लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने 2026 के पंचायत चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए संगठनात्मक तैयारियों को अभूतपूर्व गति दे दी है। प्रदेश में भाजपा का पूरा संगठनात्मक ढांचा पुनर्गठित किया जा रहा है और इसी क्रम में मंगलवार को पार्टी ने 84 जिलों से 327 प्रदेश परिषद सदस्यों की सूची जारी कर दी। इस घोषणा को भाजपा के अंदर चल रही बड़े बदलाव की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण पड़ाव माना जा रहा है।
प्रदेश चुनाव अधिकारी डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय के निर्देश पर जिला चुनाव अधिकारियों ने यह सूची जारी की, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिल गया है कि भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलने की प्रक्रिया अब लगभग अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। विशेष रूप से इसलिए क्योंकि वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का कार्यकाल पहले ही समाप्त हो चुका है और पार्टी अब नए चेहरे की तलाश में आगे बढ़ चुकी है।
चुनावी तैयारियों में तेजी, परिषद सदस्यों की सूची जारी
प्रदेश परिषद सदस्य ही नए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में मतदाता की भूमिका निभाते हैं। इसलिए 327 सदस्यों की सूची जारी होना चुनावी प्रक्रिया की औपचारिक शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि भाजपा ने 98 संगठनात्मक जिलों में से अब तक 84 जिलाध्यक्ष घोषित कर दिए हैं और इन्हीं जिलों में परिषद सदस्यों की सूची जारी की गई है, जबकि बाकी 14 जिलों में नए जिलाध्यक्ष बनने का इंतजार है।
पार्टी ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से एक प्रदेश परिषद सदस्य चुनने का नियम लागू किया है। इससे संगठन में सक्रिय स्थानीय नेतृत्व को आगे लाने के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष के चयन को अधिक प्रतिनिधिक बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
केंद्रीय चुनाव अधिकारी की तारीख का इंतजार
अब प्रदेश अध्यक्ष के औपचारिक चुनाव के लिए केंद्रीय चुनाव अधिकारी पीयूष गोयल की ओर से तारीख की घोषणा का इंतजार है। भाजपा संविधान के अनुसार, प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में तीन तरह के मतदाता शामिल होंगे:
- प्रदेश परिषद सदस्य
- भाजपा विधानमंडल दल के सदस्यों का 10 प्रतिशत
- यूपी कोटे के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों का 10 प्रतिशत
फिलहाल भाजपा के पास उत्तर प्रदेश में 258 विधायक, 79 एमएलसी, 33 लोकसभा सांसद और 24 राज्यसभा सांसद हैं। ऐसे में वोटिंग पैटर्न और प्रभाव क्षेत्र पहले से ही काफी व्यापक और निर्णायक हो गया है।
ओबीसी समाज से प्रदेश अध्यक्ष लाने की रणनीति
सूत्रों के अनुसार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद पर इस बार किसी प्रभावशाली ओबीसी नेता को आगे लाने की गंभीर कोशिश कर रही है। यह रणनीति सीधे तौर पर विपक्ष द्वारा चलाए जा रहे पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) फार्मूले की काट के रूप में भी देखी जा रही है।
बीजेपी के अंदर जिन नामों की सबसे ज्यादा चर्चा है, उनमें शामिल हैं:
- डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य
- कैबिनेट मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह
- कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह
- केंद्रीय मंत्री बी.एल. वर्मा
- पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति
- राज्यसभा सांसद बाबूराम निषाद
सूत्र यह भी दावा करते हैं कि भाजपा का एक बड़ा संगठनात्मक चेहरा, जो वर्तमान में महत्वपूर्ण पद पर है, वह भी प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी का इच्छुक है।
43 नए मंडल अध्यक्ष घोषित
प्रदेश परिषद सदस्यों के साथ-साथ पार्टी ने मंगलवार को 43 नए मंडल अध्यक्षों की भी घोषणा की है। इससे पहले तक प्रदेश में लगभग 1600 मंडल अध्यक्ष बनाए जा चुके हैं, जबकि कुल संगठनात्मक मंडलों की संख्या 1918 है। यानी अभी भी करीब 300 से अधिक मंडलों में अध्यक्ष नियुक्त किया जाना बाकी है।
भाजपा संविधान के मुताबिक प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव से पहले कम से कम 50 प्रतिशत जिलाध्यक्षों का घोषित होना अनिवार्य है। भाजपा इस मानक को पहले ही पूरा कर चुकी है और यही वजह है कि चुनावी प्रक्रिया तेज होती जा रही है।
कुल मिलाकर, भाजपा उत्तर प्रदेश में 2026 और 2027 के चुनावों को देखते हुए अपनी पूरी संगठनात्मक संरचना को मजबूत करने में जुट गई है। आने वाले दिनों में नया प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा—यह देखना राजनीतिक रूप से बेहद दिलचस्प होगा।
❓ क्लिक करें और जवाब देखें (FAQ)
भाजपा ने 327 प्रदेश परिषद सदस्यों की सूची क्यों जारी की?
यह सूची नए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की औपचारिक शुरुआत के रूप में जारी की गई है क्योंकि इन्हीं सदस्यों को मतदाता बनाया जाता है।
नया प्रदेश अध्यक्ष कब तक चुना जा सकता है?
सूत्रों के अनुसार, खरमास शुरू होने से पहले नया प्रदेश अध्यक्ष जिम्मेदारी संभाल सकता है।
क्या भाजपा ओबीसी चेहरा प्रदेश अध्यक्ष बनाएगी?
पार्टी गंभीरता से इस विकल्प पर विचार कर रही है क्योंकि यह विपक्ष के पीडीए फार्मूले का प्रभावी जवाब माना जा रहा है।






