
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आबकारी विभाग और एसटीएफ की संयुक्त कार्रवाई ने अवैध शराब तस्करी के बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश कर दिया। तस्करों ने शराब की तस्करी करने के लिए इतना सामरिक और असामान्य तरीका अपनाया कि जांच टीम तक हैरान रह गई। आलू की बोरियों के बीच शराब की पेटियों को छुपाकर चंडीगढ़ से बिहार भेजा जा रहा था, ताकि ट्रक सामान्य माल ढुलाई जैसा लगे। इटौंजा क्षेत्र में चेकिंग के दौरान पकड़े गए इस ट्रक से 443 पेटियां विदेशी अवैध शराब बरामद की गईं, जिसकी बाजार कीमत लगभग 40 लाख रुपये बताई जा रही है।
यह कार्रवाई आबकारी आयुक्त और लखनऊ डीएम द्वारा चलाए जा रहे विशेष प्रवर्तन अभियान के तहत की गई। 3 और 4 दिसंबर की रात्रि में इटौंजा पुलिस, एसटीएफ और आबकारी विभाग की टीम ने सीतापुर रोड स्थित इटौंजा टोल प्लाज़ा पर गहन वाहन चेकिंग की। इसी दौरान एक संदिग्ध ट्रक को रोका गया और तलाशी में गैर–प्रांत की विदेशी शराब की भारी खेप बरामद हुई, जिन पर स्पष्ट रूप से “FOR SALE IN CHANDIGARH ONLY” लिखा हुआ था।
13,812 बोतल शराब — बड़े ब्रांडों की अवैध खेप बरामद
बरामद हुई शराब की कुल संख्या 13,812 बोतल है। इसमें शामिल ब्रांड इस प्रकार हैं —
- ROYAL STAG BARREL SELECT — 2052 बोतल
- OLD HABBIT WHISKEY — 7488 PET बोतल
- ALL SEASONS GOLDEN COLLECTION RESERVE — 3840 PET बोतल
- BLACK BY BACARDI RUM — 432 बोतल
- साथ ही शराब छिपाने के लिए उपयोग की गई आलू की बोरियां भी कब्जे में ले ली गई हैं
इतनी व्यवस्थित ढंग से खेप की पैकिंग देखकर यह स्पष्ट हो गया कि नेटवर्क लंबे समय से सक्रिय है और शराब की अवैध सप्लाई के लिए बहुत ही पेशेवर तरीके का उपयोग करता है।
ड्राइवर ने खुलासा किया गिरोह का गहरा जाल — शराबबंदी बनी काला मुनाफा

पूछताछ में गिरफ्तार ट्रक चालक सुशील कुमार, निवासी कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ने बताया कि यह शराब चंडीगढ़ से लोड की गई थी और इसे बिहार में सप्लाई किया जाना था। उसने यह भी स्वीकार किया कि बिहार में शराबबंदी लागू होने के कारण एक संगठित गिरोह इसे कई गुना अधिक दामों पर बेचकर भारी मुनाफा कमाता है। ड्राइवर के अनुसार यह पूरी खेप चंडीगढ़ निवासी कपिल वर्मा के निर्देश पर भेजी गई थी।
घटनास्थल से एक मोबाइल फोन और 5700 रुपये भी बरामद किए गए हैं। ट्रक और शराब को कब्जे में लेकर थाना इटौंजा में मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस और आबकारी विभाग इस मामले को अंतरराज्यीय तस्करी गिरोह से जुड़ा मानकर आगे की तहकीकात कर रहे हैं।
क्यों बिहार तस्करों के निशाने पर?
विशेषज्ञों के अनुसार, शराबबंदी लागू होने के बाद बिहार में अवैध शराब का बाजार तेजी से फल–फूल रहा है। सामान्य कीमत वाली शराब वहाँ तीन गुना तक कीमत पर बिकती है। यही कारण है कि तस्करी नेटवर्क पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ जैसे राज्यों से खेप भेजकर मोटा मुनाफा कमाता है।
लखनऊ में हुई यह कार्रवाई शराब माफिया पर कड़ा प्रहार मानी जा रही है और उम्मीद की जा रही है कि आगे की जांच के बाद बड़े नाम और ठिकाने बेनकाब हो सकते हैं।
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कार्रवाई कब और कहाँ हुई?
3–4 दिसंबर की रात, लखनऊ के इटौंजा टोल प्लाज़ा पर चेकिंग के दौरान।
कुल कितनी शराब बरामद हुई?
443 पेटियां, कुल 13,812 बोतल विदेशी शराब जिसकी कीमत लगभग 40 लाख रुपये है।
शराब किस जगह से किस जगह भेजी जा रही थी?
यह शराब चंडीगढ़ से बिहार सप्लाई के लिए भेजी जा रही थी।
तस्करी नेटवर्क में कौन शामिल बताया गया?
ड्राइवर के मुताबिक खेप चंडीगढ़ निवासी कपिल वर्मा के निर्देश पर भेजी गई थी।
पुलिस आगे क्या कार्रवाई कर रही है?
मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और अंतरराज्यीय गिरोह की खोजबीन की जा रही है।






