यूपी में नशीले कफ सिरप तस्करी का बिलियन नेटवर्क बेनकाब, ईडी की एंट्री से माफिया में हड़कंप

कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
IMG_COM_202512190117579550
previous arrow
next arrow

उत्तर प्रदेश में नशीले कफ सिरप की तस्करी का संगठित नेटवर्क अब कानूनी शिकंजे में आता दिख रहा है। करोड़ों रुपये के अवैध कारोबार और बहु-राज्यीय तस्करी के इस सिंडीकेट पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी जांच शुरू कर दी है। ईडी की इंवेस्टिगेशन विंग प्रदेश के एक दर्जन से अधिक जिलों के साथ-साथ मध्य प्रदेश, झारखंड और अन्य राज्यों में दर्ज एफआईआर एकत्र कर रही है। सूत्र बताते हैं कि जांच एजेंसी इस संगठित नेटवर्क की जड़ तक पहुंचने के लिए पैसों के लेन-देन, हवाला नेटवर्क, बैंक खातों और संपत्तियों का विश्लेषण कर रही है। प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत केस दर्ज कर सभी आरोपियों के ठिकानों पर संभावित छापेमारी की तैयारी भी की जा रही है।

खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की शुरुआती कार्रवाई ने पहले ही इस नेटवर्क की परतें उधेड़ दी थीं, और अब ईडी के शामिल होते ही मामला बहुत बड़े आर्थिक अपराध की दिशा में बढ़ गया है। ईडी ने यूपी पुलिस, एसटीएफ और वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट द्वारा गठित एसआईटी से अब तक इकट्ठा किए गए प्रमाणों की प्रतियां मांगी हैं, ताकि इनका वित्तीय विश्लेषण तैयार कर कठोर कानूनी कार्रवाई की जा सके।

इसे भी पढें  बारिश से बर्बादी — उत्तर प्रदेश में खरीफ़ फसलों को भारी झटका

मुख्य आरोपी कौन हैं और किन जिलों में दर्ज हैं मुकदमे

ईडी की रडार पर 50 से अधिक मुख्य आरोपी हैं जिनमें शुभम जायसवाल, अमित सिंह टाटा, बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह, विभोर राणा, विशाल सिंह, भोला जायसवाल, आसिफ, वसीम और सौरभ त्यागी जैसे नाम शामिल हैं। इनके खिलाफ वाराणसी, जौनपुर, सोनभद्र, गाजियाबाद, लखनऊ, भदोही, चंदौली, सुल्तानपुर और गाजीपुर समेत कई जिलों में एफआईआर दर्ज है। इनके द्वारा संचालित फार्मों और मेडिकल सप्लाई कंपनियों के खातों में हुए करोड़ों के लेन-देन का ब्यौरा ईडी जुटा रही है। ऐसा संदेह है कि तस्करी के इस नेटवर्क से होने वाले मुनाफे को संपत्तियों, वाहनों, शेल कंपनियों और हवाला चैनल के जरिए खपाया गया।

पूर्वांचल के बाहुबलियों और राजनैतिक संरक्षण पर भी नज़र

सूत्रों के अनुसार ईडी इस मामले में दो बाहुबलियों और राजनेताओं की भूमिका की गहन जांच कर रही है, जिन पर शुभम जायसवाल को सुरक्षा प्रदान करने के आरोप हैं। इसमें से एक बाहुबली पूर्व सांसद भी रह चुका है और बताया जा रहा है कि उसे संरक्षण शुल्क (प्रोटेक्शन मनी) भी दिया जाता था। इन कंपनियों के बैंक लेन-देन और संपत्तियों की जांच का जिम्मा ईडी की प्रयागराज यूनिट को सौंपा गया है। इसके अलावा उन अफसरों की भूमिकाएं भी चिन्हित की जा रही हैं जिन्होंने इन गलत फार्मों को लाइसेंस जारी किए। खासतौर पर एक सहायक आयुक्त संदेह के घेरे में है।

इसे भी पढें  साइक्लोन मोंथा का असर : यूपी समेत दिल्ली-राजस्थान में मचा हड़कंप, अब नहीं खिलेगी धूप, बढ़ेगी ठंडक

एसआईटी का गैंग चार्ट पूरा होने के बाद होंगे गैंगस्टर और संपत्ति जब्ती

वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट द्वारा गठित एसआईटी पूरे मामले का गैंग चार्ट तैयार कर रही है जिसमें तस्करों की भूमिका, आर्थिक लाभ, सप्लाई चैन, परिवहन नेटवर्क और काले धन के प्रवाह का विवरण होगा। गैंग चार्ट पूरा होते ही आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट लगाया जाएगा और इसके बाद अपराध से अर्जित संपत्तियों को चिन्हित कर जब्त करने की प्रक्रिया शुरू होगी। पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल के अनुसार जांच तेजी से अंतिम चरण की ओर बढ़ रही है और रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।

48 घंटे में छह जिलों में 11 फर्मों पर एफआईआर, कुल 98 मामले दर्ज

खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने बीते 48 घंटों में छह जिलों की 11 फर्मों पर एफआईआर दर्ज कराई है। इनमें जौनपुर की वान्या इंटरप्राइजेज, आकाश मेडिकल स्टोर, मनीष मेडिकल स्टोर और शिवम मेडिकल स्टोर शामिल हैं, जबकि भदोही, सोनभद्र, लखीमपुर खीरी, प्रयागराज और बहराइच की फर्मों को भी आरोपित किया गया है। अब तक नौ जिलों में कुल 98 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं, जिससे इस अवैध नेटवर्क का विस्तार सामने आता है।

इसे भी पढें  दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था की असली स्थिति — कमियों की परतें, जिम्मेदारियों की पड़ताल और सुधार की राजनीति


🔻 क्लिक कर पढ़ें सवाल–जवाब

ईडी की कार्रवाई से आगे क्या होगा?

ईडी द्वारा वित्तीय अपराध साबित होने पर आरोपियों की संपत्ति जब्त, बैंक खाते फ्रीज और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल लोगों की गिरफ्तारी की कार्रवाई संभव है।

क्या इस नेटवर्क में सरकारी अधिकारियों की भूमिका भी जांच के दायरे में है?

जी हां, विशेष रूप से लाइसेंस जारी करने, निरीक्षण और नियंत्रण में लापरवाही या सांठगांठ की जांच चल रही है। एक सहायक आयुक्त की भूमिका सबसे अधिक संदिग्ध मानी जा रही है।

क्या आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट भी लगाया जाएगा?

एसआईटी गैंग चार्ट तैयार कर रही है। उसके पूरा होते ही गैंगस्टर एक्ट लगाया जाएगा और अपराध से अर्जित संपत्तियां जब्त की जाएंगी।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Language »
Scroll to Top