शादी के पांच महीने बाद गुजरात में पत्रकार की पुत्री की संदिग्ध मौत, पिता बोले – दहेज प्रताड़ना ने ली बेटी की जान

ब्यूरो रिपोर्ट

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लखनऊ। बेटियों को पालने-पोसने और उनके बेहतर भविष्य की कामना करने वाले माता-पिता जब उन्हें विवाह के मंडप में विदा करते हैं, तो उम्मीद करते हैं कि उनकी जिंदगी खुशहाल होगी। लेकिन कई बार यही सपने दहेज की बलिवेदी पर टूट जाते हैं। ऐसा ही एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है लखनऊ के बंथरा इलाके से, जहाँ नींवा गांव निवासी पत्रकार कमलेश कुमार चौधरी की बेटी शिल्पी चौधरी की गुजरात में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई।

शादी के बाद बढ़ी दहेज की मांग

कमलेश कुमार चौधरी ने अपनी बेटी शिल्पी चौधरी का विवाह 26 मार्च को सागर चौधरी निवासी ग्राम चांदनी, कोतवाली कोंच, जिला जालौन से हिन्दू रीति-रिवाजों के अनुसार किया था। शादी में उन्होंने अपनी हैसियत से बढ़कर लगभग 15 लाख रुपये खर्च किए। विवाह से कुछ दिन पहले ही दामाद सागर की मांग पर उन्होंने 1.20 लाख रुपये बैंक से ट्रांसफर किए थे।

विवाह के बाद शिल्पी चौधरी अपने पति, सास-ससुर और देवर के साथ गुजरात में रहने लगीं। लेकिन शादी के कुछ ही महीनों में उसे दहेज के लिए प्रताड़ना झेलनी पड़ी। पिता कमलेश के अनुसार, बेटी को सोने के आभूषण और नकदी लाने का लगातार दबाव बनाया जाता रहा।

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मायके आने पर छलका दर्द

राखी पर्व के दौरान जब शिल्पी मायके आई तो उसने रो-रोकर अपनी पीड़ा बयां की। उसने बताया कि ससुराल पक्ष लगातार दहेज की मांग कर रहा है और प्रताड़ित कर रहा है। पिता ने बताया कि बेटी की तबीयत खराब थी, फिर भी सास ने ज़बरदस्ती उसे वापस गुजरात बुला लिया। यह वही आखिरी बार था जब परिवार ने उसे जीवित देखा।

26 अक्टूबर को मौत की खबर

26 अक्टूबर की शाम परिवार को फोन पर सूचना मिली कि शिल्पी चौधरी ने फंदे पर लटककर आत्महत्या कर ली है। यह सुनकर पूरे परिवार में मातम छा गया। पिता जब गुजरात पहुंचे तो वहां पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव को पति सागर को सौंप दिया। पिता का आरोप है कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि दहेज हत्या है।

पिता का आरोप: दहेज की मांग पूरी न होने पर बेटी की हत्या

कमलेश चौधरी ने पुलिस को दी गई लिखित तहरीर में कहा कि उनकी बेटी को दहेज की मांग पूरी न होने पर ससुराल वालों ने प्रताड़ित कर मार डाला। उनका आरोप है कि शादी के बाद से ही ससुराल पक्ष लगातार पैसे और गहनों के लिए दबाव बना रहा था। उन्होंने कहा, “हमने हर संभव कोशिश की, लेकिन बेटी की खुशियाँ उन्हें रास नहीं आईं। उन्होंने मेरी बेटी की जान ले ली।”

पुलिस जांच में जुटी, रिपोर्ट का इंतजार

गुजरात पुलिस ने बताया कि मामले की जांच जारी है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। वहीं, ससुराल पक्ष ने सभी आरोपों से इनकार किया है और पुलिस जांच में सहयोग की बात कही है। लखनऊ और गुजरात दोनों जगह के प्रशासनिक अधिकारी इस संवेदनशील मामले पर नजर बनाए हुए हैं।

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समाज में फिर उठा दहेज पर सवाल

यह मामला एक बार फिर दहेज प्रथा पर गहरे सवाल खड़े करता है। कानून के बावजूद, आज भी बेटियों को दहेज की मांगों और मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है। भारत में हर साल हजारों मामले दहेज हत्या और दहेज प्रताड़ना के दर्ज होते हैं। यह घटना बताती है कि समाज को अब सोच बदलने की जरूरत है—बेटियों को बोझ नहीं, समान अधिकार देने का समय आ गया है।

न्याय की लड़ाई जारी

कमलेश चौधरी ने कहा कि वे न्याय के लिए लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने मांग की कि उनकी बेटी की मौत की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। स्थानीय महिला संगठनों ने भी दहेज के खिलाफ मोर्चा खोलने की बात कही है।

कानून क्या कहता है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 304B के अनुसार, विवाह के सात वर्ष के भीतर यदि किसी महिला की संदिग्ध मृत्यु होती है और दहेज की मांग का प्रमाण मिलता है, तो यह दहेज हत्या मानी जाती है। इस मामले में भी यह धारा लागू हो सकती है। पुलिस जांच के बाद वास्तविकता सामने आएगी।

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दहेज प्रथा पर रोक के लिए जरूरी है सामाजिक जागरूकता

कानून के साथ-साथ समाज में जागरूकता बेहद जरूरी है। दहेज लेना या देना न केवल अपराध है, बल्कि यह इंसानियत के खिलाफ भी है। शिल्पी की यह मौत सिर्फ एक परिवार का दर्द नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है कि अब समय है दहेज मुक्त भारत बनाने का।


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

प्रश्न 1: क्या यह मामला दहेज हत्या का है?

उत्तर: पिता कमलेश चौधरी का आरोप है कि यह दहेज हत्या है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद मामला स्पष्ट होगा।

प्रश्न 2: शिल्पी चौधरी की शादी कब हुई थी?

उत्तर: शिल्पी चौधरी का विवाह 26 मार्च को सागर चौधरी से हुआ था।

प्रश्न 3: पिता ने कितना दहेज दिया था?

उत्तर: पिता कमलेश चौधरी ने बताया कि शादी में लगभग 15 लाख रुपये खर्च किए और 1.20 लाख रुपये बैंक से दामाद के खाते में ट्रांसफर किए थे।

प्रश्न 4: क्या ससुराल पक्ष पर मुकदमा दर्ज हुआ?

उत्तर: खबर लिखे जाने तक मुकदमा दर्ज नहीं हुआ था, लेकिन पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।

प्रश्न 5: दहेज प्रथा पर समाज क्या कर सकता है?

उत्तर: समाज को मिलकर दहेज जैसी कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठानी होगी, बेटियों को समान अधिकार देना होगा और बेटियों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।

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