
संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट
I Love मोहम्मद विवाद की शुरुआत
I Love मोहम्मद विवाद की शुरुआत उत्तर प्रदेश के कानपुर से हुई। दरअसल, रावतपुर इलाके में बारावफात के मौके पर एक जुलूस निकाला गया। इस दौरान एक बड़े लाइट बोर्ड पर “I Love मोहम्मद” लिखा हुआ दिखाई दिया। यही वह पल था, जब यह नारा चर्चा में आया और देखते ही देखते विवाद की जड़ बन गया।
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मुस्लिम समुदाय का कहना है कि “I Love मोहम्मद” उनके धार्मिक विश्वास और पैगंबर मोहम्मद साहब के प्रति प्रेम का प्रतीक है। वहीं हिंदू संगठनों का आरोप है कि इस तरह के बोर्ड और नारे माहौल को बिगाड़ने की साजिश हैं। इसी बहस ने इसे एक बड़े I Love मोहम्मद विवाद का रूप दे दिया।

I Love मोहम्मद विवाद के जवाबी ट्रेंड्स
I Love मोहम्मद विवाद केवल एक धार्मिक नारे तक सीमित नहीं रहा। जैसे ही सोशल मीडिया पर यह नारा वायरल हुआ, तुरंत इसके जवाब में अन्य ट्रेंड्स भी सामने आने लगे। जैसे I Love महादेव, I Love राम, I Love महाकाल।
ये नारे तेजी से ट्रेंड करने लगे और हिंदू संगठनों ने इन्हें अपनी धार्मिक आस्था से जोड़ा। विरोध करने वालों ने “I Love मोहम्मद” को नई परंपरा करार देते हुए कहा कि इससे साम्प्रदायिक माहौल खराब होने का खतरा है।
इस प्रकार, I Love मोहम्मद विवाद ने दोनों समुदायों में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं पैदा कीं और सोशल मीडिया पर धार्मिक बहसों की बाढ़ आ गई।
I Love मोहम्मद विवाद और राजनीतिक एंट्री
I Love मोहम्मद विवाद ने अब राजनीति को भी अपनी गिरफ्त में ले लिया है। कांग्रेस ने इस पूरे घटनाक्रम पर अलग रुख अपनाते हुए लखनऊ में अपने कार्यालय के बाहर बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाए हैं। इन होर्डिंग्स पर लिखा है – “I Love Constitution”।
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इन पोस्टरों में राहुल गांधी और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की तस्वीरें भी शामिल हैं। कांग्रेस नेता अब्दुल्ला शेरखान द्वारा लगाए गए इन पोस्टरों को I Love मोहम्मद विवाद का सीधा जवाब माना जा रहा है। कांग्रेस ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी संविधान और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के साथ खड़ी है।
I Love मोहम्मद विवाद देशभर में फैला
कानपुर से शुरू हुआ I Love मोहम्मद विवाद अब केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहा। इसकी लपटें देश के अन्य राज्यों तक पहुंच गई हैं।
महाराष्ट्र – जहां कई जगहों पर समर्थन और विरोध में रैलियां हुईं।
उत्तराखंड – यहां भी धार्मिक नारों को लेकर तनावपूर्ण हालात बने।
तेलंगाना और गुजरात – इन राज्यों में भी “I Love मोहम्मद” के समर्थन और विरोध में प्रदर्शन देखने को मिले।
उन्नाव (उत्तर प्रदेश) – यहां विवादास्पद नारेबाजी तक हो गई, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई।
इस प्रकार I Love मोहम्मद विवाद धीरे-धीरे एक राष्ट्रीय बहस में बदल गया है।
I Love मोहम्मद विवाद: सोशल मीडिया की भूमिका
आज के समय में सोशल मीडिया किसी भी मुद्दे को हवा देने में सबसे बड़ी भूमिका निभाता है। I Love मोहम्मद विवाद में भी यही हुआ।
पहले “I Love मोहम्मद” के पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हुए। इसके बाद जवाब में “I Love राम” और “I Love महादेव” जैसे नारे ट्रेंड करने लगे। ट्विटर (X), फेसबुक और इंस्टाग्राम पर हजारों पोस्ट्स वायरल होने लगे।
सोशल मीडिया ने इस विवाद को न केवल जीवित रखा बल्कि इसे अलग-अलग समुदायों और राज्यों तक भी पहुंचाया।
I Love मोहम्मद विवाद: समाज और राजनीति पर असर
I Love मोहम्मद विवाद केवल धार्मिक भावनाओं से जुड़ा मामला नहीं रहा, बल्कि इसने समाज और राजनीति दोनों को प्रभावित किया।
सामाजिक असर: हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों में असुरक्षा और असंतोष का भाव बढ़ा।
राजनीतिक असर: कांग्रेस ने “I Love Constitution” को प्रचारित कर बीजेपी और अन्य दलों पर दबाव बनाने की कोशिश की।
धार्मिक असर: दोनों पक्ष अपने-अपने धार्मिक प्रतीकों को लेकर मुखर हो गए, जिससे साम्प्रदायिक तनाव की आशंका बढ़ी।
I Love मोहम्मद विवाद का भविष्य
I Love मोहम्मद विवाद यह साबित करता है कि कैसे एक धार्मिक नारा सामाजिक और राजनीतिक विवाद में बदल सकता है। जहां एक ओर मुस्लिम समुदाय इसे अपनी आस्था का हिस्सा मानता है, वहीं दूसरी ओर हिंदू संगठन इसे माहौल बिगाड़ने की कोशिश बताते हैं।
अब जब कांग्रेस ने “I Love Constitution” का नारा देकर इस विवाद को नया मोड़ दे दिया है, तो साफ है कि यह बहस जल्द खत्म होने वाली नहीं है। सोशल मीडिया और सियासत दोनों ही इस विवाद को और लंबे समय तक जीवित रख सकते हैं।
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