
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
बुर्का विवाद की शुरुआत
कानपुर शहर इन दिनों लगातार सुर्खियों में है। बुर्का विवाद ने यहां नया मोड़ ले लिया है। दरअसल, चकेरी थाना क्षेत्र के ओम पुरवा स्थित न्यू विजन स्कूल में पेरेंट्स मीटिंग आयोजित की गई थी।
इसी मीटिंग के दौरान मुस्लिम महिलाओं को बुर्का पहनकर शामिल होने से रोक दिया गया। इसके बाद मामला बढ़ता चला गया और स्कूल के बाहर विरोध शुरू हो गया।
स्कूल प्रशासन ने पहले ही शुक्रवार को एक नोटिस जारी किया था। इस नोटिस में साफ लिखा गया था कि पेरेंट्स मीटिंग में कोई भी महिला नकाब पहनकर शामिल नहीं होगी। अगर वह नकाब में आती हैं तो मीटिंग से पहले नकाब उतारना होगा। यही नियम बुर्का विवाद का कारण बन गया।
महिलाओं का आरोप और विरोध
शनिवार को पेरेंट्स मीटिंग के दौरान कुछ मुस्लिम महिलाएं बुर्का पहनकर पहुंचीं। उन्हें मीटिंग हॉल में जाने से रोक दिया गया। प्रशासन का कहना था कि यह उनके नियम के खिलाफ है। इससे नाराज महिलाओं ने स्कूल गेट पर ही विरोध शुरू कर दिया।
मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि यह नियम पूरी तरह गलत है और धार्मिक स्वतंत्रता का हनन करता है। उनके अनुसार, बुर्का विवाद किसी धार्मिक मुद्दे को हवा देने जैसा है। उनका आरोप है कि यह स्कूल प्रशासन की मनमानी है और इससे समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंची है।
पुलिस की दखलअंदाजी
जब बुर्का विवाद ने तूल पकड़ा तो पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने दोनों पक्षों को समझाने की कोशिश की। फिलहाल, पुलिस ने हालात को काबू में कर लिया। हालांकि, महिलाओं का कहना था कि जब तक स्कूल अपना आदेश वापस नहीं लेगा, तब तक विरोध जारी रहेगा।
स्कूल प्रशासन का पक्ष
न्यू विजन स्कूल की प्रिंसिपल ने बुर्का विवाद को लेकर अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि यह नियम नया नहीं है, बल्कि पहले से लागू है। उनके अनुसार, यहां काफी संख्या में मुस्लिम छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। मुस्लिम बच्चियों के लिए स्कूल ने एक अलग कमरा भी दिया है, जहां वे नकाब उतारकर कक्षाओं में शामिल होती हैं।
स्कूल प्रशासन का कहना है कि यहां तक कि दो मुस्लिम महिला शिक्षिकाएं भी काम करती हैं, जो नियमों का पालन करते हुए कक्षा में बुर्का नहीं पहनतीं। उन्होंने दावा किया कि अब तक कभी कोई समस्या नहीं आई, लेकिन कुछ लोग जानबूझकर बुर्का विवाद को उछाल रहे हैं।
धार्मिक स्वतंत्रता बनाम स्कूल नियम
बुर्का विवाद ने एक बार फिर धार्मिक स्वतंत्रता और संस्थागत नियमों के बीच टकराव को उजागर कर दिया है। एक तरफ महिलाओं का कहना है कि उन्हें अपने धर्म के अनुसार बुर्का पहनने का अधिकार है, वहीं दूसरी तरफ स्कूल का तर्क है कि उनकी नीतियां सभी के लिए समान हैं।

इस मुद्दे पर यह सवाल उठता है कि क्या किसी निजी स्कूल को अपनी ड्रेस कोड जैसी नीतियां लागू करने का अधिकार है या धार्मिक स्वतंत्रता सर्वोपरि है? यही टकराव बुर्का विवाद की जड़ में दिखाई देता है।
कानपुर में लगातार बढ़ते विवाद
गौरतलब है कि बुर्का विवाद से पहले कानपुर में “I Love Muhammad” को लेकर भी बड़ा विवाद सामने आया था। अभी यह मामला पूरी तरह शांत भी नहीं हुआ था कि अब नया विवाद खड़ा हो गया है। लगातार ऐसे घटनाक्रमों से कानपुर की सामाजिक समरसता पर सवाल उठ रहे हैं।
कानपुर का बुर्का विवाद सिर्फ एक स्कूल तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब यह समाज और धर्म से जुड़े बड़े सवाल खड़े कर रहा है।
धार्मिक स्वतंत्रता, सामाजिक मान्यताओं और संस्थागत नियमों के बीच संतुलन कैसे कायम हो—यह चुनौती प्रशासन, समाज और शैक्षणिक संस्थानों सभी के लिए है।
फिलहाल, पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया है, लेकिन बुर्का विवाद ने कानपुर की राजनीति और समाज में गर्माहट जरूर बढ़ा दी है। आने वाले दिनों में देखना होगा कि यह विवाद सुलझता है या और गहराता है।