
बांदा। पाकिस्तान की कराची स्थित चर्चित लांडी जेल में बंद उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के चार भारतीय मछुआरों की रिहाई का मुद्दा अब राजनीतिक स्तर पर तेजी से उठने लगा है। गुरुवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व मंत्री व पूर्व सांसद विशंभर प्रसाद निषाद ने पीड़ित परिवारों के साथ जिलाधिकारी बांदा को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि आने वाले लोकसभा सत्र में इस मामले को सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ उठाया जाएगा, ताकि केंद्र सरकार पाकिस्तान से चारों मजदूरों की तत्काल और सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित कर सके।
पूर्व सांसद ने जिला प्रशासन से अपील करते हुए कहा कि यह मामला केवल राजनीतिक नहीं बल्कि पूरी तरह से मानवीय और संवेदनशील है। चारों मजदूर अपने परिवारों की आजीविका के मुख्य आधार थे और उनके जेल में बंद होने के कारण परिजन कर्ज, आर्थिक तंगी और मानसिक पीड़ा झेल रहे हैं। उन्होंने मांग की कि जिला प्रशासन तत्काल इस प्रकरण को विदेश मंत्रालय, भारत सरकार तक भेजे और उच्चस्तरीय हस्तक्षेप की प्रक्रिया शुरू कराए।
कौन हैं बांदा जिले के वे चार भारतीय जिनकी रिहाई की मांग की जा रही है?
ज्ञापन में दिए गए विवरण के अनुसार बांदा जिले के निम्न युवक कराची की लांडी जेल में बंद हैं—
- जितेंद्र पुत्र संजय – माटा गांव
- लक्ष्मण पुत्र जागेश्वर – धौंसड गांव
- सर्वेश पुत्र श्रीराम – चकचटगन गांव
- चांदबाबू पुत्र बशीर – चकचटगन गांव
यह सभी मजदूर गुजरात के ओखा/बेरावल समुद्री तट पर निजी नौकाओं पर मछली पकड़ने का कार्य कर जीविका चलाते थे। अक्टूबर 2021 में पाकिस्तानी नौसेना ने इन लोगों को भारतीय सीमा से पकड़ा और कथित रूप से समुद्री सीमा उल्लंघन के आरोप में जेल भेज दिया। तब से अब तक वे पाकिस्तान की जेल में बंद हैं।
जेल से आई चिट्ठियों ने बढ़ाई चिंता, स्वास्थ्य बिगड़ने की जानकारी
परिजनों ने बताया कि हाल में जेल से आई चिट्ठियों में चारों भारतीयों ने लगातार हो रही यातनाओं और खराब स्वास्थ्य का वर्णन किया है। पत्रों में उल्लेख किया गया है कि जेल में स्वास्थ्य सुविधाएँ बेहद खराब हैं और समय पर दवाइयाँ तक नसीब नहीं हो पा रहीं। परिजनों को आशंका है कि यदि शीघ्र रिहाई नहीं हुई तो उनके परिजन जानलेवा स्थिति में पहुंच सकते हैं।
बच्चों की पढ़ाई बंद हो गई है, परिवार कर्ज में डूब गए हैं और कई घरों में भोजन तक के लाले पड़ गए हैं। परिजनों ने भावुक होकर कहा कि उनके बेटे और भाई किसी अपराधी नहीं बल्कि मेहनतकश मजदूर हैं जो परिवार पालने के लिए समुद्र में काम करने जाते थे।
संसद में उठेगा मामला — पाकिस्तान पर दबाव बनाने की तैयारी
डीएम को दिए ज्ञापन में पूर्व सांसद विशंभर प्रसाद निषाद ने कहा कि समाजवादी पार्टी इस मामले को लोकसभा सत्र में पूरी मजबूती के साथ उठाएगी ताकि केंद्र और विदेश मंत्रालय पाकिस्तान सरकार पर कूटनीतिक दबाव बनाकर इन भारतीय नागरिकों की तत्काल रिहाई सुनिश्चित करा सकें। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक चारों युवकों की भारतीय सीमा में सुरक्षित घर वापसी नहीं होती, संघर्ष जारी रहेगा।
उन्होंने जिला प्रशासन से अनुरोध किया कि मामले को हाई प्रायोरिटी पर लेते हुए हर स्तर पर पत्राचार शुरू कराया जाए और पीड़ित परिवारों को आर्थिक एवं कानूनी सहायता भी मुहैया कराई जाए।
स्थानीय लोगों में रोष और चिंता
घटना के सामने आने के बाद से बांदा एवं आसपास के गांवों में गहरी चिंता और नाराजगी व्याप्त है। ग्रामीणों ने कहा कि सरकारें बार-बार आश्वासन तो देती हैं लेकिन वर्षों से भारतीय मछुआरों की रिहाई का मुद्दा अनसुलझा पड़ा हुआ है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि संसद में आवाज उठने से अब इस मामले में सकारात्मक दिशा मिलेगी।
❓ क्लिक कर पढ़ें — सवाल और जवाब (FAQ)
कराची की लांडी जेल में बांदा जिले के कितने भारतीय बंद हैं?
चार भारतीय — जितेंद्र, लक्ष्मण, सर्वेश और चांदबाबू।
ये भारतीय पाकिस्तान कैसे पहुंचे?
वे गुजरात के ओखा/बेरावल समुद्री तट पर मछली पकड़ते समय समुद्री सीमा विवाद में पकड़े गए।
मामला संसद में कब उठेगा?
समाजवादी पार्टी आगामी लोकसभा सत्र में इसे प्राथमिकता के साथ उठाएगी।
परिवारों की वर्तमान स्थिति कैसी है?
आर्थिक संकट, कर्ज, मानसिक तनाव और घर चलाने में गंभीर मुश्किलें सामने आ रही हैं।
प्रशासन और सरकार से किस प्रकार की मांग की गई है?
विदेश मंत्रालय के माध्यम से पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव बनाकर भारतीय नागरिकों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित कराने की मांग।
📌 नोट: इस रिपोर्ट में दिए गए सभी तथ्य पीड़ित परिवारों और ज्ञापन में प्रस्तुत सूचनाओं पर आधारित हैं।