पहले किया शहद में खेल, अब तो हो गया घी भी फेल ; बाबा रामदेव का चला पतंजलि रेल 👇 वीडियो

पतंजलि ब्रांड के खाद्य एवं आयुर्वेदिक उत्पादों के साथ एक योग गुरु हाथ उठाकर अभिवादन करते हुए।


संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट

योग गुरु बाबा रामदेव और उनकी कंपनी पतंजलि एक बार फिर सवालों के घेरे में हैं। साल 2024 में पतंजलि के शहद के नमूने फेल होने और जुर्माना लगने के बाद अब पिथौरागढ़ में शुद्ध गाय के घी का सैंपल फेल हो चुका है। इसी बीच बाबा रामदेव का स्विमिंग पूल में तैरते हुए पतंजलि उत्पादों का प्रचार करता एक नया वीडियो सामने आया, जिसने सोशल मीडिया पर जैसे आग लगा दी हो। लोग पुराने शहद विवाद से लेकर अब घी पर लगे जुर्माने तक, हर बात याद दिला रहे हैं।

सवाल यह है कि क्या लगातार उठ रहे ये सवाल पतंजलि के “शुद्धता” वाले ब्रांड इमेज पर स्थायी दाग छोड़ रहे हैं, या फिर बाबा रामदेव अपने अंदाज़ में एक बार फिर इस तूफान को भी साध लेंगे?

पिथौरागढ़ में पतंजलि घी का सैंपल फेल, कंपनी पर लगा जुर्माना

दो दिन पहले उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से पतंजलि के लिए एक और झटका सामने आया। यहां पतंजलि के शुद्ध गाय के घी का एक सैंपल परीक्षण में फेल हो गया। इस आधार पर अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट की अदालत ने कार्रवाई करते हुए घी बेचने वाले वितरकों और दुकानदारों पर 15 हजार रुपये और पतंजलि कंपनी पर 1.25 लाख रुपये का जुर्माना ठोक दिया।

खाद्य सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, घी के सैंपल में जो कमियां पाई गईं, वे मानकों के अनुरूप नहीं थीं। यही कारण रहा कि अदालत ने इसे उपभोक्ताओं के साथ खिलवाड़ मानते हुए आर्थिक दंड लगाया। हालांकि, पतंजलि की ओर से इस आदेश का कड़ा विरोध भी सामने आया है।

पतंजलि ने आदेश को बताया त्रुटिपूर्ण, रेफरल लैब पर भी उठाए सवाल

पतंजलि ने सोशल मीडिया पर एक विस्तृत पोस्ट जारी कर अदालत के इस आदेश को त्रुटिपूर्ण बताया। कंपनी का दावा है कि जिस रेफरल लैब में घी का परीक्षण किया गया, वह NABL से गाय के घी की जांच के लिए मान्यता प्राप्त ही नहीं थी। ऐसे में वहां किया गया परीक्षण कंपनी के मुताबिक विधि की दृष्टि से स्वीकार्य ही नहीं है।

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पतंजलि की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि जिन पैरामीटरों के आधार पर नमूना असफल घोषित किया गया, वे नमूना लिए जाने के समय लागू ही नहीं थे। इसलिए, उन मानकों का प्रयोग करना कानूनी रूप से गलत है। कंपनी ने यह भी आरोप लगाया कि पुनः परीक्षण नमूने की एक्सपायरी तिथि बीत जाने के बाद किया गया, जो कि खाद्य कानूनों के अनुरूप नहीं है।

कुल मिलाकर, पतंजलि का पक्ष साफ है– कंपनी खुद को “सर्वश्रेष्ठ गाय का घी” बेचने वाला ब्रांड बताती है और लैब को ही सब-स्टैंडर्ड करार देती है, जिसने उसके उत्पाद को सब-स्टैंडर्ड बताया।

शहद के नमूने पर भी लग चुका है जुर्माना

यह पहली बार नहीं है जब पतंजलि किसी खाद्य उत्पाद को लेकर विवाद में घिरी हो। साल 2024 में भी पतंजलि के शहद के नमूने जांच में फेल हो गए थे। यह नमूना करीब चार साल पहले पिथौरागढ़ के डीडीहाट क्षेत्र से लिया गया था। परीक्षण में शहद में सुक्रोज की मात्रा निर्धारित सीमा से दोगुनी से अधिक पाई गई।

इसके बाद न्याय निर्णायक अधिकारी ने विक्रेता पर 40 हजार और स्टॉकिस्ट पर 60 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। तब भी पतंजलि की “नेचुरल और शुद्ध” ब्रांडिंग पर सवाल खड़े हुए थे और सोशल मीडिया पर कंपनी के खिलाफ तीखी प्रतिक्रियाएं आई थीं।

स्विमिंग पूल में तैरते हुए बाबा रामदेव का नया वीडियो

घी और शहद विवाद के बीच ही बाबा रामदेव का एक नया वीडियो सामने आया है, जिसे उन्होंने खुद सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। वीडियो में वह स्विमिंग पूल में तैरते हुए पतंजलि के कई उत्पादों का प्रचार करते दिखाई दे रहे हैं।

पोस्ट के साथ बाबा रामदेव ने सवाल उठाया कि कॉलेजन के नाम पर कहीं लोग मछली या सूअर की चमड़ी का एक्सट्रैक्ट तो नहीं खा रहे? और क्या लोग च्यवनप्राश, हींग, केसर और हनी के नाम पर मिलावटी कचरा और खतरा तो नहीं खा रहे हैं? इस पूरे अंदाज़ में वे बाजार में मिलने वाले दूसरे ब्रांडों को निशाने पर लेते हैं और पतंजलि के घी, हींग, शिलाजीत, केसर च्यवनप्राश और शहद को बेहतर और शुद्ध बताते हैं।

