लखनऊ के जायके को यूनेस्को की मान्यता , नवाबों के शहर के लजीज स्वाद को मिली वैश्विक पहचान

ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट | समाचार दर्पण 24

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लखनऊ : नवाबों की मेहमाननवाज़ी, अवधी बिरयानी, गलावटी कबाब और मक्खन मलाई जैसी लजीज पाक परंपराओं के लिए मशहूर शहर लखनऊ अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जगमगा उठा है। यूनेस्को ने लखनऊ को “क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी” (UNESCO Creative City of Gastronomy) की प्रतिष्ठित सूची में शामिल किया है। यह सम्मान लखनऊ की सदियों पुरानी अवधी पाक कला और सांस्कृतिक विरासत की वैश्विक स्वीकृति का प्रतीक बन गया है।

लखनऊ को यूनेस्को की रचनात्मक शहरों की सूची में मिला स्थान

संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक इकाई यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अजोले ने 31 अक्टूबर 2025 को उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित विश्व नगर दिवस (World Cities Day) के अवसर पर यह घोषणा की। उन्होंने बताया कि लखनऊ सहित कुल 58 नए शहरों को यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क (UCCN) में जोड़ा गया है। इस नेटवर्क में अब 100 से अधिक देशों के 408 शहर शामिल हैं।

लखनऊ को यह पहचान “गैस्ट्रोनॉमी” यानी पाककला की श्रेणी में दी गई है। यह श्रेणी केवल उन शहरों को दी जाती है जो अपनी रसोई परंपरा, स्वाद, और सांस्कृतिक नवाचार से पूरी दुनिया को प्रेरित करते हैं।

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अवधी स्वाद को मिला वैश्विक सम्मान

भारत में संयुक्त राष्ट्र की इकाई ने एक्स (X) पर पोस्ट करते हुए लिखा — “मुंह में पानी लाने वाले गलावटी कबाब, अवधी बिरयानी, स्वादिष्ट चाट और गोलगप्पे, मक्खन मलाई जैसी मिठाइयां… यही है लखनऊ का स्वाद, जो सदियों पुरानी परंपराओं से भरपूर है।” यह पोस्ट तुरंत वायरल हो गई और #LucknowCreativeCity ट्रेंड करने लगा।

यूनेस्को में भारत के स्थायी प्रतिनिधिमंडल ने भी इस घोषणा को “भारत के लिए गर्व का क्षण” बताया। प्रतिनिधिमंडल ने लिखा — “लखनऊ की समृद्ध पाककला विरासत को अब वैश्विक मंच पर पहचान मिली है। यह न केवल लखनऊ बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए गौरव का विषय है।”

लखनऊ की पाककला परंपरा — स्वाद, इतिहास और नवाचार का संगम

लखनऊ की अवधी पाककला दुनिया भर में अपनी नज़ाकत, खुशबू और रिवायती तरीकों के लिए मशहूर है। नवाबों के दौर से चली आ रही ये परंपरा आज भी हर घर, होटल और सड़क किनारे तक ज़िंदा है। गलावटी कबाब, टुंडे कबाबी, अवधी बिरयानी, शीरमल, निहारी, कुल्चा, चाट और मक्खन मलाई — इन सबने लखनऊ को “खाने का जन्नत” बना दिया है।

लखनऊ का खाना सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि संस्कृति और इतिहास का आईना है। यहां की हर रेसिपी में सदियों पुरानी नवाबी परंपरा और अदब की झलक मिलती है। यही कारण है कि यूनेस्को ने इसे “Creative City of Gastronomy” के रूप में चुना।

सरकार और पर्यटन विभाग की भूमिका

उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने इस सम्मान पर खुशी जताते हुए कहा — “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदृष्टि और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश आज देश का गौरव बन चुका है। लखनऊ की यह उपलब्धि उसके समृद्ध खानपान और संस्कृति की वैश्विक स्वीकृति है।”

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उन्होंने बताया कि लखनऊ का नामांकन 31 जनवरी 2025 को केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय को भेजा गया था, और तीन मार्च 2025 को भारत सरकार ने इसका अंतिम डोज़ियर यूनेस्को को सौंपा। 31 अक्टूबर को यह घोषणा हुई और लखनऊ को औपचारिक रूप से Creative City of Gastronomy घोषित किया गया।

लखनऊ के लिए क्या मायने रखता है यह सम्मान?

यह मान्यता लखनऊ के पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा देगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे पाक पर्यटन (Food Tourism) को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा मिलेगा। अब दुनिया भर के पर्यटक लखनऊ के स्वाद का अनुभव करने के लिए यहां आएंगे।

उत्तर प्रदेश सरकार ने भी कहा — “यह सम्मान शहर की समृद्ध पाक परंपराओं, अवधी विरासत और अभिनव पाककला को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका का प्रतीक है। हर स्वाद अब सदियों पुरानी संस्कृति और रचनात्मकता को दर्शाएगा।”

लखनऊ का भविष्य — ‘Creative City of Gastronomy’ से ‘Global Food Capital’ तक

लखनऊ के रेस्टोरेंट्स, होटल्स और फूड स्टार्टअप्स अब अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप अपनी पहचान बना सकेंगे। यह उपलब्धि न केवल पाक क्षेत्र के लिए बल्कि पूरे शहर के रोजगार, निवेश और ब्रांडिंग के लिए भी वरदान साबित होगी।

पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने कहा — “यह चयन लखनऊ की पाक कला, धरोहर और आतिथ्य परंपराओं को एक नई अंतरराष्ट्रीय पहचान देगा। यह सम्मान लखनऊ की अवधी संस्कृति का जश्न है।”

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लखनऊ का यूनेस्को क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी बनना भारत के लिए गौरव का क्षण है। यह उपलब्धि न केवल लखनऊ की अवधी संस्कृति का सम्मान है, बल्कि यह साबित करती है कि स्वाद भी किसी शहर की पहचान बन सकता है। लखनऊ अब केवल “नवाबों का शहर” नहीं, बल्कि “स्वाद का शहर” कहलाएगा।

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लखनऊ को यूनेस्को का सम्मान क्यों मिला?

लखनऊ को उसकी सदियों पुरानी अवधी पाक परंपराओं, नवाबी संस्कृति और वैश्विक स्तर पर पाक नवाचारों के लिए “क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी” की श्रेणी में चुना गया है।

यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क (UCCN) क्या है?

यह यूनेस्को की पहल है जिसमें दुनिया के वे शहर शामिल किए जाते हैं जो संगीत, साहित्य, डिजाइन, पाककला, कला, फिल्म और मीडिया जैसे रचनात्मक क्षेत्रों में वैश्विक योगदान दे रहे हैं।

भारत में अब तक कौन-कौन से शहर इस नेटवर्क में शामिल हैं?

भारत के जयपुर (हस्तशिल्प), वाराणसी (संगीत), चेन्नई (संगीत), मुंबई (फिल्म), हैदराबाद (पाककला) और लखनऊ (पाककला) सहित कुल छह शहर अब यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क में शामिल हैं।

इससे लखनऊ के पर्यटन को क्या लाभ होगा?

लखनऊ में फूड टूरिज्म को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा मिलेगा। इससे शहर में पर्यटकों की संख्या, रोजगार और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में वृद्धि होगी।


©समाचार दर्पण 24 | Thakur Bakhsh Singh

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