📝 सुमित गुप्ता की रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से सामने आया यह मामला केवल एक जघन्य हत्या नहीं, बल्कि घरेलू हिंसा, नशे की लत और रिश्तों में पनपते आक्रोश का भयावह परिणाम है। पुलिस ने एक ऐसे ब्लाइंड मर्डर का पर्दाफाश किया है, जिसने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया। शुरुआती जांच में कोई सुराग नहीं—न गवाह, न स्पष्ट सबूत। लेकिन सघन तकनीकी पड़ताल और मानवीय खुफिया सूचना के सहारे अंततः यह रहस्य खुला कि हत्या किसी बाहरी दुश्मन ने नहीं, बल्कि पीड़ित की सास ने कराई थी।
कालिका नगर में मिली लाश, पहचान मिटाने की कोशिश
मामला सिरगिट्टी थाना क्षेत्र के कालिका नगर तिफरा का है, जहां एक युवक की लाश संदिग्ध हालात में मिली। शव की पहचान छिपाने की कोशिश साफ दिख रही थी। पुलिस के लिए यह शुरुआत से ही एक कठिन चुनौती थी, क्योंकि घटनास्थल पर कोई प्रत्यक्ष संकेत मौजूद नहीं था। जांच आगे बढ़ी तो मृतक की पहचान 24 वर्षीय साहिल कुमार पाटले के रूप में हुई, जो जांजगीर-चांपा जिले के बालौदा थाना क्षेत्र स्थित मोहनपुर का निवासी था।
ब्लाइंड मर्डर—जब सुराग शून्य हों
पुलिस के सामने सबसे बड़ी समस्या यही थी कि यह एक ब्लाइंड मर्डर था। घटनास्थल पर न हथियार मिला, न किसी तरह का प्रत्यक्ष सबूत। ऐसे मामलों में समय के साथ सुराग ठंडे पड़ जाते हैं। इसी चुनौती को देखते हुए पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह के निर्देश पर एक अनुभवी टीम गठित की गई। टीम ने पारंपरिक जांच के साथ-साथ तकनीकी विश्लेषण और स्थानीय नेटवर्क को सक्रिय किया।
100 से अधिक CCTV फुटेज खंगाले गए
जांच दल ने आसपास के इलाकों, मुख्य सड़कों, चौराहों और संभावित मूवमेंट रूट्स के 100 से अधिक सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली। यह प्रक्रिया समयसाध्य थी, लेकिन इसी मेहनत ने केस की दिशा बदली। कुछ संदिग्ध गतिविधियां कैमरों में कैद मिलीं, जिनके आधार पर पुलिस ने संदिग्धों का दायरा तय किया।
घरेलू हिंसा की परतें खुलीं
पूछताछ में सामने आया कि साहिल शराब का आदी था और नशे में अपनी पत्नी वर्षा के साथ मारपीट करता था। यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा था। पीड़िता वर्षा अपनी आपबीती बार-बार अपनी मां सरोजनी खूंटे को बताती थी। मां के लिए यह असहनीय था कि बेटी रोज़ शारीरिक और मानसिक हिंसा झेले। यही पीड़ा धीरे-धीरे आक्रोश में बदली और आक्रोश ने अपराध का रूप ले लिया।
एक लाख की सुपारी, 8 हजार एडवांस
पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि सास सरोजनी खूंटे ने दामाद की हत्या के लिए दो सुपारी किलर्स को एक लाख रुपये देने की डील की। शुरुआत में 8 हजार रुपये एडवांस दिए गए। योजना के अनुसार हत्या को अंजाम दिया गया और शव को ऐसे ठिकाने लगाया गया कि पहचान न हो सके। आरोपियों को भरोसा था कि मामला हमेशा के लिए अंधेरे में दब जाएगा।
मुखबिर तंत्र और सख्ती से टूटी साजिश
सीसीटीवी से मिले क्लू के साथ-साथ पुलिस ने अपने मुखबिर तंत्र को सक्रिय किया। कुछ संदिग्धों को हिरासत में लेकर सख्ती से पूछताछ की गई। आखिरकार पूरी कहानी सामने आ गई। पुलिस ने विधवा वर्षा खुंटे (20), उसकी मां सरोजनी खूंटे (38) सहित कुल चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में आरोपियों ने अपराध स्वीकार किया।
कानूनी कार्रवाई और सामाजिक सवाल
थाना चकरभाठा, जिला बिलासपुर पुलिस के अनुसार आरोपियों के खिलाफ सुसंगत धाराओं में कार्रवाई जारी है। यह मामला समाज के सामने कई कठिन सवाल खड़े करता है—क्या घरेलू हिंसा की समय रहते रोकथाम हो पाती तो यह अपराध टल सकता था? क्या नशे की लत और पारिवारिक कलह के लिए प्रभावी सामाजिक हस्तक्षेप की जरूरत नहीं?
यह घटना बताती है कि पीड़ा जब संवाद और न्याय के रास्ते नहीं पाती, तो विनाशकारी निर्णय जन्म लेते हैं। कानून अपना काम करेगा, लेकिन समाज के लिए यह चेतावनी है कि घरेलू हिंसा को अनदेखा करना अंततः बड़े अपराधों का कारण बन सकता है। समय पर काउंसलिंग, कानूनी मदद और सामाजिक समर्थन ही ऐसे त्रासद परिणामों को रोक सकते हैं।
❓ यह मामला ब्लाइंड मर्डर क्यों माना गया?
क्योंकि घटनास्थल पर कोई प्रत्यक्ष सबूत या गवाह नहीं था और पहचान मिटाने की कोशिश की गई थी।
❓ हत्या की साजिश किसने रची?
पुलिस के अनुसार मृतक की सास सरोजनी खूंटे ने सुपारी देकर साजिश रची।
❓ जांच में निर्णायक भूमिका किसकी रही?
सीसीटीवी फुटेज की गहन जांच, मुखबिर तंत्र और पुलिस की सख्त पूछताछ निर्णायक रही।
❓ इस मामले से क्या सामाजिक सीख मिलती है?
घरेलू हिंसा और नशे की लत को समय रहते संबोधित करना बेहद जरूरी है, ताकि अपराध न पनपें।






