जैन धर्म के जयकारों के साथ आचार्य विनीत सागर का कामवन में हुआ मंगल प्रवेश

📝 हिमांशु मोदी की रिपोर्ट

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धर्म और अध्यात्म की पावन धरा कामवन आज उस समय उत्साह और आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर हो उठी, जब दिगंबर जैन आचार्य विनीत सागर महाराज का ससंघ मंगल प्रवेश हुआ। जम्बू स्वामी तपोस्थली बोलखेड़ा से पद-विहार करते हुए जैसे ही आचार्य संघ धर्मनगरी कामवन की सीमाओं में प्रवेश किया, पूरा वातावरण जयकारों, भजन-संगीत और दिगंबर परंपरा की पवित्र ध्वनियों से गूंज गया। जैन समाज कामां के अध्यक्ष अनिल जैन लहसरिया के नेतृत्व में पाद प्रक्षालन और आरती के साथ भावनात्मक स्वागत किया गया — यह दृश्य केवल श्रद्धा और भक्ति का नहीं बल्कि धर्मशक्ति के जागरण का प्रमाण था।

शीतऋतु के समय कठिन तप एवं पद-विहार करते हुए आचार्य संघ का आगमन श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक प्रेरणा का केंद्र बना। बैंड बाजों और जयध्वनियों के बीच जुलूस के रूप में विशाल संख्या में धर्मप्रेमी मौजूद रहे। यह केवल आयोजन नहीं, बल्कि गुरु-शिष्य परंपरा, धार्मिक संस्कृति के संरक्षण और अध्यात्म के प्रति निष्ठा का संदेश था। विजयमती त्यागी आश्रम तक पहुंचने वाले इस विशिष्ट जुलूस में श्रद्धालुओं की भीड़ निरंतर बढ़ती ही गई, और सभी के चेहरों पर विशिष्ट आध्यात्मिक उल्लास देखा गया।

🌼 श्रद्धा, समर्पण और गुरु–शिष्य परंपरा का अनुपम संगम

स्वागत कार्यक्रम के दौरान आचार्य विनीत सागर द्वारा दिए गए उद्बोधन ने उपस्थित जनसमूह के मन और चेतना को गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि *“भक्त की सच्ची और अटूट श्रद्धा गुरु को शिष्य के करीब खींच लाती है।”* उनका यही संदेश गुरु-शिष्य संबंध की शक्ति को परिभाषित करता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि श्रद्धा ही वह प्रेरक तत्व है, जो शिष्य को गुरु के दिखाए मार्ग पर चलने, संयम और सदाचार का पालन करने और आत्मानुशासन के साथ जीवन जीने हेतु प्रेरित करती है। इसी श्रद्धा से गुरु की कृपा बरसती है और अंततः शिष्य को आत्मज्ञान की दिशा मिलती है।

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आचार्य विनीत सागर का यह संदेश केवल उपदेश नहीं, बल्कि हजारों वर्षों से संचित आध्यात्मिक अनुभवों की धरोहर है — जैन दर्शन का मूल सार, जो अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह और तप की ऊर्जा पर आधारित है। उपस्थित श्रद्धालुओं ने पूर्ण ध्यान के साथ इस दिव्य वाणी को सुना और आत्मसात किया।

🌼 समाज ने एकजुट होकर किया भव्य स्वागत — सेवा और सहयोग की मिसाल

इस आयोजन में जैन समाज के हर संगठन और हर वर्ग की सक्रिय भूमिका देखने योग्य रही। जैन समाज के कोषाध्यक्ष मयंक जैन ने बताया कि शीतऋतु में पद-विहार करते हुए आचार्य संघ का आगमन उनके तप और अध्यात्म के उज्ज्वल चरित्र को दर्शाता है। युवा परिषद, धर्म जागृति संस्थान, महिला मंडल सहित अनेक धार्मिक संगठनों ने सेवा भाव और समर्पण के साथ व्यवस्थाएँ संभालीं। हर किसी के मन में एक ही उद्देश्य था — कि आचार्य संघ को अधिकतम सम्मान, सुविधा और श्रद्धा के साथ शीतकालीन वाचना के लिए विराजमान कराया जाए।