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यह पूरा वीडियो लगभग पांच मिनट का है, जिसमें बाबा रामदेव एक-एक उत्पाद पर विस्तार से बात करते हैं और “मिलावट के खिलाफ” अभियान चलाने जैसा संदेश देते हैं। लेकिन, इसी वीडियो के नीचे लोगों ने उन्हें उसी घी और शहद की याद दिलाई, जिन पर हाल के दिनों में सवाल उठे हैं।

वीडियो सामने आते ही सोशल मीडिया पर मच गया बवाल

जैसे ही यह वीडियो सामने आया, सोशल मीडिया पर कॉमेंट्स की बाढ़ आ गई। तमाम यूजर्स ने हाल ही में शुद्ध गाय के घी पर लगे जुर्माने की चर्चा शुरू कर दी। बहुत से लोगों ने 2024 वाले शहद विवाद का ज़िक्र करते हुए लिखा कि जो कंपनी खुद मानकों पर खरी नहीं उतर पा रही, वह दूसरों को मिलावट का पाठ कैसे पढ़ा सकती है?

कुछ यूजर्स ने यह भी कहा कि बाबा रामदेव का अंदाज़ भले ही चुटीला हो, लेकिन “शुद्धता” के दावे अब आम उपभोक्ता के लिए आसानी से स्वीकार करना मुश्किल होता जा रहा है। वहीं, पतंजलि के समर्थक यह दलील देते दिखे कि कंपनी पर हो रही कार्रवाई षड्यंत्र का हिस्सा है और इसके पीछे विदेशी कंपनियों का दबाव है।

ब्रांड इमेज, भरोसा और खाद्य सुरक्षा की बड़ी बहस

लगातार उठ रहे ये सवाल सिर्फ एक कंपनी या एक बाबा की छवि तक सीमित नहीं हैं। यह पूरा मामला भारत में खाद्य सुरक्षा, मानकों और ब्रांड भरोसे की बड़ी बहस से भी जुड़ जाता है। जब कोई ब्रांड खुद को स्वदेशी, आयुर्वेदिक और शुद्ध बताकर बाजार में उतरे, तो उससे अपेक्षा भी उतनी ही कड़ी होती है।

ऐसे में अगर घी और शहद जैसे रोजमर्रा के इस्तेमाल वाले उत्पादों पर मानकों के उल्लंघन के आरोप लगते हैं, तो उपभोक्ता का भरोसा डगमगाना स्वाभाविक है। कोर्ट, लैब और कंपनी के बीच चल रहे तर्क–वितर्क से अलग, आम उपभोक्ता के लिए सबसे बड़ा सवाल यही है कि जो वह खरीद रहा है, क्या वह सच में शुद्ध है?

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फिलहाल, पतंजलि ने अदालत के आदेश को चुनौती दी है और अपनी तरफ़ से विस्तृत सफाई भी दी है। लेकिन सोशल मीडिया की अदालत में फैसला अक्सर बहुत तेज़ी से होता है, जहां वायरल वीडियो, पुराने विवाद और नई कार्रवाई मिलकर कंपनी की छवि को तुरंत प्रभावित कर देते हैं।

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पतंजलि के शुद्ध गाय के घी पर जुर्माना क्यों लगा?

पिथौरागढ़ में लिए गए पतंजलि के शुद्ध गाय के घी के सैंपल को लैब टेस्ट में मानकों के अनुरूप नहीं पाया गया। इसी आधार पर अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट की अदालत ने घी बेचने वाले वितरकों व दुकानदारों पर 15 हजार और पतंजलि कंपनी पर 1.25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। कंपनी इस आदेश को त्रुटिपूर्ण बता रही है।

क्या पतंजलि ने अदालत के आदेश को स्वीकार कर लिया है?

नहीं, पतंजलि ने इस आदेश पर आपत्ति जताते हुए सोशल मीडिया पर एक लंबा नोट जारी किया है। कंपनी का कहना है कि जिस रेफरल लैब में घी का परीक्षण हुआ, वह NABL से इस परीक्षण के लिए मान्यता प्राप्त नहीं थी और परीक्षण नमूने की एक्सपायरी तिथि बीत जाने के बाद किया गया, इसलिए यह पूरी प्रक्रिया विधिक रूप से दोषपूर्ण है।

बाबा रामदेव के वायरल वीडियो में क्या खास है?

वायरल वीडियो में बाबा रामदेव स्विमिंग पूल में तैरते हुए पतंजलि के घी, शहद, हींग, केसर च्यवनप्राश और शिलाजीत जैसे उत्पादों का प्रचार करते दिखाई देते हैं। वे आरोप लगाते हैं कि बाज़ार में कॉलेजन के नाम पर मछली या सूअर की चमड़ी का एक्सट्रैक्ट और कई मिलावटी उत्पाद बेचे जा रहे हैं, जबकि पतंजलि अपने उत्पादों को शुद्ध और सुरक्षित बताती है।

पतंजलि शहद पर कब और क्यों कार्रवाई हुई थी?

साल 2024 में पिथौरागढ़ के डीडीहाट क्षेत्र से लिए गए पतंजलि शहद के नमूने की जांच में सुक्रोज की मात्रा निर्धारित सीमा से दोगुनी से अधिक पाई गई थी। इसके बाद न्याय निर्णायक अधिकारी ने विक्रेता पर 40 हजार और स्टॉकिस्ट पर 60 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। इसी मामले के बाद से पतंजलि के शहद पर भी सवाल उठने लगे थे।

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