सीडीओ हरदोई के आदेश की उड़ रही धज्जियां — तहसील शाहाबाद में खुली चुनौती या प्रशासनिक लापरवाही?

अनुराग गुप्ता की रिपोर्ट
IMG_COM_202512190117579550
previous arrow
next arrow

हरदोई जिले में समाधान दिवस के दौरान जो तस्वीर सामने आई, उसने न केवल तहसील प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी स्पष्ट किया है कि जिलाधिकारी और शीर्ष अफसरों के आदेश जमीन पर कितने गंभीरता से लागू किए जाते हैं। तहसील शाहाबाद में आयोजित समाधान दिवस के दौरान सीडीओ सान्या छावड़ा ने सभी कर्मचारियों के सामने अत्यंत स्पष्ट शब्दों में आदेश दिया था कि ग्राम सुहागपुर में नवीन परती जमीन पर ग्राम प्रधान रविंद्र यादव द्वारा दबंगई के साथ बोई गई गन्ने की फसल की तुरंत नाप कराकर दो दिन के भीतर फसल की नीलामी की जाए
हालांकि, समाधान दिवस खत्म होते ही अधिकारी और कर्मचारी जमीन पर उतरने के बजाय आदेशों को फाइलों की धूल में बदलने लगे और नाप की कार्रवाई आज तक नहीं हो पाई।

कागजों में हाँ सर–हाँ सर, जमीन पर ढील — आखिर क्यों?

सूत्रों के अनुसार समाधान दिवस के मंच पर सभी जिम्मेदार कर्मचारियों — लेखपाल, कानूनगो और तहसीलदार — ने आदेश को गंभीरता से लेते हुए “जी सर, यस सर” की औपचारिकता निभाई। साथ ही नाप के लिए टीम का गठन भी दिखा दिया गया और शिकायतकर्ता को फोन करके “आज ही नाप होगी” की जानकारी भी दे दी गई।
लेकिन खबर लिखे जाने तक न तो टीम मौके पर पहुँची और न ही नाप की कार्रवाई की गई। ग्रामीणों का कहना है कि जब आदेश जिम्मेदारों की मेज तक पहुंचकर ही ठंडा पड़ जाए, तो आम जनता किस दरवाजे पर न्याय की उम्मीद लेकर जाए?

इसे भी पढें  गजब की चोरी: बेटी के घर से 50 लाख के जेवरात चोरी, 70 वर्षीय पिता, बहू व पोते पर मुकदमा

टालमटोल की रणनीति — शिकायतकर्ता भटकता रहा

जब शिकायतकर्ता रावेंद्र कुमार पुत्र मूलचंद ने दो दिन बीतने के बाद तहसील पहुंचकर वास्तविक स्थिति जाननी चाही, तो नायब तहसीलदार ने मामला कानूनगो पर डाल दिया। इसके बाद कानूनगो प्रमोद कुमार से बात की गई, लेकिन उन्होंने नाप की बात करने के बजाय शिकायतकर्ता को सीमा विवाद के जाल में उलझाना शुरू कर दिया।
अब सवाल यह है कि सीडीओ के आदेश के दौरान सीमा विवाद कहाँ गया? उस समय किसी अधिकारी ने सीमांकन या विवाद का मुद्दा सामने क्यों नहीं रखा?

क्या जातिगत पक्षपात भी कारण?

गांव और ग्रामीण स्तर पर चर्चा यह भी है कि प्रशासनिक ढिलाई के पीछे जातिगत पक्षपात का मामला हो सकता है। ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम प्रधान को किसी बिरादरी और रिश्तेदारी के संरक्षण का लाभ मिल रहा है, वहीं शिकायतकर्ता अनुसूचित जाति से आता है, जिस कारण उसकी बात को बार-बार टाला जा रहा है।
यदि यह आरोप सत्य हैं, तो यह न केवल सरकारी व्यवस्था के लिए शर्मनाक है, बल्कि सामाजिक समानता और संवैधानिक अधिकारों पर भी खुली चोट है।

इसे भी पढें  बिहार फतेह पर जश्न : भगवा लहराया, भाजपा कार्यकर्ताओं ने आतिशबाज़ी कर मनाई ऐतिहासिक जीत

किसानों में बढ़ रहा गुस्सा — प्रदर्शन की तैयारी

शिकायतकर्ता का स्पष्ट कहना है कि उसकी सिर्फ एक ही मांग है — जमीन की नाप कराकर गन्ने की फसल की नीलामी की जाए। वह जोर देता है कि यदि प्रशासन समय पर कार्रवाई नहीं करता, तो वह ग्राम के किसानों के साथ मिलकर तहसील परिसर में बड़ा प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होगा।
ग्रामीणों का कहना है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सीडीओ के निर्देशों की अवहेलना केवल एक व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि पूरे किसान समुदाय के अधिकारों के साथ खिलवाड़ है।

प्रशासन की विश्वसनीयता दांव पर

हरदोई जिले में यह घटना सवाल खड़ा करती है कि जब शीर्ष अधिकारी के सामने बैठकर अधिकारी ईमानदारी का दावा करते हैं और वही आदेश अगले दिन धुंधला पड़ जाता है, तो प्रशासनिक व्यवस्था पर जनता का भरोसा कैसे बना रहेगा?
ऐसी घटनाएँ शासन-प्रशासन की छवि को नुकसान पहुंचाती हैं और भ्रष्ट तथा पक्षपाती कार्यशैली के आरोपों को बल देती हैं।
अब पूरे जिले की नजर इस बात पर है कि क्या सीडीओ स्वयं हस्तक्षेप कर आदेशों को लागू कराएंगी या यह मामला भी अन्य शिकायतों की तरह फाइलों के बोझ में दब जाएगा।

इसे भी पढें  हरदोई सड़क घोटाला : विधायक के निरीक्षण में छह माह पुरानी सड़क उखड़ गई


🔻 क्लिक करें और सवाल–जवाब देखें 🔻

❓ क्या समाधान दिवस के आदेश पर आज तक कोई कार्रवाई हुई?

नहीं। नाप के लिए टीम का गठन दिखाया गया, लेकिन मौके पर आज तक कोई नाप नहीं की गई।

❓ क्या ग्रामीणों ने जातिगत पक्षपात के आरोप लगाए हैं?

हाँ। ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम प्रधान को जातिगत और रिश्तेदारी संरक्षण का लाभ मिल रहा है, जबकि शिकायतकर्ता SC वर्ग से होने के कारण उपेक्षित है।

❓ शिकायतकर्ता की वर्तमान मांग क्या है?

जमीन की नाप कराकर गन्ने की फसल को नीलाम किया जाए, ताकि सरकारी भूमि का सही उपयोग सुनिश्चित हो सके।

❓ आगे क्या हो सकता है?

यदि प्रशासन कार्रवाई नहीं करता, तो शिकायतकर्ता किसानों के साथ मिलकर तहसील में बड़ा प्रदर्शन करने के लिए तैयार है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Language »
Scroll to Top