकार देने से पहले सरकार ने एक सुनियोजित प्रशिक्षण योजना तैयार की है। पहले बैच में 1,000 पंचायत कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद एक तीसरी एजेंसी इनके ज्ञान का मूल्यांकन करेगी।
जो पंचायत सहायक यह परीक्षा पास करेंगे, उन्हें ही UIDAI लॉगिन आईडी और अधिकार जारी किए जाएंगे। प्रशिक्षण की निगरानी खुद UIDAI उप महानिदेशक प्रशांत कुमार सिंह कर रहे हैं।
ग्राम सचिवालयों में बनेगा ‘आधार केंद्र’
योगी सरकार के इस निर्णय से ग्राम सचिवालय अब सिर्फ प्रशासनिक कार्यालय नहीं रहेंगे, बल्कि ये ग्रामीण डिजिटल सेवाओं के केंद्र बन जाएंगे। पंचायत सहायकों के माध्यम से ग्राम सचिवालयों में आधार कार्ड बनवाने, डेमोग्राफिक और बायोमीट्रिक अपडेट की सुविधा मिलेगी।
इससे ग्रामीणों को जन्म, मृत्यु प्रमाणपत्र के साथ-साथ अब आधार कार्ड जैसी आवश्यक सेवा भी गांव स्तर पर ही मिलेगी।
आधार सेवाओं की तय फीस (UIDAI Fee Structure)
- नाम, पता, उम्र, जेंडर, मोबाइल नंबर या ईमेल जैसे डेमोग्राफिक सुधार – ₹75
- फोटो, फिंगरप्रिंट, आइरिस जैसे बायोमीट्रिक अपडेशन – ₹125
- 5 से 17 वर्ष तक के बच्चों का बायोमीट्रिक अपडेट निशुल्क होगा।
यह राशि पंचायतों के खाते में सीधे जमा होगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
संसाधन संपन्न पंचायतों को मिलेगा पहला मौका
पंचायतीराज विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि पहले चरण में वही ग्राम पंचायतें चुनी जाएंगी जिनके पास आधार केंद्र चलाने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं। जिन पंचायतों के सचिवालयों में कंप्यूटर, स्कैनर, बिजली बैकअप और इंटरनेट की सुविधा है, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी।
डीपीआरओ जितेंद्र कुमार ने बताया कि लखनऊ जिले के पंचायत सहायकों को दूसरे बैच में प्रशिक्षण दिया जाएगा, और उनकी पंचायतें पहले चरण में अधिकार प्राप्त करने की सूची में शामिल की जा सकती हैं।
गांव में ही पूरी होगी पहचान की जरूरत
ग्राम पंचायतों को आधार बनाने का अधिकार मिलने के बाद अब ग्रामीणों को शहर या कस्बों तक नहीं जाना पड़ेगा। पंचायत स्तर पर ही आधार कार्ड बनवाने, संशोधन कराने, और बच्चों का बायोमीट्रिक अपडेट करने जैसी सेवाएं आसानी से मिलेंगी।
इससे न केवल समय और धन की बचत होगी, बल्कि डिजिटल इंडिया मिशन को भी नया बल मिलेगा।
UIDAI और पंचायत विभाग के बीच समझौता
18 नवंबर को UIDAI और पंचायत विभाग के बीच एक औपचारिक MOU पर हस्ताक्षर होंगे। इसके बाद पंचायतों को अधिकार सौंपने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
UIDAI के उप महानिदेशक प्रशांत कुमार सिंह ने कहा, “हम चाहते हैं कि ग्रामीणों को आधार सेवाओं के लिए अपने गांव से बाहर न जाना पड़े। पंचायतों को सशक्त बनाकर हम इस लक्ष्य को पूरा करेंगे।”
ग्राम पंचायतों की भूमिका और डिजिटल स्वावलंबन
यह योजना न केवल ग्रामीण विकास की दिशा में बल्कि डिजिटल स्वराज की ओर भी एक महत्वपूर्ण कदम है। पंचायतें अब केवल प्रशासनिक इकाई नहीं रहेंगी बल्कि डिजिटल सेवाओं का प्रमुख केंद्र बन जाएंगी।
आधार बनाने की जिम्मेदारी मिलने से पंचायत सहायकों की भूमिका भी अहम हो जाएगी, जिससे स्थानीय रोजगार में वृद्धि होगी। यह निर्णय ग्रामीण भारत में ई-गवर्नेंस के विस्तार की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
🔹 निष्कर्ष
योगी सरकार का यह निर्णय न केवल पंचायतों की शक्तियों को बढ़ाने वाला है, बल्कि यह ग्रामीण जनता को सरकारी सेवाओं से सीधे जोड़ने का भी माध्यम बनेगा। ग्राम पंचायतों को आधार बनाने का अधिकार मिलने से ग्रामीण भारत में डिजिटल क्रांति की नई शुरुआत होगी।
📌 क्लिक करें और जानें – सवाल-जवाब
1. क्या अब हर ग्राम पंचायत में आधार कार्ड बनाया जा सकेगा?
पहले चरण में केवल 2,500 ग्राम पंचायतों को यह अधिकार दिया जा रहा है। आगे चलकर सभी पंचायतों को यह सुविधा मिलेगी।
2. ग्राम पंचायतों में आधार कार्ड बनाने की फीस कितनी होगी?
UIDAI के अनुसार, डेमोग्राफिक सुधार के लिए ₹75 और बायोमीट्रिक अपडेट के लिए ₹125 निर्धारित किए गए हैं।
3. ग्राम पंचायतों को अधिकार कब तक मिलेगा?
UIDAI और पंचायत विभाग के बीच 18 नवंबर को एमओयू साइन होने के बाद प्रक्रिया शुरू होगी।
4. क्या बच्चों का बायोमीट्रिक अपडेट भी पंचायतों में होगा?
हां, 5 से 17 वर्ष तक के बच्चों का बायोमीट्रिक अपडेट निशुल्क ग्राम पंचायतों में किया जाएगा।









