
✍️ चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
बहराइच (उत्तर प्रदेश): 29 अक्टूबर की शाम बहराइच के भरथापुर गांव में एक दर्दनाक नाव हादसा हुआ जिसने पूरे इलाके को दहला दिया। बाजार से लौट रही 22 लोगों से भरी नाव कौड़ियाला नदी में डूब गई। अब तक 13 लोग तो किसी तरह बच गए, लेकिन 9 लोग लापता हो गए। तीन घंटे बाद एक महिला का शव बरामद हुआ, जबकि 8 लोग—जिनमें 5 बच्चे शामिल हैं—अब तक नहीं मिल सके।
गांव में मातम पसरा हुआ है। परिजन नदी किनारे बैठकर अपने अपनों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। NDRF, SDRF और PAC की टीमें लगातार खोज अभियान चला रही हैं, लेकिन 48 घंटे बीत जाने के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली है। ग्रामीणों का कहना है कि इस नदी में मगरमच्छ और घड़ियालों की भरमार है, इसलिए आशंका जताई जा रही है कि लापता लोगों को जलीय जीवों ने निगल लिया होगा।
भरथापुर गांव तक पहुंचना ही एक संघर्ष
भरथापुर गांव जिला मुख्यालय से लगभग 120 किलोमीटर दूर है। यहां पहुंचने के दो रास्ते हैं — एक लखीमपुर के खैरटिया बाजार की ओर से और दूसरा कतर्निया घाट की ओर से। दोनों ही मार्गों पर नदियां और घने जंगल पड़ते हैं।
खैरटिया बाजार की तरफ से आने वालों को कौड़ियाला नदी पार करनी पड़ती है, जबकि कतर्निया घाट के रास्ते गेरुआ नदी पार करके 6 किलोमीटर जंगल से होकर गुजरना होता है। यह जंगल हाथी, तेंदुआ और गेंडे जैसे जंगली जीवों से भरा है। गांव के 125 घरों में से अब केवल 60-65 घरों में ही लोग रहते हैं।
बुधवार का बाजार, लौटते वक्त हुआ हादसा
बुधवार और शनिवार को खैरटिया बाजार लगता है। उसी दिन गांव के लोग रोजमर्रा का सामान खरीदने वहां गए थे। शाम करीब 6 बजे जब कुछ लोग वापस लौटे, तो उन्होंने 22 लोगों को एक ही नाव पर बिठा लिया। नाव में करीब 3 क्विंटल अनाज और एक बाइक भी रखी गई थी।
गांव के राम नारायण बताते हैं कि बरसात के कारण नदी का जलस्तर बढ़ा था और लहरें बहुत तेज थीं। नाव को संभालना मुश्किल हो रहा था। अचानक नदी में गिरे एक पेड़ की डाल से नाव टकरा गई और पलट गई। सभी लोग तेज धारा में बहने लगे।
गांव के लोग कूदे, कुछ को बचाया गया
घटना के बाद गांव में हाहाकार मच गया। ग्रामीण नदी की ओर दौड़े। एक बच्ची पेड़ की डाल पकड़कर किसी तरह बची, उसकी टांग एक महिला ने पकड़ ली थी। दोनों को ग्रामीणों ने नदी में कूदकर बाहर निकाला। कुछ देर बाद एक महिला किनारे बेहोश मिलीं, जबकि दूसरी महिला का शव रात 10 बजे दो किलोमीटर दूर मिला।
घनश्याम गुप्ता का परिवार उजड़ गया
श्रावस्ती जिले के भिखारीपुर मसढ़ी के घनश्याम गुप्ता अपने बच्चों और मां को खोकर फूट-फूटकर रो रहे हैं। वह बताते हैं कि मां रामजई अपने दो बच्चों कोमल और शिवम के साथ मौसी सोनापति के घर भरथापुर आई थीं। नाव पलटने से तीनों बह गए।
घनश्याम कहते हैं, “बीवी की दो महीने पहले ही मौत हुई थी। बच्चे ही जीवन का सहारा थे। अब सब खत्म हो गया।” यह कहते हुए वे बिलखने लगते हैं।
48 घंटे से पति का इंतजार कर रही हैं रिंकी देवी
नदी किनारे बैठी रिंकी देवी की आंखों में अब भी उम्मीद है। उनके पति मेहीलाल भी उसी नाव में सवार थे। वे कहती हैं, “हर बुधवार बाजार लगता है, वह राशन लेने गए थे। अब 48 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन उनका कुछ पता नहीं।” रिंकी अब भी नदी किनारे बैठी हैं — इस उम्मीद में कि शायद उनका पति लौट आए।
NDRF, SDRF और PAC का सर्च अभियान जारी
