
भीम आर्मी जिला संयोजक की दबंगई
संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट। भीम आर्मी भारत एकता मिशन, जो स्वयं को समाज के शोषितों, वंचितों और पिछड़े तबकों की आवाज बताता है, इन दिनों चित्रकूट जिले में विवादों के केंद्र में है। संगठन के भीम आर्मी जिला संयोजक पर गुंडा टैक्स वसूली, घर में घुसकर मारपीट और महिलाओं व बच्चियों से अभद्रता जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। पीड़ित ने सदर कोतवाली में शिकायत दर्ज कराते हुए न्याय की गुहार लगाई है, जिसके बाद पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है।
भीम आर्मी जिला संयोजक पर गुंडा टैक्स वसूली का आरोप
पीड़ित प्रियांशु पुत्र स्वर्गीय नरेश कुमार ने सदर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक कर्वी को दिए गए शिकायती पत्र में बताया कि भीम आर्मी जिला संयोजक संजय गौतम ने अपने साथियों के साथ मिलकर उसके घर में घुसकर न केवल गाली-गलौज और मारपीट की, बल्कि उसकी दादी और बहन के साथ भी अभद्रता की।
पीड़ित का कहना है कि 5 अक्टूबर 2025 की रात वह काम से लौटकर घर आया ही था कि भीम आर्मी जिला संयोजक संजय गौतम, सिद्धार्थ वर्मा, कोमल सूर्यवंशी व अन्य पांच लोग जबरन उसके घर में घुस गए और जान से मारने की धमकी दी।
भीम आर्मी जिला संयोजक ने कहा — “मैं रावण का आदमी हूं, मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता”
प्रियांशु के अनुसार जब उसने विरोध किया तो भीम आर्मी जिला संयोजक संजय गौतम ने अपने पद और राजनीतिक संबंधों का भय दिखाते हुए कहा कि वह चंद्रशेखर आजाद रावण का करीबी है, एसपी और डीएम “जेब में” हैं, इसलिए उसका कोई कुछ नहीं कर सकता।
इस कथन के बाद स्थानीय लोगों में भारी दहशत फैल गई है। पीड़ित परिवार का कहना है कि आरोपी खुद को भीम आर्मी जिला संयोजक बताकर संगठन के नाम पर लोगों से जबरन वसूली कर रहा है और विरोध करने वालों को फर्जी मामलों में फंसाने की धमकी देता है।
कांशीराम आवास में ‘गुंडा टैक्स’ का आतंक
कांशीराम आवास लोढ़वारा में रह रहे कई परिवारों का आरोप है कि भीम आर्मी जिला संयोजक संजय गौतम ने कालोनी में आतंक का माहौल बना रखा है।
वह खुद एक आवास पर अवैध कब्जा जमाए हुए है और कालोनी के निवासियों से कहता है कि “अगर पंडितों और यादवों को यहां रहना है तो टैक्स देना पड़ेगा, क्योंकि यह कालोनी बहन मायावती जी की है।”
यह कथन स्थानीय स्तर पर जातिगत तनाव फैलाने वाला माना जा रहा है। कई परिवारों ने बताया कि भीम आर्मी जिला संयोजक और उसके साथी संगठन के नाम पर वसूली कर रहे हैं।
महिलाओं और बच्चियों से अभद्रता के आरोप
पीड़ित प्रियांशु की शिकायत में यह भी दर्ज है कि जब उसकी छोटी बहन उसे बचाने आई तो भीम आर्मी जिला संयोजक संजय गौतम और उसके सहयोगियों ने उसके साथ भी गलत हरकत की।
पुलिस के मौके पर पहुंचने पर आरोपी की पत्नी ने स्वयं स्पष्ट किया कि “हिमांशु ने कभी मुझे नहीं छेड़ा”, जिसके बाद पुलिस चली गई।
लेकिन पुलिस के जाने के बाद भीम आर्मी जिला संयोजक ने फिर धमकी दी कि यदि शिकायत की तो पूरे परिवार को झूठे केस में फंसा दिया जाएगा।
भीम आर्मी जिला संयोजक की धमकी से दहशत में लोग
कांशीराम आवास में रहने वाले निवासियों के अनुसार, भीम आर्मी जिला संयोजक की दबंगई इतनी बढ़ गई है कि अब लोग अपने घरों से बाहर निकलने से भी डरते हैं।
