नहर सफाई पर सवाल! मात्र 8 दिन में 622 किमी की सफाई का दावा, लेकिन किसानों ने खोली पोल, महकमे में हडकंप

📌 कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट — उन्नाव से
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उन्नाव। रबी सीजन की बुवाई चल रही है और गेहूं की फसल के लिए सिंचाई किसानों की सबसे बड़ी आवश्यकता है। इसी बीच नहर विभाग ने रिकॉर्ड समय में रजबहों और माइनरों की सफाई कराने का दावा किया है। विभाग के मुताबिक पिछले मात्र आठ दिनों में 622 किलोमीटर की सफाई पूरी कर ली गई है। आने वाले अगले 12 दिनों यानी 15 दिसंबर तक कुल 894 किलोमीटर क्षेत्र की सफाई पूरी करने का लक्ष्य तय किया गया है। हालांकि, जमीनी सच्चाई इससे बिल्कुल विपरीत दिखाई दे रही है और किसानों की शिकायतें सामने आने लगी हैं।

🌾 किसानों का आरोप — नहरों की सफाई सिर्फ कागज़ों में!

स्थानीय किसानों का कहना है कि मुख्य मार्गों और आसानी से दिखाई देने वाले हिस्सों में तो सफाई हुई है, लेकिन अंदरूनी क्षेत्रों तथा गांवों के पास बहने वाले रजबहों और माइनरों में केवल खानापूर्ति की गई है। कई जगहों पर सिर्फ ऊपरी घास छीलकर काम पूरा कर दिए जाने की बात कही जा रही है, जबकि टेंडर में स्पष्ट रूप से आठ इंच सिल्ट की खुदाई का प्रावधान है।

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🚜 न्योतनी रजबहा — सफाई के नाम पर हरी घास हटाकर छोड़ दी!

हसनगंज ब्लॉक के अंतर्गत आने वाला न्योतनी रजबहा करीब 19 किलोमीटर लंबा है। ग्रामीणों के अनुसार ठेकेदार द्वारा यहां जेसीबी और पोकलैंड मशीनें लगाई गईं, लेकिन सफाई के नाम पर रजबहे के दोनों ओर की घास छीलकर बीच में डाल दी गई, जबकि सिल्ट की गहराई हटाने का काम लगभग नहीं के बराबर किया गया।

गांवों — लखौरा, आदमपुर बरेठी, न्योतनी, चंदौली बुजुर्ग, दयालपुर, धोपा, उधवाखेड़ा, गरवरखेड़ा, फिरोजपुर, असुरनखेड़ा, रामपुर अखौली, रायखेड़ा, धीरखेड़ा और कुरौली के किसानों ने आरोप लगाया कि ठेका धारक ने टेंडर की शर्तों का उल्लंघन किया है और सिर्फ ऊपरी घास हटाकर माप पूरी दिखाने

⚠ मौरावां व औरास — “सिल्ट को छुआ तक नहीं गया”

मौरावां ब्लॉक के किसानों ने कहा कि मौरावां रजबहा की सफाई में केवल खरपतवार हटाया गया है। नहर में जमी सिल्ट को निकालने का कार्य बिल्कुल नहीं हुआ है। इससे पानी की गहराई में कमी आ जाएगी और रबी के मौसम में पर्याप्त सिंचाई नहीं मिल पाएगी।

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इसी तरह शारदा नहर से निकला औरास रजबहा — गेरूआ, नंदौली, हाजीपुर गोसा, रायपुर राई सहित कई गांवों की कृषि भूमि को सींचता है। किसानों — सुरेंद्र सिंह, केशव, रामचंद्र, राजकिशोर और राजेंद्र का कहना है कि सिल्ट पूरी नहीं निकाले जाने से पानी ओवरफ्लो होकर खांदी काटते हुए खेतों में भर जाएगा और गेहूं की फसल को भारी नुकसान हो सकता है।

💧 सिंचाई के संकट का बढ़ता खतरा — किसान चिंतित

किसानों का कहना है कि अगर समय रहते असली सफाई नहीं कराई गई तो पानी अपनी दिशा छोड़कर खेतों में फैल जाएगा। इससे न सिर्फ फसल बर्बाद होगी, बल्कि कई खेत लंबे समय तक जलभराव की समस्या से प्रभावित हो जाएंगे। किसान यह भी कहते हैं कि यदि विभाग की अनदेखी जारी रही तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

📌 विभागीय दावा बनाम जमीनी हकीकत

  • विभाग — 622 किमी की सफाई पूरी कर ली गई
  • किसान — 60–70% हिस्सा सिर्फ दिखावे के लिए साफ
  • विभाग — 15 दिसंबर तक सब पूरा हो जाएगा
  • किसान — उचित निरीक्षण और गुणवत्ता जांच के बिना सब व्यर्थ
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ग्रामीणों की मांग है कि प्रशासन और नहर विभाग संयुक्त निरीक्षण कराए तथा निम्न गुणवत्ता के कार्य कराने वाले ठेकेदारों पर कार्रवाई की जाए। तभी सिंचाई व्यवस्था सुचारू हो पाएगी और किसानों को राहत मिलेगी।


❓ क्लिक करें — सवाल और जवाब

नहर विभाग सफाई कितने समय में पूरी करने का दावा कर रहा है?

विभाग का दावा है कि 15 दिसंबर तक कुल 894 किमी क्षेत्र की सफाई पूरी कर ली जाएगी।

किसानों की मुख्य शिकायत क्या है?

किसानों के अनुसार सफाई के नाम पर सिर्फ घास हटाई गई है और सिल्ट की उचित खुदाई नहीं की गई।

खराब सफाई का असर गेहूं की फसल पर कैसे पड़ेगा?

सिल्ट नहीं निकाले जाने से पानी ओवरफ्लो होकर खेतों में भर सकता है, जिससे फसल बर्बाद होने का खतरा है।

किसानों की मांग क्या है?

किसानों की मांग है कि नहरों की वास्तविक माप और गुणवत्ता के साथ पुनः सफाई कराई जाए तथा जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाए।

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