लखनऊ में मानवता पर सवाल : निजी अस्पताल के कर्मचारियों पर सरकारी अस्पताल में शव छोड़ने का गंभीर आरोप

कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
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लोकबंधु अस्पताल की इमरजेंसी के बाहर घंटों पड़ा रहा शव, सीसीटीवी फुटेज से खुलासा

Lucknow Hospital Emergency

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सामने आई यह घटना न केवल स्वास्थ्य व्यवस्था की संवेदनशीलता पर सवाल उठाती है, बल्कि निजी अस्पतालों की जवाबदेही और मानवीय मूल्यों पर भी गहरी चोट करती है। आरोप है कि एक निजी अस्पताल के कर्मचारियों ने इलाज के दौरान मौत के बाद मृतक के परिजनों को सूचना दिए बिना शव को एम्बुलेंस में डालकर सरकारी अस्पताल की इमरजेंसी के बाहर छोड़ दिया। यह मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य महकमे से लेकर आम नागरिकों तक में रोष और चिंता दोनों दिखाई दे रही हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, सरोजिनी नगर निवासी कर्मवीर सिंह की तबीयत अचानक बिगड़ने पर परिजन उन्हें नजदीकी निजी अस्पताल लेकर पहुंचे थे। वहां इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने न तो समय रहते परिजनों को समुचित जानकारी दी और न ही शव के विधिसम्मत हस्तांतरण की प्रक्रिया अपनाई। इसके बजाय, दो कर्मचारियों द्वारा शव को एम्बुलेंस से सरकारी अस्पताल ले जाकर इमरजेंसी गेट के बाहर स्ट्रेचर पर छोड़ दिया गया।

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घटना की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शव कई घंटों तक इमरजेंसी वार्ड के बाहर पड़ा रहा। इस दौरान न तो किसी जिम्मेदार अधिकारी की नजर पड़ी और न ही तत्काल पुलिस को सूचना दी गई। बाद में जब अस्पताल कर्मचारियों की नजर पड़ी, तब जाकर पुलिस को सूचित किया गया। यह देरी व्यवस्था की लापरवाही को उजागर करती है और यह सवाल खड़ा करती है कि आखिर ऐसी स्थिति में निगरानी तंत्र क्यों विफल रहा।

सीसीटीवी फुटेज में निजी अस्पताल के दो कर्मचारियों को स्ट्रेचर के साथ इमरजेंसी गेट तक आते और शव को छोड़कर जाते हुए देखा गया है। फुटेज सामने आने के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया। पुलिस ने शव की तलाशी के दौरान जेब में मिले कागजात के आधार पर मृतक की पहचान की और परिजनों से संपर्क किया। इसके बाद परिजनों ने निजी अस्पताल पर घोर लापरवाही का आरोप लगाते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की।

स्वास्थ्य विभाग ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए निजी अस्पताल को नोटिस जारी किया है। सीएमओ कार्यालय की ओर से स्पष्ट किया गया है कि यदि जांच में आरोप सही पाए जाते हैं तो संबंधित अस्पताल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसमें लाइसेंस निलंबन से लेकर कानूनी दंड तक की संभावना जताई जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि किसी भी हाल में मानवीय गरिमा से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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यह घटना केवल एक अस्पताल या एक परिवार तक सीमित नहीं है। यह उस व्यापक समस्या की ओर इशारा करती है, जहां मुनाफे की दौड़ में स्वास्थ्य सेवाएं अपने मूल उद्देश्य—मानव सेवा—से भटकती नजर आती हैं। निजी अस्पतालों की भूमिका इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि आपात स्थितियों में लोग इन्हीं पर भरोसा करते हैं। ऐसे में जिम्मेदारी और पारदर्शिता की अपेक्षा और बढ़ जाती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि मृतक के शव के साथ किया गया व्यवहार न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि कानूनन भी दंडनीय है। अस्पतालों पर यह कानूनी दायित्व होता है कि वे मृत्यु के बाद आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करें, परिजनों को सूचित करें और शव का सम्मानजनक हस्तांतरण सुनिश्चित करें। इस मामले में यदि आरोप सिद्ध होते हैं तो यह नियमों का सीधा उल्लंघन माना जाएगा।

घटना के बाद स्थानीय नागरिक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि स्वास्थ्य सेवाओं में जवाबदेही तय करने के लिए निगरानी तंत्र को और मजबूत किया जाना चाहिए। साथ ही, सीसीटीवी जैसे साक्ष्यों के आधार पर त्वरित कार्रवाई से ही आम जनता का भरोसा बहाल हो सकता है।

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पुलिस का कहना है कि मामले की जांच जारी है और सभी पहलुओं की पड़ताल की जा रही है। सीसीटीवी फुटेज, एम्बुलेंस लॉग, अस्पताल के रिकॉर्ड और कर्मचारियों के बयान—सभी साक्ष्यों के आधार पर निष्कर्ष निकाला जाएगा। परिजनों को आश्वासन दिया गया है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

यह प्रकरण प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और निजी अस्पतालों—तीनों के लिए चेतावनी है। समय की मांग है कि नियमों का सख्ती से पालन हो, मानवीय संवेदनाओं को प्राथमिकता मिले और किसी भी स्तर पर लापरवाही पाए जाने पर तत्काल दंड सुनिश्चित किया जाए। तभी ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सकेगी।

सवाल–जवाब

यह घटना कहां की है?

यह मामला लखनऊ में लोकबंधु राज नारायण अस्पताल की इमरजेंसी से जुड़ा है, जहां शव छोड़े जाने का आरोप है।

मृतक की पहचान कैसे हुई?

पुलिस ने शव की जेब से मिले कागजात के आधार पर मृतक की पहचान की और परिजनों से संपर्क किया।

निजी अस्पताल पर क्या कार्रवाई हो सकती है?

जांच में आरोप सही पाए जाने पर नोटिस के बाद लाइसेंस निलंबन और कानूनी कार्रवाई संभव है।

सीसीटीवी फुटेज में क्या सामने आया?

फुटेज में दो कर्मचारी स्ट्रेचर के साथ शव को इमरजेंसी गेट के बाहर छोड़ते हुए दिख रहे हैं।

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