उन्नाव जनपद में पुलिस व्यवस्था पर सवाल खड़ा करने वाला एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। सदर कोतवाली में तैनात महिला दरोगा उमा अग्रवाल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है, जिसमें वे एक 60 वर्षीय बुजुर्ग महिला को अंगुली दिखाते हुए धमकी देती दिखाई दे रही हैं। वीडियो में कथित तौर पर सुनाई दे रहा है— “इतना जूता लगाएंगे कि शक्ल भूल जाओगी… तुम्हारे बाप के नौकर नहीं हैं समझ गई तुम।”
घटना सामने आने के बाद पूरा प्रशासन और पुलिस विभाग सकते में है तथा मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बंदूहार गांव की रहने वाली रिंकी ने अपने पति अमित कुमार, सास छेदाना देवी, ससुर प्रेम, देवर विशाल और ननद पूनम के खिलाफ दहेज उत्पीड़न की FIR दर्ज कराई थी। इसी मुकदमे में नोटिस तामील कराने और जांच-पड़ताल के लिए 28 नवंबर की शाम महिला दरोगा उमा अग्रवाल, पीड़िता रिंकी के साथ डकौली गांव पहुंची थीं।
इसी दौरान रिंकी की सास छेदाना देवी और दरोगा उमा अग्रवाल के बीच बहस हो गई। आरोप है कि बुजुर्ग महिला द्वारा कागज पर हस्ताक्षर करने से मना करने पर दरोगा आगबबूला हो गईं और धमकी भरा व्यवहार किया। ग्रामीणों के मुताबिक यह पूरा घटनाक्रम कुछ मिनट चला और किसी ने इसका वीडियो रिकॉर्ड कर लिया, जो तेज़ी से वायरल हो गया।
वहीं कोतवाली पुलिस का कहना है कि घटना का वीडियो पूरे घटनाक्रम को नहीं दिखाता बल्कि सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा रिकॉर्ड किया गया है। पुलिस के अनुसार नोटिस तामील कराने के दौरान कई लोग आक्रोशित हो गए और हंगामा करने लगे। यहां तक कि रिंकी पर हमला करने की भी कोशिश की गई। ऐसे माहौल में मामले को शांत कराने के लिए दरोगा ने डांट-फटकार का सहारा लिया।
हालांकि ग्रामीण इससे सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि किसी भी अधिकारी को बुजुर्ग महिला से इस प्रकार की बदसलूकी और धमकी का अधिकार नहीं है। ग्रामीणों ने एसपी और उच्चाधिकारियों से दरोगा उमा अग्रवाल को तत्काल प्रभाव से लाइन हाजिर करने और सार्वजनिक रूप से माफी दिलवाने की मांग की है।
वीडियो वायरल होने के बाद मामला एसपी जयप्रकाश सिंह तक पहुंचा। एसपी ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सीओ दीपक यादव को जांच सौंपी है और साफ कहा है कि जांच पूरी होने के बाद रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। माना जा रहा है कि रिपोर्ट आने तक मामला शांत नहीं होगा, क्योंकि ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों की नजर इस जांच पर टिकी हुई है।
उमा अग्रवाल इससे पहले भी विवादों में रह चुकी हैं। दो वर्ष पहले रायबरेली से उन्नाव ट्रांसफर के बाद उन्हें कांशीराम चौकी और फिर मगरवारा पुलिस चौकी का चार्ज मिला था। एक मामले में लापरवाही पाए जाने पर उन्हें लाइन हाजिर किया गया था। इसके बाद ही उन्हें मार्च 2025 में सदर कोतवाली में तैनाती दी गई।
इस घटना के बाद यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या फील्ड में जनता से संवाद की कमी, बढ़ता तनाव और जवाबदेही की ढील पुलिस कर्मियों के व्यवहार को प्रभावित कर रही है? क्या वर्दी के साथ संवेदनशीलता भी बरकरार रहनी चाहिए? यह मुद्दा अब केवल उन्नाव तक सीमित नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की पुलिस व्यवस्था के लिए एक बड़ा सवाल है।
घटना ने स्थानीय जनमानस को झकझोर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि न्याय की लड़ाई लड़ रही दो परिवारों के बीच पुलिस को निष्पक्ष मध्यस्थ की भूमिका निभानी चाहिए, न कि पीड़ित और प्रतिवादी दोनों पर मानसिक दबाव बनाने की।
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी कहा कि वर्दी का अर्थ संरक्षण है, दमन नहीं। यदि जांच में दरोगा दोषी पाई गईं तो यह पुलिस छवि सुधारने का अवसर भी होगा।
कुल मिलाकर, यह प्रकरण केवल एक विवाद नहीं बल्कि व्यवस्था और जनता के बीच संवेदनशील संवाद की आवश्यकता का संकेत देता है। आगे की कार्रवाई पुलिस द्वारा जारी जांच रिपोर्ट पर निर्भर करेगी।
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वीडियो में महिला दरोगा बुजुर्ग महिला को धमकाते हुए कहती सुनाई देती हैं— “इतना जूता लगाएंगे कि शक्ल भूल जाओगी।”
यह घटना रिंकी द्वारा पति और ससुरालजनों के खिलाफ दर्ज दहेज उत्पीड़न मामले से जुड़ी जांच और नोटिस तामील के दौरान हुई।
पुलिस का कहना है कि वीडियो अधूरा है और भीड़ आक्रोशित थी, इसलिए स्थिति संभालने के लिए कड़े शब्दों का उपयोग किया गया।
सीओ दीपक यादव जांच कर रहे हैं। रिपोर्ट के आधार पर महिला दरोगा उमा अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई होने की संभावना है।