
वृंदावन के नामचीन और लोकप्रिय कथावाचक **इंद्रेश उपाध्याय** इन दिनों सोशल मीडिया के केंद्र में बने हुए हैं। वजह है—उनकी हाल ही में संपन्न हुई **शाही और हाई-प्रोफाइल शादी**, जिसकी भव्य तस्वीरें इंटरनेट पर छा गईं। जहां एक ओर लोग उनकी शादी की वैभवशाली झलकियों को देखकर चकित हैं, वहीं दूसरी ओर इस समारोह ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। दरअसल, जिन गुरुदेव को लोग साधु-संन्यासी जीवन के उपदेशों के लिए जानते हैं, उन्हीं की आलीशान शादी ने सोशल मीडिया पर तीखी बहस छेड़ दी है।
✨ राजसी ठाठ वाली शादी और बढ़ते सवाल
इंद्रेश उपाध्याय की शादी किसी राजमहल के उत्सव जैसी दिखाई दी। भव्य लाइटिंग, गुलाबों से सजी विशाल माला-द्वार, मेहमानों की लंबी सूची और उच्च स्तर की व्यवस्थाएँ—सबकुछ देखने वालों को प्रभावित कर रहा था। हालांकि, इनके बीच यूजर्स को उनके पुराने प्रवचन याद आने लगे, जिनमें वे साधारणता, सादगी, अनावश्यक खर्च से बचने और दिखावे से दूर रहने की बात कहते नजर आते थे।
यही कारण है कि सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठाने लगे कि जब गुरु स्वयं ही सादगी की सीख देते हैं, तो ऐसी भव्य शादी क्या उनके उपदेशों का विरोधाभास नहीं है? कई कमेंट्स में लोग इस शादी को “दिखावे की चरम सीमा” तक बता रहे हैं।
📌 पुराने वीडियो ने बढ़ाया विवाद
विवाद की असली शुरुआत तब हुई जब एक **पुराना वीडियो वायरल** होने लगा। उसमें इंद्रेश उपाध्याय कथित तौर पर कहते दिख रहे हैं कि विवाह में कई परंपराएँ आवश्यक नहीं होतीं, और अनावश्यक खर्च करने से बचना चाहिए। इसी वीडियो को लोग उनकी मौजूदा शादी के ठीक उलट बता रहे हैं।
एक यूजर ने लिखा—“खुद के लिए अलग नियम और दूसरों के लिए अलग उपदेश? गुरु जी यह कैसी सादगी है?”
दूसरे ने तंज कसते हुए लिखा—“ये लोग मोह-माया छोड़ने की बात करते हैं, लेकिन सबसे अधिक मोह-माया में यही डूबे होते हैं।”
कई कमेंट्स में आरोप लगे कि धार्मिक प्रवचन के जरिए करोड़ों कमाने वाले गुरुदेव अपने निजी जीवन में उसी भौतिकवाद का आनंद लेते हैं, जिसके त्याग की वे लोगों को सीख देते हैं। कुछ यूजर्स ने इसे ‘त्याग–बलिदान बनाम विलासिता’ की बहस बना दिया।
🌿 कुछ यूजर्स ने किया बचाव, कहा—वीडियो का मतलब गलत निकाला गया
हालांकि, विवाद के बीच एक वर्ग ऐसा भी है जो इंद्रेश उपाध्याय का समर्थन कर रहा है। उनका कहना है कि गुरु जी ने कभी भी जयमाला या शादी की रस्मों का निषेध नहीं बताया, बल्कि केवल यह कहा कि कुछ परंपराएँ वैकल्पिक हैं।
एक यूजर ने लिखा—“वीडियो में वे सिर्फ ‘रिवाज’ और ‘धार्मिक कर्मकांड’ का अंतर समझा रहे हैं। इसे उनके खिलाफ इस्तेमाल करना गलत है।”
दूसरे ने लिखा—“अगर किसी ने जीवन में कुछ कमाया है तो वह अपने विवाह में खर्च करे, इसमें गलत क्या है?”
🔥 सोशल मीडिया पर जारी तीखी बहस
फिलहाल इंद्रेश उपाध्याय या उनके आश्रम की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया जारी नहीं की गई है। लेकिन सोशल मीडिया पर बहस अपने चरम पर है। समर्थक इसे उनकी निजी स्वतंत्रता का मामला बता रहे हैं, जबकि विरोधी इसे प्रवचन और व्यवहार के बीच का विरोधाभास कह रहे हैं।
इस घटना ने एक बड़ा प्रश्न खड़ा कर दिया है—
“क्या आध्यात्मिक गुरुओं को अपने निजी जीवन में भी वही सादगी अपनानी चाहिए, जिसकी शिक्षा वे देते हैं? या फिर उनका निजी जीवन उनकी आध्यात्मिक शिक्षाओं से अलग माना जाना चाहिए?”
विवाद थमेगा या और बढ़ेगा, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा। लेकिन एक बात तय है—इंद्रेश उपाध्याय की शाही शादी ने धार्मिक जगत में ‘सादगी बनाम वैभव’ की बहस को फिर से जीवित कर दिया है।
💬 आपका क्या मानना है?
क्या गुरुओं को शाही शादी करनी चाहिए?
क्या उनके उपदेश और निजी जीवन एक जैसे होने चाहिए?
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❓ क्लिक करें और पढ़ें — सवाल-जवाब (FAQ)
1. क्या इंद्रेश उपाध्याय की शादी वास्तव में शाही थी?
हाँ, सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों और वीडियो से यह स्पष्ट होता है कि शादी बेहद भव्य और हाई-प्रोफाइल थी।
2. विवाद क्यों खड़ा हुआ?
विवाद इसलिए बढ़ा क्योंकि एक पुराना वीडियो सामने आया जिसमें वे सादगी और अनावश्यक खर्च से बचने की बात कहते दिखाई दिए। लोग उसी उपदेश की तुलना उनकी शादी से कर रहे हैं।
3. क्या सभी लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं?
नहीं, कई लोग इंद्रेश उपाध्याय का समर्थन भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि वीडियो का अर्थ गलत तरीके से प्रचारित किया जा रहा है।
4. क्या इस विवाद पर आधिकारिक बयान जारी हुआ?
अब तक न इंद्रेश उपाध्याय और न ही उनके आश्रम की ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने आई है।






