कैसा और क्या है ये ‘लाल सोना’, जिसकी लूट पर डीएम ने ठोक दिया करोड़ों का जुर्माना ❓

🖊️ संतोष कुमार सोनी की रिपोर्ट
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बांदा: उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में लाल सोना (मौरंग) के अवैध कारोबार पर जिला प्रशासन का अब तक का सबसे बड़ा वार हुआ है। शनिवार देर रात की गई छापेमारी में प्रशासन ने मोरम खदान के पट्टाधारक पर कुल 2.32 करोड़ रुपये का भारी-भरकम जुर्माना ठोक दिया। यह कार्रवाई जिलाधिकारी जे. रीभा के स्पष्ट निर्देश पर राजस्व और खनिज विभाग की संयुक्त टीम ने अंजाम दी।

एडीएम कुमार धर्मेंद्र के नेतृत्व में मरौली खादर क्षेत्र स्थित गाटा संख्या 333/7 (खंड-05) पर छापेमारी हुई। जांच में पाया गया कि स्वीकृत सीमा से बाहर खदान से बड़े पैमाने पर अवैध खनन और परिवहन किया गया था। रिकॉर्ड के अनुसार, पट्टाधारक द्वारा कुल 25,886 घन मीटर बालू/मौरंग बिना अनुमति के निकाली और बेची गई, जिससे शासन को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचा।

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🚨 लंबे समय से जारी था गैरकानूनी खनन

यह खनन पट्टा डेस्कॉन बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड के नाम स्वीकृत है, जिसके निदेशक संजय कुमार गुप्ता (निवासी किदवई नगर, कानपुर) बताए गए हैं। खनिज विभाग के मुताबिक, संजय गुप्ता लंबे समय से स्वीकृत सीमा का उल्लंघन कर गुपचुप तरीके से लाल सोने का अवैध खनन कर रहा था। शिकायतों, रिपोर्टों और बरसों से जारी स्थानीय विरोध के बाद आखिरकार प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की।

💰 बुंदेलखंड में ‘लाल सोने’ का साम्राज्य

बुंदेलखंड में पाई जाने वाली लाल रंग की उच्च गुणवत्ता वाली बालू/मौरंग को आम बोलचाल में ‘लाल सोना’ कहा जाता है। यह मौरंग केन और बेतवा नदी के तटों से निकलती है और मध्य प्रदेश की विंध्य पर्वतमाला तक फैली है। इसकी मांग न केवल यूपी बल्कि अन्य राज्यों में भी लगातार बढ़ रही है। इसी भारी मांग और मोटे मुनाफे के कारण यहां अवैध खनन का कारोबार वर्षों से फल-फूल रहा है।

स्थानीय स्रोत बताते हैं कि अवैध खनन सिंडिकेट अत्यंत संगठित तरीके से काम करता है — खदान से मजदूरों तक, मशीनों से बड़े परिवहन नेटवर्क तक, और आगे बड़े शहरों कानपुर, लखनऊ और ग्वालियर तक इसकी सप्लाई लाइन फैली हुई है। समय के साथ यह कारोबार एक समानांतर अर्थव्यवस्था की तरह विकसित हो चुका है, जिससे प्रतिदिन करोड़ों रुपये की वसूली होती है और सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुंचता है।

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🚧 कैसे चलती है मौरंग माफियाओं की मशीनरी

रेत-मौरंग माफियाओं के नेटवर्क में अवैध खुदाई के लिए नाव, जेसीबी, पोकलैंड मशीनें, ट्रैक्टर, ट्रक, डीसीएम, रिक्शा, मोटरसाइकिल तक का प्रयोग किया जाता है। आश्चर्य की बात यह है कि कई इलाकों में खच्चरों के माध्यम से रात के समय चुपचाप लोडिंग और परिवहन तक किया जाता है, जिससे क्षेत्र के गांव वालों के बीच भारी दहशत का माहौल रहता है।

सबसे अधिक अवैध कारोबार भूरागढ़ क्षेत्र, बांदा-झांसी मार्ग, चिल्ला रोड और मरौली खादर में देखने को मिलता है। यहां रात के अंधेरे में रेत-मौरंग की ढेरियां, अस्थायी मंडियां और अवैध लोडिंग प्वाइंट खुलेआम सक्रिय रहते हैं।

⚠️ डीएम की सख्त चेतावनी — “किसी भी कीमत पर अवैध खनन नहीं”

डीएम जे. रीभा ने बयान जारी करते हुए कहा —
“जनपद में अवैध खनन और परिवहन किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जाएगा। शिकायत मिलते ही तत्काल कार्रवाई की जाएगी, चाहे कोई कितना भी प्रभावशाली व्यक्ति क्यों न हो।”

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प्रशासन की यह कार्रवाई संकेत देती है कि मौरंग माफियाओं पर अब शून्य सहनशीलता की नीति लागू की जा रही है। जिला प्रशासन ने अगले चरण में अन्य खदानों और सप्लाई रूट पर कार्रवाई के संकेत भी दिए हैं।


❓ सवाल जवाब

लाल सोना क्या होता है?

बुंदेलखंड क्षेत्र में पाई जाने वाली उच्च गुणवत्ता वाली लाल रंग की मौरंग (रेत) को लाल सोना कहा जाता है।

किस कंपनी पर 2.32 करोड़ का जुर्माना लगाया गया?

डेस्कॉन बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड पर, जिसके निदेशक संजय कुमार गुप्ता हैं।

छापेमारी कहाँ की गई?

मरौली खादर क्षेत्र स्थित गाटा संख्या 333/7 (खंड-05) पर छापेमारी की गई।

अवैध खनन कितना पाया गया?

कुल 25,886 घन मीटर बालू/मौरंग का अवैध खनन और परिवहन पकड़ा गया।

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