
मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश): जिले से एक ऐसा सनसनीखेज मामला सामने आया है जिसने हर किसी को हैरान कर दिया है। करोड़ों रुपये की जमीन हड़पने की कोशिश में तीन मृतक व्यक्तियों को रिकॉर्ड में जिंदा दिखाने का चौंकाने वाला खेल किया गया। खुलासा तब हुआ जब मृतकों के परिजनों ने पुलिस और प्रशासन के समक्ष लिखित शिकायत दर्ज कराई, लेकिन कार्रवाई ठंडी पड़ने पर मामला फिर चर्चा में आ गया।
चाचा ने फर्जी हलफनामे जमा कर मृतकों को दिखाया जिंदा
पूरा मामला भोपा थाना क्षेत्र का है, जहां समरपाल नाम के चाचा ने अपने चचेरे मृतक भाइयों मदनपाल, धर्मपाल और एक अन्य हिस्सेदार विक्रम सिंह को जिंदा दर्शाते हुए फरवरी 2025 में तहसील में एफिडेविट जमा कराए। आरोप है कि इस धोखाधड़ी के माध्यम से 15 बीघा खेती की जमीन को आबादी में घोषित कराकर कब्जाने का पूरा षड्यंत्र रचा गया।
परिवार के मुताबिक इन तीनों मृतक लोगों की मौत को 12 साल से अधिक हो चुके हैं, बावजूद इसके उनके नाम से कागजों में हस्ताक्षर और हलफनामे दिखाए गए। मामले की जानकारी होते ही परिजनों ने पुलिस में शिकायत दी।
8 महीनों से न्याय के लिए चक्कर काट रहे परिजन
पीड़ित पक्ष के रिश्तेदार श्रवण कुमार का कहना है कि उनके बहनोई की भोपा में लगभग 15 करोड़ की जमीन है, जिसे हड़पने के लिए समरपाल ने मृतकों को “जिंदा” दिखा दिया। आरोप है कि शिकायत के बाद भी तहसीलदार के कार्यालय में लंबे समय तक सुनवाई नहीं हुई और अधिकारियों ने मुकदमा दर्ज कराने की सलाह देकर मामला टाल दिया।
परिजनों का आरोप है कि सीओ की जांच रिपोर्ट के बाद भले ही थाना भोपा में मुकदमा दर्ज हो गया है, लेकिन पुलिस ने गंभीर मामला होने के बावजूद कठोर धाराओं के बजाय सामान्य धाराओं में एफआईआर दर्ज कर औपचारिकता पूरी कर दी। उनका कहना है कि जमीन विवाद में धोखाधड़ी को देखते हुए 338 बीएनएस जैसी गंभीर धाराएं लगाई जानी चाहिए थीं।
एसपी ग्रामीण बोले — दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी
इस विवाद पर एसपी ग्रामीण आदित्य बंसल ने बताया कि शिकायत के अनुसार कुछ लोगों ने फर्जी एफिडेविट लगाकर लाभ लेने का प्रयास किया है जिनमें मृत व्यक्तियों के नाम का भी उपयोग हुआ है। उन्होंने कहा कि थाना भोपा में मुकदमा दर्ज किया जा चुका है और विस्तृत जांच चल रही है। जांच पूरी होने के बाद जो भी व्यक्ति दोषी पाया जाएगा, उसके विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
जमीन विवाद ने बढ़ाया तनाव, पीड़ितों में रोष
परिवार का कहना है कि आठ महीनों से लगातार कार्यालयों के चक्कर लगाने के बाद भी न तो जमीन सुरक्षित है और न ही आरोपियों पर ठोस कार्रवाई हो पाई है। वहीं ग्रामीणों के बीच भी इस मामले को लेकर तीखी चर्चा है। लोग सवाल कर रहे हैं कि यदि मृतकों को कागजों पर जिंदा बनाया जा सकता है, तो आम नागरिकों की सुरक्षा और न्याय की गारंटी कैसे होगी?
FAQ — अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
मृतकों को जिंदा दिखाकर जमीन हड़पने की कोशिश किसने की?
मामले में परिजनों ने चाचा समरपाल पर आरोप लगाया है कि उन्होंने फर्जी एफिडेविट लगाकर मृतकों को जिंदा दिखाया।
मृतकों की मृत्यु कब हुई थी?
परिजनों के अनुसार तीनों मृतकों की मृत्यु लगभग 12 साल पहले हो चुकी थी।
कितनी जमीन को कब्जाने की कोशिश की गई?
करीब 15 बीघा जमीन जिसकी कीमत लगभग 15 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
पुलिस क्या कार्रवाई कर रही है?
थाना भोपा में मुकदमा दर्ज है, जांच जारी है और एसपी ग्रामीण ने दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
पीड़ितों की मुख्य मांग क्या है?
परिजनों की मांग है कि मुकदमे में गंभीर धाराएं शामिल की जाएं और आरोपियों को जल्द सजा दी जाए।