सब कुछ जलकर राख ; अज्ञात कारणों से लगी आग में मवेशियों की दर्दनाक मौत, गोण्डा के पारा डीहा गाँव में मातम





गोण्डा में अज्ञात कारणों से लगी आग में मवेशियों की मौत, परिवार बेहाल


संदीप कुमार शुक्ल की रिपोर्ट
IMG_COM_202512190117579550
previous arrow
next arrow

गोण्डा, करनैलगंज क्षेत्र – ग्राम पंचायत पारा डीहा

गोण्डा/करनैलगंज।

करनैलगंज क्षेत्र के ग्राम पंचायत पारा डीहा में बीते मंगलवार की देर रात उस समय अफरा-तफरी मच गई,
जब गाँव के एक छप्परनुमा मकान में अचानक आग की लपटें उठने लगीं। थोड़ी ही देर में यह आग इतनी भयानक
हो गई कि उसमें बंधे मवेशी भी उसकी चपेट में आ गए। ग्रामवासी हड़बड़ाकर मौके पर तो पहुंचे,
लेकिन जब तक आग पर नियंत्रण पाया जाता, तब तक एक भैंस सहित दो अन्य जानवरों की झुलसकर मौत हो चुकी थी
और झोपड़ी में रखा सामान भी जलकर खाक हो गया।

रात दस बजे के करीब मचा हड़कंप, ग्रामीण दौड़े मदद को

प्राप्त जानकारी के अनुसार, स्थानीय कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत
पारा डीहा में बीते मंगलवार की देर रात लगभग दस बजे अचानक जोर-जोर से
शोर-गुल और हल्ला-गुहार सुनाई दी। गाँव के लोग अपने घरों से बाहर निकले तो देखा कि गाँव के ही
प्रदीप पुत्र योगेंद्र की झोपड़ी (छप्पर) में आग की तेज लपटें उठ रही हैं।
चारों ओर भागमभाग मच गई, महिलाएँ और बच्चे घबराकर इधर-उधर भागने लगे।
लोग बाल्टी, ड्रम और टंकियों से पानी लेकर आग बुझाने की कोशिश में जुट गए,
लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।

ग्रामीणों ने बताया कि छप्पर के भीतर एक भैंस सहित दो अन्य जानवर बंधे हुए थे।
जैसे ही लोगों को यह सूचना मिली कि मवेशी अंदर हैं, उन्होंने रस्सियाँ काटकर उन्हें बाहर निकालने की
कोशिश की, लेकिन घने धुएँ और लपटों के कारण कोई अंदर तक पहुँच ही नहीं पाया।
देखते ही देखते मवेशियों ने वहीं तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया। घटना के बाद से पूरे गाँव में
मातम जैसा माहौल बना हुआ है।

छप्पर और उसमें रखा सामान जलकर खाक, गरीब परिवार पर दोहरी मार

बताया जा रहा है कि आग लगने से न केवल मवेशियों की मौत हुई, बल्कि छप्पर में रखा
अनाज, बर्तन, बिछावन और घरेलू सामान भी पूरी तरह से जलकर राख हो गया।
ग्रामीणों का कहना है कि प्रदीप का परिवार पहले ही सीमित संसाधनों के साथ किसी तरह गुजर-बसर कर रहा था,
ऐसे में मवेशियों की मौत और झोपड़ी के जल जाने से उनकी आर्थिक स्थिति और अधिक दयनीय हो जाएगी।
ग्रामीणों ने इसे गरीब परिवार पर “दोहरी मार” बताया है।

इसे भी पढें  परिवार की रहस्यमय मौत से हर कोई रह गया सन्न

मवेशी गाँव के गरीब परिवारों की आय और सुरक्षा का बड़ा सहारा होते हैं।
एक भैंस के जलने से न सिर्फ पशु-पालक को, बल्कि उसके पूरे परिवार को दीर्घकालिक आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है।

गाँव के लोग बताते हैं कि प्रदीप के मवेशी ही उसके परिवार की रोजी-रोटी का प्रमुख आधार थे।
दूध बेचकर घर का खर्च चलता था, बच्चों की पढ़ाई और अन्य जरूरतें भी उसी से पूरी होती थीं।
अब जब भैंस और अन्य जानवर नहीं रहे, तो परिवार पर अनिश्चितता का बादल मंडरा रहा है।
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि पीड़ित परिवार को तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान की जाए,
ताकि वे अपने पैरों पर दोबारा खड़े हो सकें।

