
ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
धर्मांतरण का नया पैंतरा लखनऊ में उजागर
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मिशन शक्ति अभियान के दौरान एक ऐसा राज़ सामने आया जिसने प्रशासन को हिला दिया। जब अधिकारी वक्तौरी खेड़ा और खरगपुर समेत आसपास के गांवों में महिला चौपालों में पहुंचे तो उन्होंने कुछ अजीब नजारा देखा। यहां बैठी किसी भी महिला ने न तो सिंदूर लगाया था, न हाथों में चूड़ियां थीं और न ही पैरों में बिछिया।
हिंदू विवाहित महिलाओं की यह पारंपरिक पहचान न दिखने पर अधिकारियों को शक हुआ। आगे की जांच ने साबित किया कि यहां चल रहा था धर्मांतरण का नया पैंतरा, जिसमें पूरे गांव के लोग धीरे-धीरे अपनी परंपराएं छोड़कर एक नई धार्मिक पहचान अपना रहे थे।
मलखान मैथ्यू था धर्मांतरण का सरगना
पुलिस की जांच में सामने आया कि इस पूरे खेल के पीछे मलखान मैथ्यू नाम का शख्स था। यही व्यक्ति पूरे गिरोह का सरगना था और गांव-गांव जाकर ग्रामीणों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए उकसाता था।

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, मलखान लोगों को यह विश्वास दिलाता था कि अगर वे मूर्तिपूजा छोड़ देंगे और क्रॉस धारण करेंगे तो उन्हें भगवान से विशेष आशीर्वाद मिलेगा। यही नहीं, वह बीमारियों को ठीक करने और आर्थिक मदद का लालच देकर ग्रामीणों को धीरे-धीरे अपने जाल में फंसा लेता था।
इस तरह धर्मांतरण का नया पैंतरा गांवों में बड़े पैमाने पर फैलाया जा रहा था।
ब्रेनवॉश कर बनाते थे ईसाई
पुलिस की रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि गिरोह लोगों को सभाओं में बुलाता था। इन सभाओं में ग्रामीणों से कहा जाता था –
मूर्ति पूजा बंद करनी होगी।
शराब का त्याग करना होगा।
रुद्राक्ष की जगह क्रॉस पहनना होगा।
क्रॉस को पानी में डुबाकर पवित्र जल के रूप में पीना होगा।
इन तर्कों और लालच से ग्रामीणों का ब्रेनवॉश कर ईसाई बनाया जाता था। ग्रामीण धीरे-धीरे अपनी धार्मिक पहचान छोड़कर नए धर्म में शामिल होते जा रहे थे।
धर्मांतरण का नया पैंतरा व्हाट्सएप ग्रुप से
आज के डिजिटल दौर में धर्मांतरण का तरीका भी बदल गया है। मलखान मैथ्यू ने “जीसस हीलिंग सभा” नाम से एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था। इस ग्रुप में ग्रामीणों को जोड़ा जाता और रोज़ाना संदेश भेजे जाते।
इन संदेशों में लिखा होता –
“ईश्वर ने आप सभी को एक नेक काम के लिए भेजा है। जितने ज्यादा लोगों को प्रार्थना में शामिल करेंगे, उतना ज्यादा आशीर्वाद मिलेगा।”
यानी धर्मांतरण का नया पैंतरा सिर्फ सभाओं तक सीमित नहीं था, बल्कि सोशल मीडिया और व्हाट्सएप के ज़रिए भी फैलाया जा रहा था।
आर्थिक मदद और विदेशी फंडिंग की जांच
एसीपी रजनीश वर्मा ने बताया कि धर्मांतरण के बाद गिरोह ग्रामीणों की आर्थिक मदद करता था। इससे लोगों को भरोसा हो जाता कि नया धर्म अपनाने से उनका जीवन सुधर सकता है। हालांकि, इस आर्थिक मदद के स्रोत पर पुलिस की जांच अभी जारी है।
यह भी शक जताया जा रहा है कि इस पूरे खेल में कहीं न कहीं विदेशी फंडिंग का सहारा लिया गया है। अगर यह सच है तो मामला और भी गंभीर हो सकता है।
मिशन शक्ति अभियान बना धर्मांतरण का पर्दाफाश
दरअसल, मिशन शक्ति अभियान का मकसद महिलाओं को जागरूक करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। लेकिन लखनऊ में जब अधिकारी गांव-गांव पहुंचे, तो इस दौरान धर्मांतरण का नया पैंतरा भी सामने आ गया।
अधिकारियों का कहना है कि अगर समय रहते यह सच सामने न आता तो कई और गांव धीरे-धीरे प्रभावित हो सकते थे।
धर्मांतरण का नया पैंतरा और बड़ा सवाल
यह पूरा मामला एक बड़ा सवाल खड़ा करता है – आखिर ग्रामीणों की कमजोर आर्थिक स्थिति और आस्था के साथ कब तक खिलवाड़ होता रहेगा? जब सरकार समाज सुधार और विकास की योजनाएं चला रही है, तब इस तरह का धर्मांतरण का नया पैंतरा सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने का काम कर रहा है।
लखनऊ में सामने आया यह केस बताता है कि धर्मांतरण के तरीके अब और भी आधुनिक और चालाक हो गए हैं। कभी आर्थिक मदद का लालच, कभी बीमारियों को ठीक करने का झांसा और अब सोशल मीडिया का इस्तेमाल – यह सब मिलकर एक बड़ी चुनौती बन गया है।
पुलिस ने इस गिरोह का पर्दाफाश कर दिया है, लेकिन जांच अभी जारी है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन और सरकार इस तरह के नए पैंतरों से निपटने के लिए क्या ठोस कदम उठाती है।