घटना के तुरंत बाद स्थानीय पुलिस ने मोर्चा संभाला। रात 2 बजे NDRF की टीम मौके पर पहुंची। सुबह तक SDRF, PAC, जिला प्रशासन और DM अक्षय त्रिपाठी भी मौके पर थे। कुल 11 नावों से खोजबीन हुई, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला।
शुक्रवार को सर्च अभियान फिर से शुरू किया गया, परंतु 8 लापता लोगों में किसी का भी पता नहीं चल सका।
कौड़ियाला नदी में मगरमच्छों की भरमार
वन विभाग के अनुसार, कौड़ियाला नदी में 1,000 से अधिक मगरमच्छ और घड़ियाल हैं। इस वजह से गोताखोरों को पानी में उतरने में डर लग रहा है। यही कारण है कि रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कतें आ रही हैं। 5 किलोमीटर तक के इलाके में लगातार खोज जारी है।
गांववाले बोले—हमें यहां से विस्थापित किया जाए
गांव के जगमोहन बताते हैं, “यहां से बाजार जाने के लिए 7 किलोमीटर चलना पड़ता है। जंगल से गुजरने पर हाथी और तेंदुए का डर बना रहता है। पिछले कुछ सालों में तीन ग्रामीणों को हाथियों ने मार डाला।”
वे कहते हैं कि 14 साल से विस्थापन की मांग कर रहे हैं, लेकिन अधिकारी सिर्फ आश्वासन देते हैं। एक समय पूर्व DFO आकाश बधावन ने 10 लाख रुपये मुआवजे की बात कही थी, पर वह वादा भी अधूरा रह गया।
गांव में नहीं है सड़क, बिजली और शौचालय
गांव के मुन्ना लाल मौर्य कहते हैं, “यह बहराइच का पहला बूथ है, लेकिन यहां किसी भी तरह की सुविधा नहीं है। न सड़क, न बिजली, न शौचालय।” ग्रामीण आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं और जंगली जानवरों का डर रोज झेलते हैं।
मुन्ना लाल का कहना है, “हमने डीएम और सांसद से लेकर विधायक तक को आवेदन दिया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। विधायक सरोज देवी तो कहती हैं कि यह गांव नेपाल में पड़ता है।”
नेपाल से निकलती है यह नदी, आगे सरयू बनती है
कौड़ियाला नदी नेपाल के बर्दिया जिले के पहाड़ों से निकलती है। यह गेरुआ नदी से मिलकर घाघरा बनती है, जो आगे चलकर सरयू नदी कहलाती है। इसी नदी के कटान से भरथापुर गांव हर साल पीछे खिसकता जा रहा है। लोग अब जंगल में घर बनाकर रह रहे हैं।
हादसे के बाद एक बार फिर विस्थापन की मांग जोर पकड़ने लगी है। अफसर भले ही खुलकर कुछ न कहें, लेकिन दबी जुबान यह स्वीकार करते हैं कि भरथापुर जैसे गांवों में जीवन अब असंभव होता जा रहा है।
बहराइच के भरथापुर गांव का यह हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि व्यवस्था की असफलता का प्रतीक है। यहां के लोग वर्षों से सुविधाओं से वंचित हैं। अब जरूरत है कि सरकार जल्द से जल्द इन्हें सुरक्षित स्थान पर बसाए, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियां दोबारा न हों।
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❓ बहराइच नाव हादसा कब और कहाँ हुआ?
यह हादसा 29 अक्टूबर 2025 को बहराइच जिले के भरथापुर गांव में हुआ, जब 22 लोगों से भरी नाव कौड़ियाला नदी में डूब गई।
❓ कितने लोग लापता हैं?
कुल 9 लोग लापता हुए थे, जिनमें से 1 महिला का शव मिल गया। अभी भी 8 लोग जिनमें 5 बच्चे शामिल हैं, लापता हैं।
❓ क्या नदी में मगरमच्छ हैं?
हाँ, वन विभाग के अनुसार कौड़ियाला नदी में 1,000 से अधिक मगरमच्छ और घड़ियाल मौजूद हैं, जिससे रेस्क्यू टीमों को कठिनाई हो रही है।
❓ क्या गांव में मूलभूत सुविधाएँ हैं?
नहीं, गांव में न बिजली है, न सड़क, न ही शौचालय। ग्रामीण विस्थापन की मांग वर्षों से कर रहे हैं।
❓ नदी कहाँ से निकलती है?
कौड़ियाला नदी नेपाल के बर्दिया जिले से निकलती है और गेरुआ नदी से मिलकर आगे चलकर घाघरा तथा फिर सरयू नदी बन जाती है।
© समाचार दर्पण | विशेष रिपोर्ट | बहराइच नाव हादसा 2025