अज्ञात कारणों से लगी आग, प्रशासन ने लिया संज्ञान

आग लगने के कारणों को लेकर अभी तक स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई है।
ग्रामीणों के अनुसार, यह आग अज्ञात कारणों से लगी।
कुछ लोगों का अनुमान है कि संभवतः चूल्हे की चिंगारी, बीड़ी-सिगरेट या किसी अन्य चूक से आग लगी होगी,
लेकिन आधिकारिक रूप से अभी कोई कारण पुष्टि नहीं हुआ है।
हालांकि, आग लगने की सूचना मिलते ही राजस्व विभाग की टीम ने गाँव पहुंचकर मौके का निरीक्षण किया।

सूचना पर पहुँचे राजस्व विभाग के कर्मचारी और स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी ने
नुकसान का विवरण तैयार किया। साथ ही, ग्राम प्रधान दान बहादुर सिंह एवं
प्रधान पद प्रत्याशी धर्मेंद्र कुमार मिश्र भी मौके पर पहुंचे और परिवार को ढाढ़स बंधाया।
उन्होंने पीड़ित परिवार को आश्वासन दिया कि प्रशासनिक स्तर पर जो भी मदद संभव होगी,
उसे दिलाने का प्रयास किया जाएगा, ताकि परिवार अपने नुकसान की भरपाई कर सके।

ग्राम प्रधान और जनप्रतिनिधियों ने दिलाया सहायता का आश्वासन

ग्राम प्रधान दान बहादुर सिंह ने कहा कि वे राजस्व एवं पशुपालन विभाग के माध्यम से
मवेशियों की मौत का मुआवजा दिलाने के लिए आवश्यक कार्यवाही कराएंगे।
वहीं, प्रधान पद प्रत्याशी धर्मेंद्र कुमार मिश्र ने भी पीड़ित परिवार के साथ खड़े रहने की बात कही
और ग्रामवासियों से अपील की कि वे अपनी-अपनी सामर्थ्य के अनुसार सहायता दें,
ताकि परिवार तात्कालिक संकट से उबर सके।

इसे भी पढें  कौन है बृजभूषण शरण सिंह की बेटी शालिनी सिंह❓आखिर क्यों चर्चा में है इन दिनों

ग्रामीणों के अनुसार, घटना के तुरंत बाद ही आसपास के लोगों ने चंदा इकट्ठा कर
परिवार के लिए अस्थायी रूप से भोजन और जरूरी सामान की व्यवस्था की।
कई युवक रात भर वहीं डटे रहे, ताकि आग कहीं दोबारा न भड़क उठे।
इस सामूहिक सहयोग ने एक बार फिर गाँव की सामुदायिक एकजुटता को सामने रखा है।

ग्रामीण क्षेत्रों में आग से सुरक्षा के प्रति जागरूकता की ज़रूरत

विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रामीण इलाकों में छप्परनुमा मकान, सूखी घास, लकड़ी और
पारंपरिक चूल्हों का प्रयोग आग लगने के जोखिम को काफी बढ़ा देता है।
ऐसे में आवश्यक है कि गाँवों में समय-समय पर आग से बचाव के उपाय
और प्राथमिक उपचार के बारे में जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
लोगों को यह समझाने की जरूरत है कि चूल्हे के आसपास सूखी घास, प्लास्टिक या कपड़े न रखें,
रात में चूल्हा पूरी तरह बुझाकर ही सोएं और बच्चों को आग से खेलने से रोकें।

साथ ही, ग्रामीण स्तर पर छोटे-छोटे फायर सेफ्टी किट,
बाल्टी में रेत या पानी की स्थायी व्यवस्था तथा सामूहिक प्रशिक्षण कार्यक्रम
भी ऐसी घटनाओं के समय काफी कारगर साबित हो सकते हैं।
यदि शुरुआती क्षणों में आग पर काबू पा लिया जाए, तो अक्सर बड़ा नुकसान होने से बचाया जा सकता है।

