जांच टीम ने कई दिनों से खातों के भुगतान, पेंशन पासबुक, चेक कॉपी, डिजिटल हस्ताक्षर और स्टेटमेंट्स की गहन समीक्षा की। रविवार को अवकाश होने के बावजूद टीम ने बैंक जाकर मिलान प्रक्रिया जारी रखी। इसके बाद यह खुलासा हुआ कि 15 ऐसे खाते हैं जिनमें कोषागार से भेजी गई रकम दिखाई नहीं दे रही। इन खातों के स्टेटमेंट निकालने की कोशिश की गई, लेकिन बैंक के रिकॉर्ड में भी ट्रांज़ैक्शन उपलब्ध नहीं मिले। यही कारण है कि जांच का दायरा अब बैंक अधिकारियों तक पहुँच गया है।
एसआईटी ने तकनीकी एक्सपर्ट्स की मदद से खातों का पूरा डिजिटल डेटा पुनर्प्राप्त करने की कोशिश की। लगभग चार घंटे की गहन पड़ताल में 78 खातों की जानकारी मिल गई, लेकिन शेष 15 खाते रहस्य बने हुए हैं। यह धनराशि लगभग 8 से 10 करोड़ रुपये के बीच बताई जा रही है, जिससे घोटाले का दायरा और बड़ा माना जा रहा है। फिलहाल दो और एक्सपर्ट्स को बुलाया गया है और वे रातभर ऑनलाइन लेनदेन डेटा व बैकअप संरचनाओं की जांच कर रहे हैं।
क्या बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा था खेल?
कोषागार से पेंशनर खातों में भेजे गए भुगतान बैंक के सर्वर और स्टेटमेंट में क्यों नहीं दिखाई दे रहे — यही अब सबसे बड़ा सवाल है। अगर राशि कोषागार पोर्टल में डिस्पैच दिखाई दे रही है, लेकिन बैंक रिकॉर्ड में नहीं, तो ऐसे में या तो:
- किसी ने बैंक लेनदेन डेटा के साथ छेड़छाड़ की
- या खातों को बीच में ही बदलकर रकम किसी अन्य खाते में ट्रांसफर की गई
- या संदेहास्पद कर्मचारियों ने रिकॉर्ड गायब कर दिए
इसके मद्देनज़र बैंक के उस अवधि में कार्यरत कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है।
डाक बही और डिस्पैच रजिस्टर ने बढ़ाई चिंता
कोषागार घोटाले की जांच टीम ने अब बैक-टू-बेसिक पद्धति अपनाते हुए 2018 से 2025 तक की डाक बही और डिस्पैच रजिस्टर मंगाए हैं। यह मिलान किया जा रहा है कि:
- क्या विभाग द्वारा जीवित और मृत पेंशनरों के प्रमाणपत्र की प्रविष्टि नियमित हुई?
- कितने पेंशनरों को नोटिस भेजे गए?
- कितनों के नाम पर भुगतान जारी रखा गया?
अगर नोटिस जारी नहीं किए गए और भुगतान जारी रहा तो यह सीधे-सीधे नौकरीपेशा कर्मचारियों की संलिप्तता की ओर संकेत है।
रिटायर्ड वरिष्ठ कोषाधिकारी से पूछताछ
घोटाले की परतें खोलने के लिए एसआईटी ने 2014 से 2019 तक तैनात रहे वरिष्ठ और अब रिटायर्ड कोषाधिकारी कमलेश कुमार से पूछताछ की है। उनके कार्यकाल के डिजिटल हस्ताक्षर, भुगतान की स्वीकृति, और कई खातों के बदले जाने की फाइलें सामने रखी गईं। उनके बयान दर्ज कर लिए गए हैं और अब क्रॉस-वेरिफिकेशन चल रहा है।
जांच दिशा सही — रफ्तार धीमी: एसपी चित्रकूट
जांच की धीमी गति पर सवाल उठ रहे हैं लेकिन चित्रकूट के पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार सिंह ने स्पष्ट किया है —
“कोषागार घोटाला मामले में प्रतिदिन एक नया सवाल सामने आता है। जांच धीमी लग सकती है लेकिन दिशा बिल्कुल सही है। बैंक खातों के स्टेटमेंट गायब हैं इसलिए बैंक के बड़े अधिकारियों और तकनीकी एक्सपर्ट्स से संपर्क किया गया है।”
स्पष्ट है कि कोषागार घोटाले में केवल विभागीय अधिकारी ही नहीं बल्कि बैंककर्मियों की भूमिका भी अब कठघरे में है। आने वाले दिनों में कई और गिरफ्तारियाँ व खुलासे संभव हैं।
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कोषागार घोटाले की कुल राशि कितनी बताई जा रही है?
अब तक की जांच के अनुसार यह लगभग 8 से 10 करोड़ रुपये के बीच मानी जा रही है।
क्या बैंक अधिकारी भी इस घोटाले में शामिल हो सकते हैं?
15 खातों का रिकॉर्ड बैंक में नहीं दिख रहा, इसलिए बैंक कर्मचारियों की भूमिका संदेह के दायरे में आ गई है।
क्या गिरफ्तारियाँ होंगी?
जांच पूरी होते ही संलिप्त कर्मचारियों व अधिकारियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की संभावना है।
एसआईटी जांच कब तक चलेगी?
डेटा मिलते ही समूचा घोटाला उजागर हो जाएगा। अभी तकनीकी एक्सपर्ट पूरी रात सर्वर बैकअप की जाँच कर रहे हैं।






