उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले से चिकित्सा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करने वाला मामला सामने आया है।
किडनी में पथरी के इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराए गए 22 वर्षीय युवक की ऑपरेशन के बाद मौत हो गई।
परिजनों ने इलाज में लापरवाही, बिना सहमति ऑपरेशन और जानबूझकर गुमराह करने के आरोप लगाए हैं।
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने दो डॉक्टरों और निजी अस्पताल के मैनेजर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
किडनी की पथरी से शुरू हुआ इलाज, मौत पर खत्म हुई उम्मीद
शिकायतकर्ता संतोष कुमार गुप्ता के अनुसार, उनके बेटे दीपक गुप्ता (22) को कुछ समय से किडनी में पथरी की समस्या थी।
इलाज के लिए वह लगातार चिकित्सकीय परामर्श ले रहे थे। इसी दौरान रायबरेली के एक निजी अस्पताल के मैनेजर अजय यादव ने
इलाज को लेकर भरोसा दिलाया और बेहतर उपचार का दावा करते हुए 14 दिसंबर को दीपक को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
परिजनों का आरोप है कि शुरुआत में डॉक्टरों ने स्पष्ट रूप से कहा था कि केवल एक किडनी में पथरी है और एक ही किडनी की सर्जरी की आवश्यकता पड़ेगी।
इसी भरोसे पर परिवार ने ऑपरेशन के लिए सहमति दी। लेकिन बाद में जो कुछ हुआ, उसने पूरे परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया।
बिना सहमति देर रात हुआ ऑपरेशन, दोनों किडनी खराब होने का आरोप
परिजनों का दावा है कि 14 दिसंबर की देर रात दीपक का ऑपरेशन किया गया।
इस दौरान न तो परिवार को पूरी जानकारी दी गई और न ही किसी तरह की नई लिखित सहमति ली गई।
ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने बताया कि दोनों किडनियों की स्थिति खराब हो गई है।
संतोष कुमार गुप्ता ने आरोप लगाया कि यह पूरी तरह से चिकित्सकीय लापरवाही का मामला है।
उनका कहना है कि यदि शुरुआत में ही दोनों किडनियों के ऑपरेशन की आवश्यकता थी,
तो परिवार को स्पष्ट जानकारी दी जानी चाहिए थी।
सर्जरी के बाद बिगड़ती गई हालत, परिजनों को मिलता रहा झूठा भरोसा
ऑपरेशन के तुरंत बाद दीपक की हालत लगातार बिगड़ने लगी।
परिजनों का कहना है कि बार-बार डॉक्टरों और स्टाफ को स्थिति की गंभीरता बताने के बावजूद
उन्हें केवल यही कहा जाता रहा कि मरीज ठीक हो जाएगा।
15 और 16 दिसंबर के बीच दीपक की तबीयत और ज्यादा खराब हो गई।
उसकी हालत देखकर परिवार ने उसे तत्काल किसी बड़े अस्पताल ले जाने की मांग की,
लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने इस पर गंभीरता नहीं दिखाई।
लखनऊ रेफर करने में बाधा, मनपसंद अस्पताल ले जाने का दबाव
शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि जब परिजनों ने दीपक को लखनऊ ले जाने की बात कही,
तो अस्पताल स्टाफ ने उन्हें मोहनलालगंज क्षेत्र में स्थित एक दूसरे निजी अस्पताल में ले जाने का दबाव बनाया।
परिवार का आरोप है कि यह सब अस्पताल प्रबंधन की मिलीभगत का हिस्सा था,
ताकि मामला उनके नियंत्रण में रहे।
काफी बहस और दबाव के बाद आखिरकार दीपक को लखनऊ के एक निजी अस्पताल ले जाया गया।
लखनऊ पहुंचते ही डॉक्टरों ने किया मृत घोषित
लखनऊ पहुंचने पर वहां के डॉक्टरों ने दीपक की जांच की और उसे मृत घोषित कर दिया।
यह खबर सुनते ही परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
जिस बेटे को बेहतर इलाज की उम्मीद में अस्पताल ले जाया गया था,
वह अब कभी वापस नहीं लौटने वाला था।
परिजनों का कहना है कि यदि समय रहते सही निर्णय लिया गया होता
और सही तरीके से इलाज किया गया होता,
तो दीपक की जान बचाई जा सकती थी।
केजीएमयू में पोस्टमॉर्टम, मौत का कारण स्पष्ट नहीं
17 दिसंबर को दीपक का पोस्टमॉर्टम किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में कराया गया।
हालांकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत का स्पष्ट कारण सामने नहीं आ सका।
परिजनों का कहना है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट अस्पष्ट होना भी इस मामले को और संदिग्ध बनाता है।
उन्होंने निष्पक्ष और गहन जांच की मांग की है।
पुलिस ने दर्ज की FIR, जांच शुरू
थाना शहर कोतवाल नगर पुलिस ने संतोष कुमार गुप्ता की शिकायत पर
दो डॉक्टरों और निजी अस्पताल के मैनेजर अजय यादव के खिलाफ
इलाज में लापरवाही और अन्य गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली है।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच सभी पहलुओं से की जा रही है।
मेडिकल दस्तावेज, ऑपरेशन से जुड़े रिकॉर्ड और डॉक्टरों की भूमिका की बारीकी से पड़ताल की जाएगी।
निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर फिर उठे सवाल
यह मामला एक बार फिर निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली और जवाबदेही पर सवाल खड़ा करता है।
इलाज के नाम पर भरोसे का इस्तेमाल, परिजनों को अधूरी जानकारी देना
और आपात स्थिति में सही निर्णय न लेना —
ये सभी पहलू गंभीर चिंता का विषय हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में
सख्त निगरानी, पारदर्शिता और जवाबदेही तय करना बेहद जरूरी है।
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क्या यह मामला मेडिकल नेग्लिजेंस का है?
परिजनों के आरोप और एफआईआर दर्ज होने के बाद इसे प्रथम दृष्टया
चिकित्सकीय लापरवाही का मामला माना जा रहा है।
अंतिम निष्कर्ष जांच के बाद सामने आएगा।
कितने लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है?
पुलिस ने दो डॉक्टरों और एक निजी अस्पताल के मैनेजर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में क्या सामने आया?
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत का स्पष्ट कारण सामने नहीं आ सका है,
जिसके चलते मामले की जांच और महत्वपूर्ण हो गई है।
परिजनों की मुख्य मांग क्या है?
परिजन दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई,
निष्पक्ष जांच और न्याय की मांग कर रहे हैं।






