📝 रितेश कुमार गुप्ता की रिपोर्ट
सीतापुर। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में प्रतिबंधित कोडीनयुक्त कफ सिरप की अवैध बिक्री का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। शहर के जेल रोड स्थित बालाजी फार्मा मेडिकल स्टोर पर फर्जी डॉक्टर पर्चियों और संदिग्ध बिलिंग के सहारे हजारों बोतलें बेचने का आरोप सामने आया है। औषधि विभाग की टीम ने शिकायत मिलने के बाद छापेमारी कर पूरे मामले की परतें उधेड़नी शुरू कर दी हैं। शुरुआती जांच में ही गड़बड़ियों के पुख्ता सबूत मिलने पर मेडिकल स्टोर संचालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया गया है और लाइसेंस निरस्त करने की प्रक्रिया भी आगे बढ़ा दी गई है।
कैसे खुला मामला: शिकायत से छापेमारी तक की पूरी कहानी
औषधि विभाग को यह सूचना मिली थी कि सीतापुर शहर में स्थित बालाजी फार्मा नामक मेडिकल स्टोर पर प्रतिबंधित कफ सिरप को नियमित दवा की तरह खुलेआम बेचा जा रहा है। शिकायत में विशेष रूप से यह आरोप था कि कोडीनयुक्त खांसी की दवाई बिना पर्ची के और संदिग्ध व्यक्तियों को बड़े पैमाने पर दी जा रही है। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जिला औषधि निरीक्षक की अगुवाई में टीम ने मेडिकल स्टोर पर अचानक छापेमारी की।
छापेमारी के दौरान दुकान में प्रतिबंधित सिरप की बड़ी खेप तो नहीं मिली, लेकिन जब स्टॉक रजिस्टर, खरीद-बिक्री के बिल और पर्चियों की बारीकी से जांच की गई तो पूरा खेल धीरे-धीरे सामने आने लगा। रिकॉर्ड में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक, स्टोर के माध्यम से समय-समय पर लगभग 6300 से अधिक बोतलें कोडीनयुक्त कफ सिरप की बिक्री दर्शाई गई थीं, जिनकी अनुमानित कीमत लाखों रुपये बताई जा रही है।
फर्जी बिलिंग और नकली डॉक्टर पर्चियाँ, 6300 बोतलों पर उठे सवाल
औषधि विभाग की टीम ने जब कफ सिरप की खरीद से जुड़े बिलों की वास्तविकता जांचने के लिए संबंधित थोक विक्रेताओं और मेडिकल एजेंसी से संपर्क किया, तो मामला और भी संदिग्ध हो गया। जिन फर्मों के नाम कागजों पर दर्ज थे, उन्होंने साफ कहा कि उन्होंने इतनी मात्रा में कोडीनयुक्त सिरप की आपूर्ति ही नहीं की। इसी तरह, जिन चिकित्सकों के नाम पर पर्चियां बनाई गई थीं, उनकी भी जांच की गई, जिसमें कई पर्चियां पूरी तरह फर्जी पाई गईं।
इससे यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया कि बालाजी फार्मा पर दिखाया गया रिकॉर्ड सिर्फ कागजों पर संतुलन बैठाने के लिए तैयार किया गया था। वास्तविकता में यह सिरप ऐसे लोगों तक पहुंचाया गया, जिन्हें इसकी चिकित्सकीय आवश्यकता से ज्यादा, नशे के तौर पर इस्तेमाल की चाहत थी। जांच अधिकारियों के मुताबिक, यह मामला सामान्य दवा गड़बड़ी से आगे बढ़कर नशीली दवाओं की अवैध सप्लाई की श्रेणी में आता है।
कोडीनयुक्त कफ सिरप क्यों है खतरनाक, सिर्फ डॉक्टर की पर्ची पर ही बिक्री का नियम
कोडीन मूल रूप से एक नियंत्रित ड्रग है, जिसे खांसी या श्वसन संबंधी समस्याओं में सीमित मात्रा में और चिकित्सकीय निगरानी में दिया जाता है। लेकिन जब यही दवाई अनियंत्रित तरीके से, बिना डॉक्टर की पर्ची के या ज्यादा मात्रा में ली जाती है, तो यह सामान्य दवा से निकलकर नशीले पदार्थ में बदल जाती है। इससे:
- कम उम्र के युवाओं और किशोरों में नशे की लत लगने का खतरा बढ़ जाता है।
- लगातार सेवन से किडनी, लीवर और तंत्रिका तंत्र पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं।
- ओवरडोज की स्थिति में बेहोशी, सांस रुकने जैसे जानलेवा परिणाम भी सामने आ सकते हैं।
इन्हीं खतरों को देखते हुए ड्रग नियमों में स्पष्ट किया गया है कि कोडीनयुक्त सिरप को केवल डिग्रीधारक पंजीकृत चिकित्सक की पर्ची के आधार पर ही बेचा जा सकता है। साथ ही, मेडिकल स्टोर को हर बिक्री का सही-सही रिकॉर्ड रखना अनिवार्य है। सीतापुर का यह मामला इन सभी प्रावधानों की खुली अवहेलना का ताज़ा उदाहरण है।
FIR दर्ज, लाइसेंस निरस्तीकरण की सिफारिश, सप्लाई चेन की भी जांच