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बड़ों से लेकर युवाओं और बच्चों तक उत्साह का वही समान स्तर इस बात का प्रमाण था कि धर्म केवल परंपराओं तक सीमित विषय नहीं, बल्कि जीवन और संस्कारों का मार्गदर्शक है। जगह-जगह पुष्प वर्षा की गई, महिलाओं ने मंगल गीत गाए, पुरुषों ने भगवान महावीर के वचनों और जैन ध्वज का उल्लासपूर्वक स्वागत किया और युवाओं ने सेवा कार्य में अप्रतिम समर्पण दिखाया।

🌼 विजयमती त्यागी आश्रम में विराजमान होगा आचार्य संघ

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आचार्य संघ को शीतकालीन वाचना हेतु कामवन में विराजमान कराना था। जुलूस की समाप्ति के बाद विजयमती त्यागी आश्रम में शांतिपूर्ण धार्मिक क्रम के साथ विराजमान कराया गया। अब आगामी दिनों में यहां जैन धर्म की वाचना, प्रवचन, चिंतन एवं स्वाध्याय से पूरा क्षेत्र लाभान्वित होगा। श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचकर धर्मोपदेश प्राप्त कर सकेंगे तथा अध्यात्म के मार्ग को समझते हुए अपनी जीवन दिशा को और अधिक पवित्र बना सकेंगे।

आचार्य संघ की उपस्थिति जैन समाज के लिए एक आध्यात्मिक पर्व से कम नहीं है। इससे न केवल धार्मिक चेतना बढ़ेगी, बल्कि युवाओं में धर्मशिक्षा और संयमपूर्ण आचरण की ओर प्रेरणा भी सुदृढ़ होगी।

🌼 आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठा कामवन — जैन समाज में हर्ष की लहर

आचार्य विनीत सागर के आगमन ने कामवन में धार्मिक चेतना की लहर दौड़ा दी है। पूरे क्षेत्र में एक सकारात्मक, शांत और दिव्य वातावरण महसूस किया जा रहा है। श्रद्धालुओं के घरों और प्रतिष्ठानों पर धर्मध्वज फहराए गए, दीप प्रज्ज्वलित किए गए और परिवारों ने व्रत-उपवास और पूजा द्वारा अपने आनंद और आभार को व्यक्त किया। यह केवल धार्मिक कार्यक्रम नहीं — बल्कि समाज के भीतर आध्यात्मिक एकता और सांस्कृतिक संरक्षण का उत्सव बन गया है।

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आने वाले दिनों में प्रवचन, तप, वाचना, भजन, चिंतन और अध्यात्म के कार्यक्रमों के चलते कामवन जैन धर्म की प्रकाशभूमि बनेगा। समाज की भावना यही है कि यह अवसर केवल उत्सव नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम बने।


🔻 क्लिक करके सवाल–जवाब पढ़ें 🔻

कामवन में आचार्य विनीत सागर का प्रवेश कब और कहां से हुआ?

आचार्य विनीत सागर महाराज का ससंघ मंगल प्रवेश जम्बू स्वामी तपोस्थली बोलखेड़ा से पद-विहार करते हुए हुआ।

आचार्य संघ का स्वागत किसने किया?

जैन समाज कामां के अध्यक्ष अनिल जैन लहसरिया के नेतृत्व में पाद प्रक्षालन और आरती के साथ स्वागत किया गया।

कार्यक्रम के दौरान आचार्य विनीत सागर ने क्या संदेश दिया?

उन्होंने कहा कि भक्त की सच्ची श्रद्धा गुरु को शिष्य के करीब खींच लाती है और यही श्रद्धा आत्मज्ञान की प्राप्ति में सहायक होती है।

आचार्य संघ आगे कहां विराजमान रहेंगे?

आचार्य संघ शीतकालीन वाचना हेतु विजयमती त्यागी आश्रम में विराजमान रहेंगे।

इस आयोजन में कौन-कौन से संगठन शामिल रहे?

युवा परिषद, धर्म जागृति संस्थान, महिला मंडल सहित जैन समाज के विभिन्न संगठनों ने सहयोग प्रदान किया।


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