2029 में कहां से लड़ेंगे चुनाव? बृजभूषण शरण सिंह बोले– फैसला जनता करेगी


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अब्दुल मोबीन सिद्दीकी की रिपोर्ट

2029 में कहां से लड़ेंगे चुनाव? बृजभूषण शरण सिंह बोले– फैसला जनता करेगी

कैसरगंज के पूर्व सांसद और क्षेत्र की सियासत में अहम पहचान रखने वाले
बृजभूषण शरण सिंह ने 2029 के लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ा संकेत दे दिया है।
एक निजी मांगलिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे पूर्व सांसद ने साफ कहा कि वह कहां से चुनाव लड़ेंगे,
इसका फैसला वह नहीं बल्कि जनता करेगी। उन्होंने दो टूक कहा कि चुनाव में कहां से उतरेंगे,
यह ‘पत्ता’ वह नहीं खोलेंगे, बल्कि जनता ही चुनाव से करीब छह महीने पहले इसे खोलेगी।

“जनता ही तय करेगी, हम कहां से और क्या लड़ेंगे”

पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि लोकतंत्र में अंतिम फैसला हमेशा जनता के हाथ में होता है।
उन्होंने बताया कि वह खुद किसी सीट का एलान करने के पक्ष में नहीं हैं, बल्कि लोगों के बीच से उठने वाले
जनभावनाओं को ही अपना असली मार्गदर्शन मानते हैं। उनके मुताबिक,
“हम कहां से लड़ेंगे और लड़ेंगे भी या नहीं, यह जनता ही बताएगी। जब समय आएगा, जनता ही इशारा करेगी।”

उन्होंने याद दिलाया कि पिछले लोकसभा चुनाव के समय भी क्षेत्र की जनता उन्हें फिर से संसद भेजना चाहती थी,
लेकिन परिस्थितियां कुछ ऐसी बनीं कि पार्टी को अलग निर्णय लेना पड़ा और उनकी जगह उनके बेटे को प्रत्याशी
बनाकर सांसद बनाया गया। उन्होंने हल्के व्यंग्य के साथ कहा कि,
“अब मैं क्या करूं? निर्णय पार्टी का था, लेकिन जनता का स्नेह आज भी मेरे साथ है।”

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“संसद में नहीं, फिर भी रोज़ सुनता हूं जनता की तकलीफ”

दिलचस्प बात यह रही कि पूर्व सांसद ने खुद को सिर्फ पद से नहीं, बल्कि जनता से जुड़ा जनप्रतिनिधि बताया।
उन्होंने कहा कि भले ही आज वह संसद में न हों, लेकिन देश के करीब दस जिलों से लोग रोज़ दिल्ली पहुंचकर
अपनी समस्याएं उनसे साझा करते हैं। वह इन शिकायतों और मांगों को संबंधित अधिकारियों के सामने रखते हैं
और जहां संभव होता है, समाधान की कोशिश करते हैं।

बृजभूषण शरण सिंह ने दावा किया कि संसद में न होने के बावजूद जनता से उनका रिश्ता कमजोर नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा कि जनसमस्याओं पर बात करना, अधिकारियों से संवाद करना और पीड़ितों को राहत दिलाने की कोशिश करना
उनका रोज़मर्रा का काम बना हुआ है। उनके अनुसार, यही जुड़ाव आगे की राजनीतिक दिशा भी तय करेगा।

मतदाता सूची पुनरीक्षण पर टिप्पणी, पल्लवी पटेल पर तंज

विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) को लेकर पूछे गए सवाल पर पूर्व सांसद ने बताया कि
उन्होंने स्वयं अपना फॉर्म भर दिया है। जब उनसे जनता के नाम पर अपील करने के बारे में पूछा गया तो
उन्होंने कुछ हटकर जवाब देते हुए कहा कि जिसे वोट देना हो, वही फॉर्म भरे, जिसे नहीं देना हो, वह न भरे।
यह हर नागरिक की व्यक्तिगत समझ और अधिकार का विषय है।

सिराथू की विधायक पल्लवी पटेल द्वारा फॉर्म न भरने संबंधी दिए गए बयान पर उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि
“वह तो राजा हैं।” साथ ही जोड़ा कि आज देश और प्रदेश की राजनीति में खुद को ‘राजा’ समझने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है।
उनके इस तंज के ज़रिए सियासत में बढ़ते अहंकार और अकड़ पर भी अप्रत्यक्ष प्रहार साफ दिखा।

