चित्रकूट जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई व स्वच्छता व्यवस्था को लेकर बढ़ती चिंता ने मंगलवार को नया रंग ले लिया। “चलो गाँव की ओर — जागरूकता अभियान” की टीम ने जिले की कई ग्राम पंचायतों का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की है और आरोप लगाया है कि कई सफाई कर्मी ड्यूटी से अनुपस्थित रहने के साथ-साथ सार्वजनिक व धार्मिक स्थलों के पास शराब पीने और मुर्गा मीट खाने जैसी अनुचित गतिविधियों में लिप्त रहे।
निरीक्षण में मिले चौकाने वाले तथ्य
अभियान टीम ने बताया कि निरीक्षण के दौरान कई स्थानों पर निम्नलिखित समस्याएं दर्ज की गईं—
- मेले और त्योहार के दौरान भी सार्वजनिक स्थल व मेले के आस-पास कूड़ा-पर्चा जमा रहने के मामले।
- नालियों और ड्रेनेज की सफाई में अतिक्रमण व लापरवाही।
- कई सफाईकर्मियों का समय पर उपस्थित न होना व ड्यूटी से गैरहाजिर रहना।
- धर्मस्थलों के समीप शराब पीना और खुलेआम फ़िल्मबंदी (मीट) खाना, जिससे ग्रामीणों की धार्मिक भावनाएँ आहत हुईं।
ज्ञापन में रखी जाने वाली मुख्य माँगें
अभियान टीम ने ज़िला प्रशासन के नाम नये ज्ञापन में स्पष्ट माँगें रखी हैं, जिनका उद्देश्य शीतल व टिकाऊ सफाई व्यवस्था सुनिश्चित करना है। ज्ञापन के प्रमुख बिंदु निम्नानुसार हैं—
- अनुशासनात्मक जांच: दीपावली अमावस्या मेले में ड्यूटी से अनुपस्थित रहे सफाईकर्मियों की तुरंत जाँच एवं दोष सिद्ध होने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई।
- अस्थायी निलंबन: धर्म स्थल के पास शराब पीना या सार्वजनिक स्थानों पर असभ्य व्यवहार करने वाले कर्मियों का तत्काल निलंबन/समाचारिक अनुशासन।
- साप्ताहिक निरीक्षण रिपोर्ट: प्रत्येक ग्राम पंचायत में स्वच्छता निरीक्षण की सूचीबद्ध रिपोर्ट जो हर सप्ताह पारदर्शी रूप से प्रकाशित की जाए।
- स्थानीय निगरानी समिति: पंचायत स्तर पर स्वयंसेवी सदस्यों/ग्रामीण प्रतिनिधियों से मिलकर निगरानी समिति का गठन ताकि सफाई सेवाओं की निगरानी और शिकायत निवारण त्वरित हो।
- सशक्त प्रशिक्षण व सम्मान योजना: मेहनती व ईमानदार कर्मियों को पुरस्कृत करने तथा अन्य कर्मियों को प्रशिक्षित करके उनकी जवाबदेही बढ़ाने की व्यवस्था।
जिम्मेदारों के कथन और प्रशासन की प्रतिक्रिया
“चलो गाँव की ओर” टीम के सदस्यों ने कहा —
“गाँवों की स्वच्छता केवल एक सरकारी ज़िम्मेदारी नहीं है; यह समस्त समाज की साझा ज़िम्मेदारी है। मेले जैसे सार्वजनिक आयोजन में सफाई की अनदेखी सीधे स्वास्थ्य व धार्मिक भावनाओं पर असर डालती है।”
वहीं, ज़िला पंचायत राज कार्यालय से आधिकारिक पुष्टि की प्रतीक्षा है। प्रशासन के कुछ सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि घटना की प्रारंभिक सूचना मिलने के बाद विभाग ने स्थिति की तहकीकात के निर्देश दिए हैं और संबंधित पंचायत सचिवों से जवाब माँगा गया है।
ग्रामवासी क्या चाहते हैं?
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि वे स्वच्छ व सुरक्षित वातावरण के वकील हैं। उन्होंने बताया कि सफाई व्यवस्था बनी रहे तो ना केवल गाँव सुंदर दिखेगा बल्कि जलजनित एवं संक्रामक रोगों का खतरा भी कम होगा। कई ग्रामीणों ने कहा कि यदि शिकायतों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई तो वे जनआंदोलन के रूप में भी कदम उठाने के लिए तैयार हैं।
आगामी कार्यक्रम की जानकारी
ज्ञापन सौंपने का समय व स्थान:
दिनांक: 1 नवम्बर 2025
समय: सुबह 11:00 बजे
स्थान: ज़िला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय, चित्रकूट
आयोजक: “चलो गाँव की ओर — जागरूकता अभियान”
क्या किया जाना चाहिए — त्वरित सुझाव
- पंचायत स्तर पर सार्वजनिक शिकायत बॉक्स और हेल्पलाइन नंबर स्थापित करना।
- त्योहार/मेला आयोजनों के लिए पूर्वनियोजित स्वच्छता टीम व शिफ्ट व्यवस्था तय करना।
- धर्मस्थलों के आसपास ‘नो-लिटरिंग’ व ‘नो-ड्रिंकिंग’ के स्पष्ट बोर्ड लगाना और स्थानीय स्वयंसेवियों की निगरानी।
- सफाई कर्मियों को निर्धारित यूनिफ़ॉर्म व आईडी कार्ड देना ताकि निगरानी सुलभ हो।
क्लिकेबल — प्रश्न एवं उत्तर (FAQ)
नीचे दिए गए प्रश्न पर क्लिक कर उसके उत्तर देखें — यह सेक्शन पाठकों के लिए त्वरित जानकारी के रूप में है।
1. ज्ञापन किस बात के लिए सौंपा जा रहा है?
ज्ञापन में मुख्यतः दीपावली अमावस्या मेले के दौरान ड्यूटी से अनुपस्थित रहे सफाईकर्मियों की जाँच और धर्मस्थल पर शराब/मीट खाने जैसी अनुचित गतिविधियों पर कार्रवाई की मांग की जा रही है। साथ ही दीर्घकालिक सुधार हेतु निगरानी व प्रशिक्षण के सुझाव भी रखे गए हैं।
2. क्या प्रशासन ने अभी तक कोई ठोस कदम उठाया है?
अधिकारिक बयान अभी जारी नहीं हुआ है। प्रशासन ने प्रारंभिक तौर पर जानकारी मिलने पर जांच के निर्देश दिए जाने की बातें स्थानिक सूत्र बता रहे हैं। ज्ञापन सौंपे जाने के बाद अधिक स्पष्ट निर्णय की आशा है।
3. ग्रामवासी क्या चाह रहे हैं?
ग्रामवासी चाहते हैं कि सफाई व्यवस्था नियमित, पारदर्शी और प्रभावी हो; असंयमी कर्मियों पर कार्रवाई हो; और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए दीर्घकालिक योजना लागू की जाए।
4. आगे क्या कदम उठ सकते हैं?
यदि प्रशासनिक स्तर पर त्वरित कार्रवाई नहीं हुई तो जागरूकता टीम और ग्रामीण मिलकर सशक्त सिटीज़न रिपोर्टिंग, मीडिया अपील और स्थानीय आंदोलन के माध्यम से मुद्दा उठाने का विचार कर सकते हैं।