पीड़ित ने अपने प्रार्थना पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा है कि अगर प्रशासन ने तत्काल कार्यवाही नहीं की, तो वह और उसका परिवार किसी भी बड़ी अनहोनी का शिकार हो सकते हैं।
भीम आर्मी जिला संयोजक ने पलटवार में खुद लिखा शिकायती पत्र
जानकारी के अनुसार, अपने ऊपर लगे आरोपों को छिपाने और बचाव के लिए भीम आर्मी जिला संयोजक संजय गौतम ने भी कोतवाली प्रभारी को एक शिकायत दी है, जिसमें उसने कांशीराम आवास के ही कई लोगों, ग्राम प्रधान और प्रधान पुत्र पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि यह शिकायत एक “डिफेंस स्ट्रैटेजी” के तहत दी गई है ताकि प्रशासनिक जांच को भ्रमित किया जा सके।
भीम आर्मी के अंदर असंतोष की लहर
संगठन के भीतर भी भीम आर्मी जिला संयोजक संजय गौतम की कार्यशैली को लेकर भारी असंतोष है।
भीम आर्मी व आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के कई स्थानीय पदाधिकारियों ने बताया कि जब से संजय गौतम को भीम आर्मी जिला संयोजक बनाया गया है, तब से संगठन में अनुशासन खत्म हो गया है और अवैध वसूली आम बात हो गई है।
कई कार्यकर्ताओं ने इस बात की पुष्टि की है कि अब लोग संगठन से इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं।
भीम आर्मी जिला संयोजक के कृत्यों की जांच की मांग
पीड़ितों और स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि भीम आर्मी जिला संयोजक और उसके सहयोगियों की गतिविधियों की निष्पक्ष जांच की जाए।
उनका कहना है कि अगर जांच ईमानदारी से हुई तो कई रहस्यमय मामलों का खुलासा हो सकता है।
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, आरोपियों ने संगठन के नाम पर कई बार धन उगाही की है, कभी धरना-प्रदर्शन के नाम पर, तो कभी किसी पीड़ित को न्याय दिलाने के नाम पर।
प्रशासन पर भी सवाल उठे
इस पूरे प्रकरण में यह सवाल भी उठ रहा है कि आखिर इतने गंभीर आरोपों के बावजूद अब तक भीम आर्मी जिला संयोजक के खिलाफ ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
क्या स्थानीय पुलिस किसी राजनीतिक दबाव में है?
क्या भीम आर्मी के नाम पर चल रही अवैध गतिविधियों को नजरअंदाज किया जा रहा है?
इन सवालों के जवाब प्रशासन को देने होंगे।
भीम आर्मी की छवि पर दाग
एक ओर भीम आर्मी खुद को दलित समाज की आवाज बताती है, वहीं उसके ही जिला संयोजक पर इस तरह के संगीन आरोप संगठन की साख को गहरा झटका दे रहे हैं।
सामाजिक न्याय के नाम पर गठित यह संगठन अब चित्रकूट में एक विवादित पहचान बना रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो भीम आर्मी जिला संयोजक जैसे लोग संगठन को “आंदोलन” नहीं बल्कि “आतंक” में बदल देंगे।
न्याय की प्रतीक्षा में पीड़ित परिवार
फिलहाल पीड़ित प्रियांशु और उसका परिवार न्याय की प्रतीक्षा में हैं।
उनका कहना है कि वे चाहते हैं कि भीम आर्मी जिला संयोजक संजय गौतम और उसके सहयोगियों के खिलाफ निष्पक्ष जांच कर सख्त कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति संगठन के नाम पर गुंडागर्दी करने का साहस न करे।
चित्रकूट में यह मामला अब सिर्फ एक व्यक्ति की दबंगई का नहीं रहा, बल्कि यह सवाल बन गया है —
क्या भीम आर्मी जैसी संस्थाओं को भी अब “आवाज उठाने” के बजाय “आवाज दबाने” का प्रतीक बना दिया जाएगा?
