एक घर में 131 तो दूसरे में 302 लोग; यूपी के इस जिले में एक मकान में सैकड़ों वोटर दर्ज!

🖋 अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

प्रयागराज / उत्तर प्रदेश: देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में इस समय विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) अभियान चल रहा है। इसी प्रक्रिया के दौरान प्रयागराज जिले में ऐसा चौंकाने वाला मामला सामने आया जिसने बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) को भी हैरान कर दिया।

2003 की पुरानी वोटर लिस्ट के मिलान के दौरान पता चला कि इलाहाबाद उत्तर विधानसभा क्षेत्र में कई ऐसे मकान नंबर हैं, जिनमें एक-एक घर के पते पर सैकड़ों लोग दर्ज हैं। जबकि आमतौर पर एक घर में 5–7 लोग या संयुक्त परिवार की स्थिति में 15–20 लोग ही रहते हैं।

एक मकान में 302 और दूसरे में 131 वोटर दर्ज!

प्रत्येक मकान में दर्ज वोटरों की पड़ताल के दौरान भाग संख्या 269 के मकान नंबर 7 में हैरान कर देने वाली जानकारी मिली — यहां 302 लोगों के नाम वोटर के रूप में दर्ज हैं। वहीं भाग संख्या 271 के मकान नंबर 27 में 131 वोटरों के नाम मौजूद पाए गए।

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यह मामला सामने आते ही BLO भी उलझन में पड़ गए हैं, क्योंकि वास्तविकता में इन मकानों में इतने लोग रहते नहीं हैं।

BLO वोटरों की तलाश में भटक रहे, पर पता लगाना मुश्किल

SIR प्रक्रिया के तहत प्रत्येक घर में फॉर्म दिए जा रहे हैं और अब इन्हीं फॉर्म में दर्ज जानकारी का मिलान 2003 की वोटर लिस्ट से किया जा रहा है।

लेकिन कई मकानों में मुश्किलें सामने आई हैं —

  • कई जगह मकान नंबर की जगह “झुग्गी-झोपड़ी” लिखा हुआ है
  • एक झुग्गी झोपड़ी में ही 518 लोग दर्ज पाए गए
  • कई घरों के नाम हनुमान या बजरंग जैसे लिखे हुए हैं
  • ऐसे पते पर भी 50 से 100 वोटर दर्ज हैं

BLO का कहना है कि गरीबों के पास अपना मकान न होने पर झुग्गी के तौर पर पता दर्ज किया जाना समझ आता है, लेकिन एक झुग्गी में इतने लोगों का रहना सम्भव नहीं है।

DM ने बैठकर अधिकारियों को लगाई फटकार, कहा— सिर्फ आदेश न दो, जमीन पर जाओ

प्रयागराज के जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने निर्वाचन अधिकारियों की बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए कि वोटर लिस्ट पुनरीक्षण की पूरी जिम्मेदारी सिर्फ BLO के सिर पर न छोड़ी जाए।

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उन्होंने कहा कि —

“अधिकारी सिर्फ आदेश जारी न करें, बल्कि खुद मैदान पर जाएं और पुनरीक्षण में आने वाली बाधाओं को तुरंत दूर करवाएं ताकि तय समय में काम पूरा हो सके।”

गणना प्रपत्र जमा करने की अंतिम तारीख नजदीक है, लेकिन अब तक आधे से कम प्रपत्र डिजिटल रूप में अपलोड हो पाए हैं, जिस पर डीएम ने नाराजगी भी जताई।

क्यों महत्वपूर्ण है यह मामला?

2003 की वोटर लिस्ट के आधार पर किए जा रहे सत्यापन से यह पता चलेगा:

  • क्या कोई व्यक्ति या परिवार पहले से वोटर लिस्ट में दर्ज था या नहीं
  • क्या किसी पते पर फर्जी वोटर शामिल किए गए हैं
  • कितना डेटा अप्रमाणिक या गलत तरीके से दर्ज किया गया था

यही कारण है कि इस बार SIR अभियान का उद्देश्य वोटर लिस्ट को पूरी तरह शुद्ध और प्रमाणिक बनाना है।

📌 क्लिक करके सवाल-जवाब देखें

Q1. SIR अभियान क्या है?

SIR यानी Special Intensive Revision — इसके तहत वोटर लिस्ट की घर-घर जाकर जांच, सत्यापन और संशोधन किया जाता है ताकि सूची पूरी तरह सटीक बनाई जा सके।

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Q2. प्रयागराज में इतने बड़े पैमाने पर विसंगति क्यों सामने आई?

2003 की लिस्ट में पते गलत तरीके से दर्ज किए गए थे, कई जगह एक ही घर या झुग्गी में सैकड़ों लोगों के नाम शामिल कर दिए गए थे।

Q3. जिलाधिकारी ने क्या सख्त निर्देश दिए?

DM ने कहा कि सुपरवाइजर और अधिकारी खुद मैदान में जाएं, BLO की दिक्कतें दूर करें और पुनरीक्षण समय पर पूरा कराएं।

Q4. इससे क्या फायदा होगा?

इस बार की जांच के बाद वोटर लिस्ट में डुप्लीकेट, मृत और फर्जी नाम हटाए जाएंगे और नई सूची अधिक विश्वसनीय व सटीक बनेगी।

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