
स्थान : कामां (कामवन) धाम, जिला डीग | तिथि : 4 दिसंबर, प्रातः 8 बजे से
मान्यता है कि यहां गदाधर भगवान विराजमान हैं, जो पितृों को मोक्ष प्रदान करने वाले माने जाते हैं।
ब्रजभूमि के प्राचीन एवं आध्यात्मिक रूप को पुनः स्थापित करने की दिशा में कामां (कामवन) धाम एक बार फिर
से बड़ा कदम उठाने जा रहा है। डीग जिले के कस्बा कामां स्थित आदि वृन्दावन कामवन धाम में आज
27वीं सप्तकोसी परिक्रमा निकाली जा रही है, जिसका उद्देश्य कामां को उसके प्राचीन
कामवन धाम स्वरूप में पुनः प्रतिष्ठित करना है। यह एक दिवसीय परिक्रमा हर महीने
पूर्णिमा (पूणों) के दिन आयोजित की जाती है और धीरे-धीरे यह पूरे ब्रज क्षेत्र के श्रद्धालुओं के लिए
महत्वपूर्ण आध्यात्मिक आयोजन बनती जा रही है।
मंदिर श्री राधावल्लभ जी से प्रातः 8 बजे आरंभ होने वाली यह सप्तकोसी परिक्रमा न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान
है, बल्कि कामवन धाम के गौरवशाली इतिहास, आध्यात्मिक चेतना और सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने का
सामूहिक प्रयास भी है। क्षेत्रीय संत-महात्मा, स्थानीय नागरिक और दूर-दराज़ से आने वाले श्रद्धालु इस
मुहिम को “कामां से कामवन” की वापसी के रूप में देख रहे हैं।
सप्तकोसी परिक्रमा के प्रमुख बिंदु
- स्थान : कामां (कामवन) धाम, जिला डीग
- अवसर : 27वीं मासिक सप्तकोसी परिक्रमा
- आरंभ : प्रातः 8 बजे, मंदिर श्री राधावल्लभ जी से
- प्रकृति : एक दिवसीय, हर पूर्णिमा (पूणों) को आयोजित
- उद्देश्य : कामवन धाम को पुनः वृन्दावन स्वरूप में प्रतिष्ठित करना
आदि वृन्दावन का स्वरूप, कामवन धाम की पहचान
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार कामवन धाम को आदि वृन्दावन माना जाता है।
शास्त्रों और लोकपरंपरा में वर्णित कामसरोवर, गोपिकाओं के समाधि स्थल, पितृों को मोक्ष प्रदान करने वाले
गदाधर भगवान और पितृ-तर्पण की परंपराएँ इस धाम की आध्यात्मिक महत्ता को और अधिक गहरा करती हैं।
यही कारण है कि यहां लगने वाली सप्तकोसी परिक्रमा को केवल एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि
आध्यात्मिक जागरण की सतत यात्रा के रूप में देखा जा रहा है।
राधावल्लभ मंदिर के सेवायत अधिकारी महन्त पुजारी आशुतोष कौशिक ‘नूनू’ के अनुसार,
कामवन धाम की प्राचीनता और ब्रज संस्कृति के मूल स्वरूप को सामने लाने के उद्देश्य से यह परिक्रमा
प्रारंभ की गई थी। समय के साथ-साथ श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती गई और अब यह परिक्रमा स्थानीय से निकलकर
क्षेत्रीय और ब्रजव्यापी पहचान बनाने लगी है।
कैसे लगेगी सप्तकोसी परिक्रमा : पूरा मार्ग
परिक्रमा की शुरुआत परंपरा के अनुरूप मंदिर श्री राधावल्लभ जी से होगी। इसके बाद
श्रद्धालु कस्बे के विभिन्न प्राचीन मंदिरों, तीर्थस्थलों और महत्वपूर्ण पड़ावों से होते हुए कामवन धाम की
परिक्रमा पूर्ण करेंगे। पूरे मार्ग पर भजन-कीर्तन, हरिनाम संकीर्तन और राम-नाम के जयघोष के साथ श्रद्धालु
पदयात्रा करेंगे।
महन्त आशुतोष कौशिक ‘नूनू’ के अनुसार परिक्रमा का प्रस्तावित मार्ग इस प्रकार है :
- मंदिर श्री राधावल्लभ जी से परिक्रमा का शुभारंभ
