उत्तर प्रदेश में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही सुरक्षा एजेंसियों की निर्णायक लड़ाई को उस वक्त बड़ी सफलता मिली,
जब उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ता (ATS)
ने प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन सीपीआई (माओवादी)
के एक शीर्ष और लंबे समय से फरार चल रहे सदस्य
सीताराम उर्फ विनय जी उर्फ ओमप्रकाश उर्फ धनु को गिरफ्तार कर लिया।
यह गिरफ्तारी केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि नक्सली नेटवर्क की उस जड़ पर प्रहार मानी जा रही है,
जो वर्षों से अलग-अलग राज्यों में छिपकर संगठन को जीवित रखने का प्रयास कर रहा था।
एटीएस सूत्रों के मुताबिक, सीताराम मूल रूप से
बलिया जिले का रहने वाला है और
पिछले करीब 13 वर्षों से फरार चल रहा था।
उस पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित था।
लगातार नाम और भेष बदलकर रहने की उसकी रणनीति ने सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती जरूर पैदा की,
लेकिन खुफिया तंत्र की सतत निगरानी ने आखिरकार उसे बेनकाब कर दिया।
एटीएस ने उसे
काशी रेलवे स्टेशन
से गिरफ्तार किया।
बताया जा रहा है कि वह लंबे समय से
वाराणसी
और आसपास के क्षेत्रों में अपनी गतिविधियों को लेकर सक्रिय था,
लेकिन पहचान छिपाने के लिए वह साधारण नागरिक की तरह रह रहा था।
खुफिया सूचना और सुनियोजित ऑपरेशन
एटीएस को लंबे समय से यह इनपुट मिल रहा था कि सीपीआई (माओवादी) का यह शीर्ष सदस्य
लगातार राज्यों की सीमाएं बदलते हुए छिपकर रह रहा है।
खुफिया एजेंसियों ने उसकी गतिविधियों, संपर्कों और यात्रा पैटर्न पर महीनों तक निगरानी रखी।
आखिरकार 15 दिसंबर को पुख्ता सूचना के आधार पर एटीएस की टीम ने जाल बिछाया
और काशी रेलवे स्टेशन परिसर से उसे दबोच लिया।
अधिकारियों के अनुसार, गिरफ्तारी के समय आरोपी किसी को शक न हो,
इसलिए सामान्य यात्री की तरह व्यवहार कर रहा था।
उसके पास से कई दस्तावेज और संचार से जुड़े अहम सुराग मिलने की भी संभावना जताई जा रही है,
जिनकी गहन जांच की जा रही है।
1986 से माओवादी संगठन में सक्रिय रहा सीताराम
जांच में सामने आया है कि सीताराम ने साल 1986 में घर छोड़कर
माओवादी संगठन की राह पकड़ ली थी।
1990 आते-आते वह संगठन में इतना प्रभावशाली हो चुका था कि उसे
सेकेंड सेंट्रल कमेटी (2nd CC) का
जोनल सेक्रेटरी बना दिया गया।
यह पद संगठन में नीति निर्धारण और रणनीति तय करने के लिहाज से बेहद अहम माना जाता है।
इतना ही नहीं, 21 सितंबर 2004 को
एमसीसी और पीडब्ल्यूजी के विलय से बनी सीपीआई (माओवादी) पार्टी की
महत्वपूर्ण बैठक में भी उसकी मौजूदगी दर्ज की गई थी।
इस बैठक के बाद उसे जन आंदोलन के विस्तार की जिम्मेदारी सौंपी गई,
जिसका मकसद शहरी और ग्रामीण इलाकों में संगठन की जड़ें मजबूत करना था।
शहरी नेटवर्क और ओवर ग्राउंड वर्कर्स से संपर्क
एटीएस की प्रारंभिक पूछताछ में यह भी सामने आया है कि सीताराम की बैठकों में
शहरी क्षेत्रों के ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW) भी शामिल होते थे।
ये वही लोग होते हैं जो सीधे हथियार नहीं उठाते,
लेकिन संगठन के लिए सुरक्षित ठिकाने, फंडिंग और सूचनाओं का इंतजाम करते हैं।
इससे यह साफ होता है कि आरोपी का नेटवर्क सिर्फ जंगलों तक सीमित नहीं था,
बल्कि शहरों तक फैला हुआ था।
जघन्य अपराधों का लंबा इतिहास
सीताराम पर कई जघन्य अपराधों में शामिल होने के गंभीर आरोप हैं।
साल 2012 में
बलिया जिले के सहतवार थाना क्षेत्र के अतरडरिया गांव में
उसने अपने साथियों के साथ मिलकर ग्राम प्रधान मुसाफिर चौहान की पत्नी
फूलमति की हत्या कर दी थी।
पुलिस के मुताबिक, ग्राम प्रधान पर मुखबिरी का संदेह था
और उसकी हत्या की भी साजिश रची गई थी,
हालांकि वह किसी तरह बच गया।
इस मामले में आरोपी के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ
और तभी से वह फरार चल रहा था।
2023 की बैठक और NIA जांच
15 अगस्त 2023 को भी सीताराम अपने साथियों के साथ
एक अहम बैठक कर रहा था।
इस दौरान एटीएस ने छापा मारकर उसके कई प्रमुख सहयोगियों को गिरफ्तार किया,
जिनके पास से नक्सली साहित्य और हथियार बरामद हुए।
हालांकि, उस वक्त सीताराम मौके से फरार हो गया था।
इस मामले में लखनऊ एटीएस में दर्ज मुकदमे की विवेचना अब
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA)
द्वारा की जा रही है,
जिससे यह संकेत मिलता है कि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से सीधे जुड़ा हुआ है।
बिहार में भी दर्ज हैं कई संगीन मामले
सीताराम का आपराधिक इतिहास केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है।
बिहार के
मुजफ्फरपुर,
बांका
और
सीतामढ़ी
जिलों में भी उसके खिलाफ
बैंक डकैती, हत्या, मारपीट और अवैध हथियार रखने जैसे
कई गंभीर मुकदमे दर्ज हैं।
पूछताछ से खुल सकते हैं कई बड़े राज
एटीएस अधिकारियों का कहना है कि आरोपी से गहन पूछताछ की जा रही है।
उम्मीद है कि उससे संगठन के अन्य सक्रिय सदस्यों,
फंडिंग नेटवर्क और शहरी ठिकानों से जुड़ी
अहम जानकारियां सामने आएंगी।
इन सूचनाओं के आधार पर आने वाले दिनों में
और भी गिरफ्तारियां तथा बड़े खुलासे संभव हैं।
❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
सीताराम की गिरफ्तारी कहां से हुई?
सीताराम को वाराणसी के काशी रेलवे स्टेशन से यूपी ATS ने गिरफ्तार किया।
सीताराम पर कितने समय से इनाम घोषित था?
उस पर पिछले कई वर्षों से 50 हजार रुपये का इनाम घोषित था।
सीताराम किन-किन अपराधों में शामिल रहा है?
उस पर हत्या, बैंक डकैती, अवैध हथियार रखने और नक्सली गतिविधियों में शामिल रहने के गंभीर आरोप हैं।
इस मामले की जांच अब कौन कर रहा है?
इससे जुड़े एक बड़े मामले की जांच वर्तमान में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कर रही है।