औषधि विभाग की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने बालाजी फार्मा के संचालक के खिलाफ संबंधित धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली है। अधिकारियों ने मेडिकल स्टोर का लाइसेंस निरस्त करने की भी सिफारिश की है, ताकि भविष्य में वह किसी दूसरे नाम से या पुराने लाइसेंस के सहारे यह कारोबार जारी न रख सके।
इसके साथ ही, अब जांच का अगला चरण यह पता लगाना है कि प्रतिबंधित कफ सिरप की इतनी बड़ी मात्रा आखिर किन-किन हाथों तक पहुंची। सप्लाई चेन में शामिल संभावित एजेंटों, गोदाम संचालकों और थोक व्यापारियों की भूमिका भी खंगाली जा रही है। यदि जांच में नेटवर्क बड़ा निकलता है तो मामला जिला स्तर से आगे बढ़कर प्रदेश स्तर की कार्रवाई तक जा सकता है।
प्रशासन की सख्ती, अन्य मेडिकल स्टोर भी रडार पर
इस पूरे प्रकरण के बाद जिला प्रशासन और औषधि विभाग ने अन्य मेडिकल स्टोर्स को भी कड़ी चेतावनी दी है। अधिकारियों ने साफ कहा है कि जो भी मेडिकल स्टोर प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री में थोड़ी भी लापरवाही करेगा या बिना पर्ची नशीली दवाएं बेचेगा, उसके खिलाफ भी इसी तरह की सख्त कार्रवाई की जाएगी। अचानक निरीक्षण, स्टॉक वेरिफिकेशन और पर्चियों की क्रॉस-चेकिंग अब अधिक नियमित अंतराल पर किए जाने की तैयारी है।
जिला स्तर पर यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि सीतापुर में नशीली दवाओं का अवैध कारोबार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसे में यह मामला केवल एक मेडिकल स्टोर की गलती भर नहीं, बल्कि पूरे जिले के लिए एक चेतावनी है कि दवाओं की आड़ में नशे का धंधा अब आसानी से नहीं चल पाएगा।
आम नागरिक की भूमिका: सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव
विशेषज्ञ मानते हैं कि प्रशासनिक कार्रवाई के साथ-साथ समाज की सतर्कता भी उतनी ही जरूरी है। यदि अभिभावक अपने बच्चों और किशोरों के व्यवहार पर नज़र रखें, अचानक नींद, सुस्ती, लाल आंखें या नशे जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत बातचीत कर कारण जानें। किसी भी मेडिकल स्टोर से दवाई लेते समय:
- हमेशा पंजीकृत डॉक्टर की पर्ची दिखाकर ही दवाई लें।
- दवाई का बिल अवश्य लें और सुरक्षित रखें।
- यदि किसी दुकान पर संदिग्ध गतिविधि दिखे, तो तुरंत संबंधित विभाग या पुलिस को सूचना दें।
सीतापुर में सामने आया यह मामला दिखाता है कि यदि शिकायतें समय पर दर्ज हों और प्रशासन सक्रिय रहे, तो नशीली दवाओं के कारोबार पर नकेल कसी जा सकती है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जांच आगे बढ़कर कितने बड़े नेटवर्क को उजागर करती है और अदालत में यह मामला किस अंजाम तक पहुंचता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
सीतापुर में प्रतिबंधित कफ सिरप का मामला क्या है?
सीतापुर के जेल रोड स्थित बालाजी फार्मा मेडिकल स्टोर पर कोडीनयुक्त प्रतिबंधित कफ सिरप की अवैध बिक्री का आरोप है। औषधि विभाग की जांच में पता चला कि फर्जी डॉक्टर पर्चियों और संदिग्ध बिलिंग के सहारे 6300 से अधिक बोतलें बेची गईं। मामले में मेडिकल स्टोर संचालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और लाइसेंस निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
कोडीनयुक्त कफ सिरप को प्रतिबंधित या नियंत्रित क्यों माना जाता है?
कोडीन एक नियंत्रित औषधि है, जो सीमित मात्रा में खांसी आदि में उपयोग की जाती है, लेकिन अत्यधिक या बिना चिकित्सकीय सलाह के सेवन करने पर यह नशीली दवा की तरह प्रभाव डालती है। इससे नशे की लत, अंगों पर दुष्प्रभाव और ओवरडोज की स्थिति में जानलेवा परिणाम तक सामने आ सकते हैं। इसलिए इसकी बिक्री केवल पंजीकृत चिकित्सक की पर्ची और नियमानुसार रिकॉर्ड के आधार पर ही की जा सकती है।
आम नागरिक इस तरह के नशीली दवाओं के मामलों में क्या कर सकते हैं?
आम नागरिकों की सतर्कता ऐसे मामलों में महत्वपूर्ण है। किसी भी मेडिकल स्टोर से दवाई लेते समय हमेशा डॉक्टर की पर्ची और बिल अवश्य लें। यदि किसी दुकान पर बिना पर्ची संदिग्ध कफ सिरप या अन्य नशीली दवाएं बेचे जाते दिखें, तो तुरंत औषधि विभाग या नजदीकी थाने को सूचना दें। अभिभावक अपने बच्चों और किशोरों के व्यवहार पर नजर रखकर नशे की शुरुआती स्थिति को पहचानने में मदद कर सकते हैं।






