ग्राम पंचायत चंद्रामारा में फर्जीवाड़े की हद
बिना काम के भुगतान, हैंडपंप घोटाला और प्रधान-सचिव की मिलीभगत उजागर




संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
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चित्रकूट जनपद के मानिकपुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत चंद्रामारा इन दिनों गंभीर आरोपों के घेरे में है। सरकारी धन के उपयोग को लेकर जो तथ्य सामने आए हैं, वे केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं बल्कि एक संगठित फर्जीवाड़े की ओर इशारा करते हैं। आरोप है कि ग्राम प्रधान और पंचायत सचिव की आपसी मिलीभगत से विकास कार्यों के नाम पर बिना काम कराए या मानकविहीन निर्माण दिखाकर लाखों रुपये का भुगतान कर दिया गया।

कागज़ों में विकास, ज़मीन पर सन्नाटा

सरकारी अभिलेखों में इंटरलॉकिंग खड़ंजा, ड्रेन निर्माण, स्कूल मरम्मत, हैंडपंप रिपेयरिंग, गौशाला शेड और साफ-सफाई जैसे कार्य पूरे दिखाए गए हैं। लेकिन गांव के कई मजरों में जब वास्तविक स्थिति देखी जाती है तो तस्वीर बिल्कुल अलग नज़र आती है। कई स्थानों पर या तो कार्य हुआ ही नहीं, या फिर आधा-अधूरा और बेहद घटिया गुणवत्ता का काम दिखता है, जबकि भुगतान पूरा निकाल लिया गया।

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इंटरलॉकिंग और ड्रेन निर्माण में भारी भुगतान

मजरा गदाखान में ओमप्रकाश के घर से शुभम पटेल के घर तक इंटरलॉकिंग खड़ंजा निर्माण के नाम पर 3,30,745 रुपये का भुगतान किया गया। यह भुगतान सोमनाथ ट्रेडर्स के नाम दर्ज है। इसी तरह मजरा अतरी में कंपोजिट विद्यालय के पास ड्रेन निर्माण के लिए 61,827 रुपये का भुगतान भी इसी फर्म को हुआ।

इसके अतिरिक्त अतरी, गदाखान और अन्य मजरों में कई इंटरलॉकिंग और ड्रेन कार्यों के नाम पर 1.4 लाख से 2.2 लाख रुपये तक के भुगतान दर्शाए गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जिन रास्तों पर काम दिखाया गया है, वहां या तो पुरानी हालत जस की तस है या बेहद घटिया सामग्री का प्रयोग किया गया।

विद्यालय मरम्मत और गौशाला कार्य भी सवालों के घेरे में

प्राथमिक विद्यालय धोबहरा में किचन शेड, छत रिपेयरिंग, पेंटिंग, टाइल्स, गेट-रोशनदान और इंटरलॉकिंग के नाम पर 1,18,000 रुपये का भुगतान अजय ट्रेडर्स को किया गया। वहीं गौशाला में छोटे बच्चों के लिए टीन शेड निर्माण के नाम पर 1,64,700 रुपये भी इसी फर्म को दिए गए।

ग्रामीणों का आरोप है कि इन कार्यों की गुणवत्ता बेहद खराब है और कई जगह कार्य दिखाई ही नहीं देता। सवाल यह उठता है कि जब निर्माण या मरम्मत अधूरी है, तो पूरा भुगतान किस आधार पर किया गया?

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हैंडपंप रिपेयरिंग: सबसे बड़ा और संदिग्ध खेल

सबसे चौंकाने वाला मामला हैंडपंप रिपेयरिंग से जुड़ा है। बार-बार एक ही फर्म अग्रहरि एंड संस के नाम से लगभग 19–20 हजार रुपये के भुगतान किए गए हैं। कई भुगतान एक ही तारीख में दर्ज हैं, जबकि गांव के हैंडपंप आज भी खराब हालत में पड़े हैं।

यह सवाल बेहद गंभीर है कि जब हैंडपंपों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ, तो फिर रिपेयरिंग के नाम पर यह राशि किस काम के लिए निकाली गई? क्या यह केवल बिल बनाकर सरकारी धन निकालने की प्रक्रिया थी?

स्टेशनरी, प्रिंटर और छोटे कार्यों में भी अनियमितता

पंचायत भवन के लिए बैटरी, प्रिंटर, टोनर, एसएसडी कार्ड, एंगल-जाली और स्टेशनरी के नाम पर भी हजारों रुपये का भुगतान विभिन्न फर्मों को किया गया। सवाल यह है कि क्या इन सामग्रियों की वास्तविक जरूरत थी और क्या वे पंचायत में आज भी मौजूद हैं?

ग्राम प्रधान-सचिव की भूमिका पर उठते सवाल

पूरे मामले में सबसे अहम सवाल ग्राम प्रधान और पंचायत सचिव की भूमिका को लेकर है। बिना भौतिक सत्यापन, बिना गुणवत्ता जांच और बिना जन-सहमति के इतनी बड़ी धनराशि का भुगतान कैसे कर दिया गया? क्या यह सब उच्च अधिकारियों की जानकारी में था या फिर आंख मूंदकर सब कुछ होने दिया गया?

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सरकार गांवों के विकास के लिए हर साल लाखों रुपये भेजती है, ताकि बुनियादी सुविधाएं बेहतर हो सकें। लेकिन जब यही धन फर्जी बिलों और कागज़ी विकास में खप जाए, तो जनता का भरोसा टूटता है। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस मामले में निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करता है या फिर यह फर्जीवाड़ा यूं ही चलता रहेगा।

सवाल-जवाब

ग्राम पंचायत चंद्रामारा में मुख्य आरोप क्या हैं?

बिना कार्य कराए या घटिया गुणवत्ता के कार्य दिखाकर लाखों रुपये का फर्जी भुगतान करने के आरोप हैं।

सबसे संदिग्ध भुगतान कौन सा माना जा रहा है?

हैंडपंप रिपेयरिंग के नाम पर बार-बार और एक ही तारीख में किए गए भुगतान सबसे ज्यादा संदिग्ध हैं।

ग्रामीणों की क्या मांग है?

ग्रामीण निष्पक्ष जांच, भौतिक सत्यापन और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

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