ब्रज 84 कोस यात्रा में उमड़ी आस्था
कामवन में विमल बिहारी धाम बना भक्ति का केंद्र




हिमांशु मोदी की रिपोर्ट
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ब्रजभूमि की पावन धरा एक बार फिर आस्था, भक्ति और अध्यात्म के महासागर में डूबी नजर आई, जब ब्रज 84 कोस यात्रा के दौरान हजारों श्रद्धालु कामवन पहुंचे। भागवत रसिक संत श्रद्धेय अवधेश दास महाराज, सांपला अजमेर के पावन सानिध्य में भक्तों ने मुख्य मंदिर विमल बिहारी जी के दर्शन-पूजन किए और तीर्थराज विमलकुंड में दीप प्रज्ज्वलित कर अपनी-अपनी मनोकामनाएं अर्पित कीं। चारों ओर “हरे कृष्ण”, “राधे-राधे” और जयकारों की गूंज ने वातावरण को पूर्णतः भक्तिमय बना दिया।

कामवन सदियों से ब्रज 84 कोस यात्रा का प्रमुख केंद्र माना जाता रहा है। यह वही पावन भूमि है जहां श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं, रास-लीलाओं और गोचारण से जुड़ी अनगिनत स्मृतियां आज भी जीवंत हैं। यहां के प्राचीन मंदिर, पौराणिक कुंड और तपस्वियों की साधना स्थली ब्रज संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं, जो केवल धार्मिक आस्था ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक चेतना को भी सहेज कर रखती हैं।

इस यात्रा के दौरान विमल बिहारी मंदिर और विमलकुंड श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बने। हजारों की संख्या में पहुंचे भक्तों ने क्रमबद्ध रूप से दर्शन किए, जल, फूल, दीप और भावनाओं के साथ श्रीविग्रह की पूजा की। दीपों की पंक्तियों से आलोकित विमलकुंड का दृश्य मानो साक्षात वैकुंठ का आभास करा रहा था। भक्तों का कहना था कि यहां पहुंचते ही मन स्वतः शांत हो जाता है और हृदय किसी अनजानी दिव्यता से भर उठता है।

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मुख्य मंदिर विमल बिहारी जी के सेवायत संजय लवानिया ने यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं को विमल बिहारी और विमलकुंड के आध्यात्मिक महात्म्य का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने बताया कि अनेकों पुराणों और शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि विमलकुंड और विमल बिहारी के दर्शन मात्र से समस्त पापों का नाश हो जाता है। यह भूमि केवल एक तीर्थ नहीं, बल्कि श्रीकृष्ण के बाल्यकाल की असंख्य लीलाओं का सजीव साक्ष्य है।

संजय लवानिया ने कहा कि कामवन में विराजित इन दिव्य स्थलों के दर्शन से मन को अद्भुत शांति, आनंद और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। यही कारण है कि देश-विदेश से असंख्य तीर्थयात्री वर्ष भर यहां आते रहते हैं। ब्रज मंडल के दर्शन और पूजा का जो उद्देश्य है, उसकी पूर्णता कामवन आए बिना संभव नहीं मानी जाती। श्रद्धालुओं की मान्यता है कि “कामवन जाए ते काम बन जात है”, अर्थात यहां आकर भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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ब्रज की दिव्यता केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है। यह भूमि संस्कृति, परंपरा और लोक आस्था की जीवंत प्रयोगशाला है। यात्रा के दौरान लगातार गूंजते भजन, संकीर्तन और हरिनाम के जाप ने वातावरण को ऐसा बांध दिया कि राह चलते लोग भी अनायास ही भक्ति में डूबते चले गए। कई श्रद्धालु भावविभोर होकर नृत्य करते दिखे तो कई ध्यानमग्न होकर कुंड के तट पर बैठे रहे।

श्रद्धेय अवधेश दास महाराज के सानिध्य ने इस यात्रा को और भी विशेष बना दिया। उनके प्रवचनों और सान्निध्य से भक्तों को यह अनुभूति हुई कि ब्रज यात्रा केवल पैरों की परिक्रमा नहीं बल्कि आत्मा की यात्रा है। महाराज के सेवाधिकारी विक्रम लवानिया द्वारा उन्हें उपन्ना ओढ़ाकर सम्मानित किया गया, जो ब्रज की पारंपरिक आतिथ्य संस्कृति का प्रतीक है।

कामवन में स्थित विमलकुंड को तीर्थराज की संज्ञा दी गई है। मान्यता है कि इस कुंड में स्नान और दीपदान से जन्म-जन्मांतर के दोष नष्ट हो जाते हैं। इसी आस्था के साथ श्रद्धालुओं ने कुंड के तट पर दीप जलाए और अपने परिवार, समाज व राष्ट्र की मंगलकामना की। दीपों की झिलमिल रोशनी और मंत्रोच्चार ने वहां उपस्थित हर व्यक्ति को एक अलौकिक अनुभव प्रदान किया।

श्रद्धालुओं का कहना था कि जिस आनंद और शांति की अनुभूति कामवन में होती है, वह अन्यत्र दुर्लभ है। यहां के कण-कण में कृष्ण लीला की स्मृति बसती है। यही कारण है कि ब्रज 84 कोस यात्रा में कामवन का विशेष स्थान है और यहां पहुंचकर यात्रा मानो अपने चरम आध्यात्मिक शिखर को छू लेती है।

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इस प्रकार ब्रज 84 कोस यात्रा के दौरान कामवन, विमल बिहारी मंदिर और विमलकुंड एक बार फिर श्रद्धा, भक्ति और सांस्कृतिक चेतना के जीवंत केंद्र के रूप में उभरे। हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने यह सिद्ध कर दिया कि ब्रज की परंपरा आज भी उतनी ही सजीव है जितनी सदियों पहले थी।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

ब्रज 84 कोस यात्रा का धार्मिक महत्व क्या है?

ब्रज 84 कोस यात्रा श्रीकृष्ण से जुड़े प्रमुख लीला स्थलों की परिक्रमा है, जिसे करने से भक्त को आध्यात्मिक शांति और पुण्य की प्राप्ति होती है।

कामवन को ब्रज यात्रा का केंद्र क्यों माना जाता है?

कामवन श्रीकृष्ण की अनेक बाल लीलाओं का साक्षी रहा है और यहां चारों धामों का वास माना जाता है, इसलिए इसका विशेष महत्व है।

विमलकुंड में दीप प्रज्ज्वलन का क्या महत्व है?

मान्यता है कि विमलकुंड में दीपदान से पापों का नाश होता है और भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

विमल बिहारी मंदिर के दर्शन से क्या लाभ होता है?

शास्त्रों के अनुसार विमल बिहारी के दर्शन मात्र से मन को शांति, आनंद और आध्यात्मिक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।

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