सरकारी विद्यालय में अव्यवस्था चरम पर — न प्रार्थना, न राष्ट्रगान, न पौष्टिक भोजन!





प्राथमिक विद्यालय कुकुरहाई में अव्यवस्था चरम पर — न प्रार्थना, न राष्ट्रगान, न पौष्टिक भोजन


📌 संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

चित्रकूट / मानिकपुर : भारत की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत और प्रभावी बनाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग तस्वीर पेश कर रही है। इसका ताज़ा उदाहरण
प्राथमिक विद्यालय कुकुरहाई (सेमरदहा), क्षेत्र मानिकपुर में देखने को मिला है, जहां न तो बच्चों से प्रार्थना करवाई जाती है, न ही राष्ट्रगान, और न ही नियमित शिक्षण कार्य होता है। इसके साथ-साथ
मध्यान भोजन योजना में भी बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई हैं। इन सबके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी इस पर गंभीरता से ध्यान नहीं दे रहे हैं, जिससे ग्रामीणों और अभिभावकों में आक्रोश व्याप्त है।

विद्यालय में न प्रार्थना, न राष्ट्रगान — अनुशासन की धज्जियां

विद्यालय में तैनात तीन शिक्षक और दो शिक्षामित्र होने के बावजूद बच्चों से न तो रोजाना प्रार्थना करवाई जाती है और न ही राष्ट्रगान। शिक्षा के साथ-साथ बच्चों के
चरित्र निर्माण और राष्ट्र भावना को मजबूत करने में प्रार्थना सभा और राष्ट्रगान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, लेकिन विद्यालय प्रबंधन द्वारा इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। यह स्थिति
शासन के निर्देशों की खुलेआम अनदेखी और अनुशासनहीनता को बढ़ावा देती नजर आती है।

छात्र संख्या कभी पांच तो कभी दस — व्यवस्था दम तोड़ती हुई

स्थानीय ग्रामीण और किसान नेता रामचन्द्र पाण्डेय के अनुसार विद्यालय में छात्र–छात्राओं की संख्या कभी पांच तो कभी दस के आसपास रहती है। कम संख्या का कारण सिर्फ जनसंख्या नहीं बल्कि
विद्यालय में पढ़ाई न होना, शिक्षकों का व्यवहार और अव्यवस्थित माहौल भी है। अनेक अभिभावकों का कहना है कि जब विद्यालय में न तो नियमित कक्षाएं चलती हैं, न अनुशासन है और न बच्चों के भविष्य के प्रति कोई
संवेदनशीलता, तो ऐसे में वे बच्चों को विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित ही नहीं हो पाते।

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एक ही कमरे में विद्यालय और आंगनबाड़ी — बच्चों की पहचान तक मुश्किल

सबसे चिंताजनक तथ्य यह है कि पूरे विद्यालय का संचालन एक ही कमरे में हो रहा है और इसी कमरे में आंगनबाड़ी केंद्र भी संचालित किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में यह स्पष्ट रूप से पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि
कौन से बच्चे विद्यालय के छात्र हैं और कौन आंगनबाड़ी के। यह न केवल शैक्षिक व्यवस्था के साथ खिलवाड़ है, बल्कि बच्चों की उम्रानुसार शिक्षा और पोषण दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

मध्यान भोजन में गड़बड़ी — न पौष्टिक आहार, न पारदर्शिता

मध्यान भोजन योजना का उद्देश्य विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों को पौष्टिक और संतुलित भोजन उपलब्ध कराना है, ताकि वे स्वस्थ रहकर पढ़ाई पर ध्यान दे सकें। लेकिन
प्राथमिक विद्यालय कुकुरहाई में यह योजना केवल कागजों पर चलती हुई प्रतीत होती है। ग्रामीणों के अनुसार बच्चों को न तो संतुलित सब्जी, न गुणवत्तापूर्ण दाल और न ही पर्याप्त भोजन मिलता है। कई बार
भोजन मात्रा से कम दिया जाता है और कभी–कभी भोजन मिलता ही नहीं। यह स्थिति बच्चों के स्वास्थ्य, विकास और शिक्षा तीनों के साथ सीधा खिलवाड़ है।

न घंटी बजती, न पढ़ाई — शिक्षक अपनी मनमानी पर

विद्यालय में न तो नियमित रूप से घंटी बजाई जाती है और न ही समयबद्ध तरीके से कक्षाएं संचालित होती हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि कई बार शिक्षक मनमाने समय पर आते–जाते हैं, जबकि बच्चों को
कक्षा में बैठाकर पढ़ाने की बजाय औपचारिक उपस्थिति पूरी करने पर अधिक ध्यान दिया जाता है। इस वजह से विद्यालय का वातावरण
शैक्षिक केंद्र की बजाय औपचारिकता निभाने की जगह के रूप में बदलता जा रहा है।