- मदनमोहन जी, चन्द्रमा जी, बाऊजी मोहल्ला, वृन्दा देवी मंदिर के दर्शन
- लाल दरवाजा होते हुए मुख्य बाजार और नगर पालिका क्षेत्र
- करतार कॉलोनी, पथवारी मंदिर, डाक बंगला स्थित मां कालकाजी मंदिर
- डीग रोड पर स्थित तीर्थों के राजा तीर्थराज विमल कुंड की परिक्रमा
- यशोदा पंचवटी, सेतुबंध, लंका, रामेश्वर महादेव, लुक-लुक कुण्ड
- चरण पहाड़ी से नीचे उतरते हुए धेरे वाली चामुंडा देवी, बावन भैरव
- घिसलनी, सिला गांव, करावटा से होते हुए ‘भोजन बिहारी भोजन थाली’ स्थल
- नौनेरा रोड, अम्बेडकर चौराहा, जाहरवीर गोगा जी मंदिर
- चुग्गी, दिल्ली दरवाजा, नगर सदन, काजीपाड़ा
- लक्कड़ बाजार, त्रिकुटीया बाजार, लाल दरवाजा, मुख्य बाजार, सब्जी मंडी
- नगर पालिका से होते हुए पुनः मंदिर श्री राधावल्लभ जी पर परिक्रमा का समापन
पूरे मार्ग में स्थानीय नागरिक जल-पान, प्रसाद और सेवा के माध्यम से परिक्रमा में शामिल श्रद्धालुओं का
स्वागत करेंगे। पदयात्रा “प्रभु इच्छा” तक चलती रहेगी और समापन पुनः राधावल्लभ मंदिर में आरती और संकीर्तन
के साथ होगा।
सभी भक्तों से अधिक से अधिक संख्या में जुटने की अपील
आयोजकों ने कामां ही नहीं, बल्कि पूरे ब्रज क्षेत्र के भक्तजनों से अपील की है कि वे
ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंचकर सप्तकोसी परिक्रमा में भाग लें। मान्यता है कि
इस परिक्रमा में श्रद्धा और भक्ति के साथ शामिल होने वाला भक्त न केवल पुण्य का भागी बनता है, बल्कि अपने
आध्यात्मिक विकास की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाता है।
विशेष रूप से वे श्रद्धालु, जो पितृ शांति और ब्रज धाम के प्रति समर्पण की भावना रखते हैं, इस परिक्रमा को
अपने जीवन का विशेष आध्यात्मिक अनुभव मानते हैं।
धीरे-धीरे यह परिक्रमा केवल कामां तक सीमित न रहकर पूरे ब्रज क्षेत्र में “कामवन धाम लौट रहा है”
जैसे भाव के साथ पहचान बना रही है। स्थानीय युवाओं, समाजसेवियों, व्यापारियों और ग्रामीणों का सहयोग
इसे एक जन-आंदोलन जैसी आध्यात्मिक मुहिम का रूप दे रहा है।
सवाल-जवाब : कामां (कामवन) सप्तकोसी परिक्रमा
कामां (कामवन) की 27वीं सप्तकोसी परिक्रमा कब और कहाँ से शुरू होगी?
मंदिर श्री राधावल्लभ जी, कामां (कामवन) धाम से शुरू होगी और पूरे परिक्रमा मार्ग
से होकर पुनः इसी मंदिर पर समापन होगा।
यह सप्तकोसी परिक्रमा कितनी बार आयोजित की जाती है?
आयोजित की जाती है। हर पूर्णिमा पर भक्तजन कामवन धाम की सप्तकोसी परिक्रमा लगाकर पुण्य अर्जित करते हैं।
सप्तकोसी परिक्रमा का आध्यात्मिक महत्व क्या माना जाता है?
गदाधर भगवान पितृों को मोक्ष प्रदान करने वाले माने जाते हैं। सप्तकोसी परिक्रमा
श्रद्धा, भक्ति और पितृ-तर्पण की भावनाओं के साथ किए गए आध्यात्मिक संकल्प का प्रतीक है, जो
भक्त के जीवन में शांति, संतुलन और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग खोलती है।
श्रद्धालु इस परिक्रमा में कैसे शामिल हो सकते हैं?
प्रातः 8 बजे तक मंदिर श्री राधावल्लभ जी, कामां (कामवन) पहुँचकर पदयात्रा में जुड़
सकते हैं। साधारण, सादा वस्त्र, जल-पान की छोटी व्यवस्था और भक्ति-भाव के साथ शामिल होना ही पर्याप्त
माना जाता है।






