
काले बाबा की तपस्थली पर भक्ति और साहित्य का संगम — कल्याण कला मंच की कलम गोष्ठी सम्पन्न
बिलासपुर/दनोह। काले बाबा कुटिया में आयोजित कल्याण कला मंच की कला कलम गोष्ठी ने भक्ति, संगीत और साहित्य की अद्भुत त्रिवेणी रच दी। काले बाबा कुटिया की पावन भूमि पर स्थानीय और क्षेत्रीय कवियों, साहित्यकारों और भजनकारों ने अपनी रचनाओं से वातावरण को सुरभित कर दिया।
हनुमान टीले की छांव में गूंजे भक्ति के स्वर
कार्यक्रम की शुरुआत हुई घुमारवीं से आए लश्करी राम द्वारा प्रस्तुत भजन से — “भला ओ बाबा कालेया तेरा मंदिर ओ हनुमान टीले।” इस भजन ने काले बाबा की तपस्थली की पवित्रता को और प्रखर बना दिया। राम पाल डोगरा ने काले बाबा के जीवन और दर्शन पर प्रकाश डाला, जबकि बृज लाल लखनपाल (बड़ा दा घाट) ने “मनुख चोला नहीं मिलना, हरि चरणों चित लाना” सुनाकर भक्तिभाव से वातावरण भर दिया।
साहित्य और भावनाओं की प्रस्तुति
इंजीनियर सुमन चड्ढा ने “मैं औरत हूं मैं कभी टूट नहीं सकती” सुनाकर महिला शक्ति को स्वर दिया। रौडा के जीत राम सुमन ने “मेरा लगदा नीं जीयु” प्रस्तुत किया। श्याम सुंदर सहगल ने “आए आए श्री राम लछमन सीत” से मंच पर ऊर्जा भर दी, जबकि मंड लोहु की राजिंद्रा शर्मा ने “मिलती नहीं है परछाई अपनी” के माध्यम से जीवन की गहराइयों को छुआ।
घुमारवीं से आए मानव विज्ञानी अनेक राम संख्यान ने “मेरे श्याम बसे मेरे नैनन में” भजन सुनाकर सभी को सम्मोहित कर दिया। बीपीएस स्कूल के संस्थापक चंद्र शेखर पंत ने “सुर सुर तुलसी शशि” सुनाया, शिव नाथ सहगल ने “दया करो मां दया करो” और गायत्री शर्मा ने “सरस्वती विद्या देवी” कविता से सबको मंत्रमुग्ध किया।
भक्ति और साहित्य का समन्वय
रविंद्र नाथ भट्टा ने सावन के दृश्य कविता में उकेरे। सुख राम आजाद (डियारा) ने अपनी कविता “जाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर” से सामाजिक दृष्टि प्रस्तुत की। सुशील पुंडीर परिंदा ने “काले बाबा तुम कहलाते हो” के माध्यम से काले बाबा कुटिया की आध्यात्मिक छवि को शब्द दिए। अमरनाथ धीमान ने “हाथों में हाथ लेकर तेरा” और सुरेंद्र मिन्हास कहलूरी ने “जे चजा रा नी मिलो गुरु ता से सने जिंडेयां मुकाई दिन्दा” सुनाकर हिमाचली बोली का रस घोला।
नरेंद्र दत्त शर्मा ने अपनी पंक्तियों “अभी ना जाओ छोड़ कर ये दिल अभी नहीं भरा” से भावनात्मक माहौल बना दिया। पूरे कार्यक्रम का संचालन सुशील पुंडीर ने प्रभावशाली अंदाज में किया और अध्यक्षता का दायित्व प्रधान सुरेंद्र सिंह मिन्हास ने बखूबी निभाया।
रत्न चंद निर्झर का प्रेरक वक्तव्य
इस कल्याण कला मंच की गोष्ठी में विशेष आमंत्रित साहित्यकार रत्न चंद निर्झर मुख्य आकर्षण रहे। उन्होंने खुशवंत सिंह के साहित्यिक जीवन पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि साहित्य समाज का आईना है। काले बाबा कुटिया जैसी पावन भूमियों पर ऐसी गोष्ठियाँ समाज में सकारात्मक चेतना जगाने का कार्य करती हैं।
धन्यवाद और समापन
अंत में आयोजक अमरनाथ धीमान ने सभी आगंतुकों, कवियों, साहित्यकारों और भक्तों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि “काले बाबा की तपस्थली” में आयोजित यह कलम गोष्ठी स्थानीय संस्कृति, साहित्य और भक्ति का सुंदर संगम है। सभी उपस्थित लोगों ने अंत में बिलासपुरी धाम के प्रसाद और सौंदर्य का आनंद उठाया।
आयोजन का महत्व
इस कलम गोष्ठी ने सिद्ध कर दिया कि काले बाबा कुटिया केवल धार्मिक केंद्र नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना का जीवंत प्रतीक है। कल्याण कला मंच बिलासपुर ने इस आयोजन के माध्यम से युवा पीढ़ी को साहित्य और संस्कृति से जोड़ा। काले बाबा और उनकी तपस्थली अब केवल श्रद्धा का स्थान नहीं रही, बल्कि यह भक्ति, कविता और सामूहिक संस्कृति की धड़कन बन गई है।
आगामी समय में कल्याण कला मंच ने घोषणा की कि ऐसी कलम गोष्ठियाँ और भी स्थानों पर आयोजित की जाएंगी ताकि काले बाबा कुटिया जैसी तपस्थलियों से प्रेरणा लेकर समाज में रचनात्मकता फैलाई जा सके।