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21 March 2025 9:03 am

वक्फ मस्जिद बोड़े में तरावीह के दौरान मुकम्मल हुआ कुरान पाक

77 पाठकों ने अब तक पढा

सुशील कुमार मिश्रा की रिपोर्ट

बांदा। रमजान का पहला अशरा पूरा होते ही शहर की कई मस्जिदों में तरावीह के दौरान कुरान शरीफ मुकम्मल होने का सिलसिला जारी है। इसी क्रम में शहर कोतवाली के सामने स्थित वक्फ मस्जिद बोड़े में सातवीं तरावीह के दौरान कुरान पाक पूरा हुआ। इस मौके पर बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने तरावीह की नमाज अदा की और सामूहिक दुआ मांगी।

रमजान की विशेष इबादत – तरावीह नमाज

रमजान का चांद नजर आते ही तरावीह की नमाज की शुरुआत हो जाती है, जिसे ईशा की नमाज के बाद अदा किया जाता है। इस दौरान हाफिज ए कुरान रमजान के पूरे महीने में 20 रकात तरावीह के जरिये कुरान सुनाते हैं। इस परंपरा को निभाते हुए हाफिज एहतेशाम उल हक ने इमामत करते हुए तरावीह में कुरान मुकम्मल किया।

मस्जिद कमेटी ने दी रमजान की मुबारकबाद

इस मौके पर मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष हाजी फसीउल्लाह खान और खजांची/मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया के सदस्य हाजी आरिफ खान ने सभी को रमजान की मुबारकबाद दी। उन्होंने कहा कि रमजान सिर्फ रोजा रखने और भूखा रहने का नाम नहीं, बल्कि गुनाहों से बचने, इबादत करने और जरूरतमंदों की मदद करने का महीना है।

उन्होंने सभी से अपील की कि –

रोजेदारों के लिए इफ्तार का इंतजाम करें।

कुरान पाक की तिलावत करें और ज्यादा से ज्यादा इबादत करें।

जरूरतमंदों की मदद करें और समाज में अमन-शांति की दुआ करें।

जकात की अहमियत पर जोर

इस पवित्र मौके पर मस्जिद के इमाम मौलाना मुफ्ती शफीकउद्दीन साहब ने जकात की अहमियत पर जोर देते हुए कहा कि हर सक्षम व्यक्ति को अपनी आय से पाई-पाई का जकात अदा करना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि पहले अपने परिवार और फिर उन गरीबों को जकात दें जो इसके सबसे ज्यादा हकदार हैं।

समाजसेवियों और बच्चों का सहयोग

इस दौरान कई गणमान्य लोग और समाजसेवी मौजूद रहे, जिनमें प्रमुख रूप से –

मेराज कादरी, रशीद आतिशबाज, हमीद आतिशबाज, हनीफ अंसारी, गौहर बाबू, अरशद बिलाल, आदिल मसूदी, साबिर बाबू, नासिर, वहीद उल्ला, अनवर मिस्त्री आदि शामिल थे।

इसके अलावा, सुब्हान आलम, अब्बास हक गोलू, सेफान, फैजान, कौसेन, जीशान और जिया सहित मोहल्ले के बच्चों ने भी ठंडे जूस का इंतजाम कर रोजेदारों की सेवा की।

रमजान में बढ़ी बाजारों की रौनक

रमजान की शुरुआत 1 मार्च को चांद दिखने के साथ हुई, और 2 मार्च को पहला रोजा रखा गया। इस पाक महीने में शहर की 50 से अधिक मस्जिदों, घरों और कैंपसों में तरावीह की नमाज अदा की जा रही है। चांद रात से ही मुस्लिम बहुल इलाकों में बाजारों की रौनक बढ़ गई है। लोग देर रात तक सहरी और इफ्तार के सामान की खरीदारी कर रहे हैं।

रमजान के तीन अशरे और उनकी अहमियत

इस्लाम में रमजान को तीन अशरों (10-दिन के हिस्सों) में बांटा गया है –

1. पहला अशरा (रहमतों का दौर) – अल्लाह की रहमत बरसती है।

2. दूसरा अशरा (गुनाहों से माफी) – लोगों को अपने गुनाहों की माफी मांगनी चाहिए।

3. तीसरा अशरा (जहन्नम से निजात) – इस दौरान लोग अल्लाह से जहन्नम से बचाने की दुआ मांगते हैं।

वक्फ मस्जिद बोड़े में कुरान पाक मुकम्मल होने का यह मौका इबादत, सौहार्द और आपसी भाईचारे का संदेश देता है। इस तरह के आयोजनों से समाज में एकजुटता बढ़ती है और जरूरतमंदों की मदद करने की भावना मजबूत होती है। रमजान का यह पाक महीना हर किसी के लिए नेकी और इबादत करने का बेहतरीन अवसर है।

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