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पतंजलि घी विवाद: “चार साल बाद रिपोर्ट आना बेहद गंभीर सवाल”

हाल के दिनों में चर्चा में रहे पतंजलि के घी विवाद पर भी बृजभूषण शरण सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने कहा कि किसी भी खाद्य उत्पाद की जांच रिपोर्ट दो–चार घंटे या अधिक से अधिक दो–चार दिन में आ जानी चाहिए,
न कि चार साल बाद। उनके मुताबिक, अगर चार साल तक लाखों लोग नकली या मिलावटी घी खाते रहे हों तो
उनकी सेहत की जिम्मेदारी कौन लेगा, यह बड़ा सवाल है।

पूर्व सांसद ने कहा कि केवल पतंजलि ही नहीं, बल्कि बाजार में मौजूद सभी बड़े ब्रांडों की
निष्पक्ष और कठोर जांच होनी चाहिए। उन्होंने आशंका जताई कि अगर आज के बड़े–बड़े दावेदार ब्रांडों की ईमानदारी से जांच कर ली जाए,
तो शायद ही कोई मानक पर पूरी तरह खरा उतर पाए। उन्होंने इसे उपभोक्ता के अधिकार और स्वास्थ्य सुरक्षा से जुड़ा बड़ा मुद्दा बताया।

“दूध का सही दाम मिले, तो गांव से पलायन रुक सकता है”

दूध और दुग्ध उत्पादों में हो रही मिलावट पर चिंता जताते हुए बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि अगर इस धंधे पर
पूरी तरह रोक लगा दी जाए और किसानों को दूध का सही दाम मिले, तो गांव से होने वाला पलायन बहुत हद तक रुक सकता है।
उन्होंने तर्क दिया कि उचित कीमत मिलने पर किसान फिर से गाय–भैंस पालने की तरफ लौटेंगे,
जिससे गांवों में रोजगार के स्थायी अवसर पैदा होंगे।

उन्होंने कहा कि जब गांव में ही सम्मानजनक आमदनी का रास्ता बनेगा, तो बेरोजगारी स्वतः कम होगी और
लोग शहरों की ओर मजबूरन पलायन करने से बचेंगे। उनके मुताबिक, दूध की गुणवत्ता, उचित मूल्य और
मिलावट पर सख्त नियंत्रण—ये तीनों मिलकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकते हैं।

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कुल मिलाकर, पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने 2029 के लोकसभा चुनाव, मतदाता सूची पुनरीक्षण,
पतंजलि घी विवाद और दूध में मिलावट जैसे मुद्दों पर अपने अंदाज में स्पष्ट, तंज भरे और सवाल खड़े करने वाले
बयान दिए। अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में जनता की राय किस दिशा में बहती है और
वह उन्हें फिर से किस रूप में देखना चाहती है।

सवाल–जवाब (क्लिक करके जवाब देखें)

बृजभूषण शरण सिंह ने 2029 के लोकसभा चुनाव को लेकर क्या कहा?

उन्होंने कहा कि वह खुद सीट तय नहीं करेंगे। चुनाव कहां से लड़ना है और लड़ना भी है या नहीं,
इसका फैसला जनता करेगी। जनता ही चुनाव से करीब छह महीने पहले ‘पत्ता खोलेगी’।

क्या पूर्व सांसद अभी भी जनता की समस्याएं सुन रहे हैं?

हां, उन्होंने बताया कि वह भले ही इस समय संसद में न हों, लेकिन देश के लगभग दस जिलों से लोग रोज़
दिल्ली आकर अपनी समस्याएं उनके सामने रखते हैं और वह अधिकारियों से बात कर समाधान की कोशिश करते हैं।

पतंजलि के घी की जांच रिपोर्ट पर बृजभूषण शरण सिंह ने क्या सवाल उठाया?

उन्होंने कहा कि खाद्य उत्पादों की जांच रिपोर्ट चार साल बाद आना बहुत गंभीर बात है।
अगर लोग चार साल तक मिलावटी घी खाते रहे हों तो उनकी सेहत की जिम्मेदारी कौन लेगा,
यह सरकार और एजेंसियों को स्पष्ट करना चाहिए।

दूध के दाम और गांव से पलायन के बीच क्या संबंध बताया गया?

पूर्व सांसद के अनुसार, यदि दूध का सही दाम मिले और मिलावट पर सख्त रोक लगे,
तो किसान फिर से पशुपालन की ओर लौटेंगे। इससे गांव में रोजगार बढ़ेगा और शहरों की ओर
पलायन काफी हद तक रुक सकता है।

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