नवजात शिशु की मौत तो बहाना… मकसद सिर्फ पैसे ऐंठना? चित्रकूट का चंद्रकमल हॉस्पिटल विवाद फिर सुर्ख़ियों में

संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

चित्रकूट। जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर लगातार उठ रही शंकाओं और विवादों के बीच चंद्रकमल हॉस्पिटल, कालूपुर पाही (ट्रांसपोर्ट नगर) कर्वी का एक और मामला गंभीर बहस का विषय बन गया है। जहां एक नवजात शिशु की मौत को आधार बनाकर चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाया गया, वहीं जांच में सामने आया कि शिकायतकर्ता स्वयं अस्पताल संचालक से कथित रूप से मोटी रकम की मांग कर रहा था। पूरा प्रकरण अब रंगदारी की दिशा में मुड़ता दिखाई दे रहा है।

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मामला 17 अक्टूबर 2025 की सुबह 5:26 बजे शुरू होता है, जब धौहाई पुरवा इटवा निवासी राजकिशोर अपनी पत्नी नेहा को प्रसव पीड़ा बढ़ने पर पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामनगर ले गया और वहां से उसे चंद्रकमल हॉस्पिटल रेफर किया गया। चिकित्सकों ने जांच के बाद बताया कि नवजात की हार्टबीट कमजोर है और पेट में लैट्रिन हो चुका है। स्थिति को गंभीर बताते हुए तत्काल ऑपरेशन की सहमति ली गई, जिस पर परिजन राज़ी हो गए।

ऑपरेशन के दौरान ही नवजात शिशु की मौत हो गई। अस्पताल प्रशासन के अनुसार, चिकित्सकीय प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ हुई थी और परिवार को स्थिति लगातार समझाई जाती रही। ऑपरेशन का खर्च 20 हजार रुपये बताया गया, जिसमें से राजकिशोर ने 5 हजार रुपये जमा किए।

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ऑपरेशन थिएटर में प्रवेश से रोका, फिर हुआ विवाद

24 अक्टूबर की शाम लगभग 6 बजे प्रसूता का पति राजकिशोर और उसके जीजा प्रमोद कुमार वर्मा ने ऑपरेशन थिएटर में जाने की कोशिश की, जहां नर्सिंग स्टाफ ने नियमों का हवाला देकर उन्हें रोक दिया। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच बहस, गाली-गलौज और अभद्रता भी हुई, हालांकि बाद में आपसी समझौता कर मामला रफा-दफा कर दिया गया।

अस्पताल रिकार्ड के अनुसार 25 अक्टूबर को 4:40 बजे प्रसूता को छुट्टी दे दी गई। इस दौरान राजकिशोर ने 4 हजार रुपये और दिए तथा 11 हजार रुपये बाद में देने की बात कही। प्रसूता के घर जाने तक किसी भी प्रकार की शिकायत नहीं की गई।

एक माह बाद अचानक आरोप, डॉक्टरों पर लापरवाही की शिकायत

करीब एक माह बाद राजकिशोर द्वारा चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज की गई। यहां से मामला और उलझता है, क्योंकि अस्पताल प्रबंधन का आरोप है कि शिकायत दर्ज करना सिर्फ एक दबाव बनाने की रणनीति थी।

अस्पताल संचालक अमित कुमार का कहना है कि शिकायतकर्ता पक्ष उनके ऊपर लगातार आर्थिक दबाव बना रहा है। पहले 5 लाख रुपये की मांग रखी गई, लेकिन बाद में प्रमोद कुमार वर्मा ने इसे घटाकर 1 लाख रुपये पर कर दिया। जब हॉस्पिटल ने पैसे देने से साफ इनकार कर दिया, तो कथित तौर पर शिकायतकर्ता का भाई — जो एक निजी संगठन में प्रभावशाली पद पर कार्यरत है — अस्पताल पहुंचा और स्टाफ पर रौब झाड़ते हुए पैसे देने का दबाव बनाया।

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“फर्जी शिकायतों से परेशान हैं, रंगदारी मांगने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे’’ — अस्पताल संचालक

अस्पताल संचालक अमित कुमार का कहना है कि उन्हें लगातार धमकाया जा रहा है और झूठी शिकायतों के जरिए मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है।

अमित कुमार ने कहा —

“शिकायतकर्ता राजकिशोर और उसके परिजन शुरुआत से ही पैसे ऐंठने की नीयत से दबाव बना रहे हैं। मेडिकल दस्तावेज़ स्पष्ट बताते हैं कि प्रसूता की स्थिति पहले से ही जटिल थी। नवजात की मौत एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, लेकिन इसके नाम पर हमसे लाखों रुपये मांगना रंगदारी के अलावा और कुछ नहीं है। जल्द ही हम सदर कोतवाली कर्वी में प्रार्थना पत्र देकर कानूनी कार्रवाई की मांग करेंगे।”

क्या रंगदारी के लिए गढ़ी गई ‘लापरवाही’? मामला गंभीर

जांच रिपोर्ट और अस्पताल के दस्तावेजों में कहीं भी चिकित्सकीय गलती का उल्लेख नहीं मिला है, लेकिन शिकायतकर्ता द्वारा बार-बार धनराशि मांगने का आरोप पूरे प्रकरण को संदिग्ध बनाता है।

चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि जटिल प्रसव के दौरान जोखिम हमेशा बना रहता है। ऐसे में नवजात की मौत को आधार बनाकर अस्पताल पर दबाव बनाना और आर्थिक लाभ उठाना एक खतरनाक प्रवृत्ति है।

यदि अस्पताल संचालक के आरोप सही पाए गए, तो यह मामला सिर्फ चिकित्सकीय विवाद नहीं, बल्कि संगठित रंगदारी का गंभीर अपराध माना जाएगा।

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स्थानीय प्रशासन क्या कदम उठाएगा?

अस्पताल प्रबंधन द्वारा जल्द ही आधिकारिक शिकायत देने की बात कही गई है। इसके बाद पुलिस की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले को पारदर्शी जांच के साथ आगे बढ़ाता है या फिर यह भी कई विवादित मामलों की तरह फाइलों में दबकर रह जाता है।

फिलहाल यह पूरा प्रकरण चित्रकूट में स्वास्थ्य सेवाओं की साख, मरीजों की उम्मीदों और निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर रहा है।

क्लिकेबल सवाल–जवाब

1. क्या नवजात शिशु की मौत चिकित्सकीय लापरवाही से हुई?

अस्पताल का दावा है कि प्रसूता की स्थिति पहले से गंभीर थी। दस्तावेज़ों में किसी चिकित्सकीय लापरवाही का उल्लेख नहीं मिला है।

2. शिकायतकर्ता ने अस्पताल से पैसे क्यों मांगे?

अस्पताल संचालक का आरोप है कि शिकायतकर्ता ने पांच लाख रुपये की मांग की थी जिसे बाद में घटाकर एक लाख रुपये कर दिया गया।

3. आगे इस मामले में क्या कार्रवाई हो सकती है?

अस्पताल प्रबंधन पुलिस में शिकायत देगा, जिसके बाद रंगदारी और धमकी के आरोपों पर जांच होगी।

4. प्रशासन की भूमिका क्या रहेगी?

प्रशासन को दोनों पक्षों के बयान, दस्तावेज़ और फोन रिकॉर्ड के आधार पर जांच करनी होगी। यदि रंगदारी साबित होती है तो कड़ी कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

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