प्रशासन से मांग – त्वरित मुआवज़ा और पुनर्वास की ठोस व्यवस्था

स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि पीड़ित परिवार को
मवेशियों की मौत और झोपड़ी के नुकसान के मद्देनजर तत्काल मुआवज़ा दिया जाए।
ग्रामीणों का कहना है कि आर्थिक सहायता न केवल परिवार को वर्तमान संकट से उबारने में मदद करेगी,
बल्कि भविष्य के लिए उनके मनोबल को भी बनाए रखेगी।
साथ ही, इस तरह की घटनाओं के लिए एक तेज़ और सरल मुआवज़ा प्रक्रिया विकसित करने की भी आवश्यकता है,
जिससे पीड़ितों को ज्यादा भाग-दौड़ न करनी पड़े।

फिलहाल गाँव के लोग अपने स्तर पर पीड़ित परिवार की मदद में जुटे हैं,
पर सबकी नज़र अब प्रशासनिक मदद और सरकारी राहत पर टिकी हुई है।
गाँव में लोग दुआ कर रहे हैं कि ऐसी घटना फिर कभी किसी के साथ न हो और
प्रशासन इस हादसे को एक चेतावनी की तरह लेते हुए भविष्य में आग से सुरक्षा को लेकर
और भी ज्यादा गंभीर कदम उठाए।

सवाल-जवाब (FAQ) – आग की घटना से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न

आग कब और कहाँ लगी थी?
इसे भी पढें  रात को गाड़ी में हॉस्टल आते हैं आदमी : गर्ल्स हॉस्टल की छात्राओं के खुलासे से अधिकारी रह गए अवाक

यह घटना गोण्डा जिले के करनैलगंज क्षेत्र के ग्राम पंचायत पारा डीहा में
बीते मंगलवार की देर रात लगभग दस बजे के आसपास हुई।
गाँव के निवासी प्रदीप पुत्र योगेंद्र की झोपड़ी (छप्पर) आग की चपेट में आ गई।

आग लगने का कारण क्या बताया जा रहा है?

आग लगने का कारण अभी स्पष्ट नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि
आग अज्ञात कारणों से लगी।
कुछ लोग संभावना जता रहे हैं कि चूल्हे की चिंगारी या किसी लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ हो,
लेकिन प्रशासनिक स्तर पर अभी तक कारण की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।

आग में कितना नुकसान हुआ और किनकी मौत हुई?

आग में प्रदीप की झोपड़ी पूरी तरह जल गई, जिसमें रखा अनाज, बिस्तर, बर्तन और अन्य घरेलू सामान नष्ट हो गया।
सबसे बड़ा नुकसान यह हुआ कि छप्पर के भीतर बंधी एक भैंस सहित दो अन्य मवेशियों की
झुलसकर मौत हो गई। यह परिवार के लिए गंभीर आर्थिक और भावनात्मक आघात है।

क्या प्रशासन और राजस्व विभाग की टीम मौके पर पहुँची?

हाँ, सूचना मिलते ही राजस्व विभाग की टीम ने मौके पर पहुँचकर
नुकसान का निरीक्षण किया और विवरण तैयार किया।
साथ ही, ग्राम प्रधान दान बहादुर सिंह एवं प्रधान पद प्रत्याशी धर्मेंद्र कुमार मिश्र ने भी
स्थल पर पहुँचकर पीड़ित परिवार को ढाढ़स बंधाया और प्रशासनिक सहायता दिलाने का आश्वासन दिया।

पीड़ित परिवार को क्या मदद मिलने की उम्मीद है?

ग्राम प्रधान और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने आश्वासन दिया है कि
मवेशियों की मौत और झोपड़ी के नुकसान के आधार पर राजस्व एवं पशुपालन विभाग के माध्यम से
मुआवज़ा दिलाने की प्रक्रिया शुरू कराई जाएगी।
ग्रामीणों ने भी अपनी ओर से आर्थिक और वस्तुगत सहायता प्रदान करने की पहल की है,
जबकि परिवार को सरकारी राहत का इंतजार है।

भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए क्या किया जा सकता है?

ग्रामीण क्षेत्रों में आग से बचाव के लिए चूल्हों का सुरक्षित प्रयोग,
सूखी घास और ज्वलनशील सामग्री को छप्पर से दूर रखना,
रात में चूल्हा पूरी तरह बुझाकर सोना,
तथा गाँव स्तर पर फायर सेफ्टी जागरूकता बढ़ाना बेहद जरूरी है।
साथ ही, हर गाँव में पानी, रेत और प्राथमिक अग्निशमन साधनों की व्यवस्था
तथा सामूहिक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी ऐसी घटनाओं के जोखिम को कम कर सकते हैं।


Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Language »
Scroll to Top