निर्माण कार्य में भी गड़बड़ी — नदी की बालू शोपीस, क्रेशर डस्ट से काम

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विद्यालय भवन के पुनर्निर्माण का कार्य भी गंभीर सवालों के घेरे में है। जानकारी के अनुसार विद्यालय की बिल्डिंग का निर्माण कार्य
प्रधानाध्यापक की निगरानी में कराया जा रहा है, लेकिन निर्माण कार्य में गुणवत्ता विहीन सामग्री का उपयोग किया जा रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण स्थल पर नदी की बालू तो केवल शोपीस की तरह रखी हुई है, जबकि वास्तविक निर्माण में
क्रेशर डस्ट का उपयोग अधिक किया जा रहा है। यह न केवल सरकारी धन के दुरुपयोग की ओर इशारा करता है, बल्कि भविष्य में भवन की मजबूती और बच्चों की सुरक्षा पर भी प्रश्न खड़े करता है।

जिम्मेदारों की चुप्पी — फोन तक उठाना जरूरी नहीं समझा

जब इस पूरे प्रकरण पर पक्ष जानने के लिए खंड शिक्षा अधिकारी मानिकपुर, मिथलेश कुमार से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उनका फोन रिसीव नहीं हुआ, जिसके कारण बातचीत नहीं हो सकी।
यह रवैया दर्शाता है कि प्राथमिक स्तर पर शिक्षा व्यवस्था को लेकर जिम्मेदार अधिकारी कितने गंभीर हैं।

इसके विपरीत जब उप जिलाधिकारी मानिकपुर मो. जसीम को फोन के माध्यम से विद्यालय की अनियमितताओं और अव्यवस्थाओं की जानकारी दी गई, तो उन्होंने पूरे मामले की
जांच कराकर आवश्यक कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। अब देखना यह होगा कि जांच कब तक होती है और उसके आधार पर वास्तविक कार्रवाई किस स्तर तक पहुंचती है।

‘चलो गांव की ओर जागरूकता अभियान’ — अब खोलेगा अव्यवस्थाओं की परतें

परिषदीय विद्यालयों में फैली अव्यवस्थाओं, मध्यान भोजन योजना में हो रही अनियमितताओं और सरकारी नियमों की खुलेआम अनदेखी के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए
चलो गांव की ओर जागरूकता अभियान के संस्थापक अध्यक्ष संजय सिंह राणा ने पहल की है। उनका कहना है कि वे
शासन–प्रशासन को नियमित रूप से अवगत कराकर इन अव्यवस्थाओं पर रोक लगाने की दिशा में प्रयास करेंगे, ताकि
ग्रामीण बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, सुरक्षित वातावरण और पौष्टिक भोजन मिल सके।

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शिक्षा का अधिकार कागजों पर नहीं, ज़मीन पर दिखना चाहिए

शासन की ओर से विद्यालयों के लिए अनेक दिशानिर्देश जारी किए जाते हैं, बजट दिया जाता है, योजनाएं चलाई जाती हैं, लेकिन यदि
जिम्मेदार अधिकारी और शिक्षक ही उदासीन रहेंगे, तो ग्रामीण क्षेत्रों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार की कल्पना करना भी कठिन है।
विद्यालय बच्चों के भविष्य का आधार होते हैं और यदि यही आधार कमजोर और अव्यवस्थित होगा, तो आने वाली पीढ़ी के लिए
मजबूत और शिक्षित समाज का सपना कैसे पूरा होगा?
इसलिए आवश्यक है कि प्राथमिक स्तर पर ही शिक्षा व्यवस्था को लेकर कठोर और पारदर्शी कदम उठाए जाएं।

🔍 क्लिक करके पढ़ें — सवाल और जवाब

विद्यालय में सबसे बड़ी समस्या क्या है?

सबसे बड़ी समस्या यह है कि विद्यालय में न प्रार्थना होती है, न राष्ट्रगान, न नियमित शिक्षण कार्य और न ही अनुशासन की स्थिति स्पष्ट दिखती है।

क्या छात्रों को मध्यान भोजन सही और पौष्टिक मिलता है?

ग्रामीणों के अनुसार छात्रों को मध्यान भोजन योजना के तहत न तो पर्याप्त मात्रा में भोजन मिलता है और न ही भोजन की गुणवत्ता और पौष्टिकता सुनिश्चित की जाती है।

विद्यालय के निर्माण कार्य में क्या गड़बड़ी बताई जा रही है?

विद्यालय भवन के निर्माण में नदी की बालू की बजाय क्रेशर डस्ट का अधिक उपयोग किया जा रहा है, जबकि नदी की बालू केवल दिखावे के लिए रखी गई है। इससे सामग्री की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं।

क्या प्रशासन इस मामले में कोई कार्रवाई कर रहा है?

SDM मानिकपुर मो. जसीम ने विद्यालय में हो रही अनियमितताओं की जांच कराकर आवश्यक कार्रवाई किए जाने का आश्वासन दिया है, जबकि खंड शिक्षा अधिकारी का रवैया अब तक उदासीन बताया जा रहा है।


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