किसी को KYC अपडेट के नाम पर , तो किसी का क्रेडिट कार्ड किया खाली — यूपी के इन साइबर ठगों ने खोला पुलिस की लापरवाही का राज






यूपी में साइबर ठगी का जाल: KYC अपडेट, क्रेडिट कार्ड और फर्जी चैट से उड़ाए 3.56 लाख

कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट

लखनऊ। यूपी में लगातार बढ़ रही साइबर ठगी ने एक बार फिर पुलिस व्यवस्था और सुरक्षा प्रणाली की कमजोरियों को उजागर कर दिया है। ताजा मामले में शहर के अलग-अलग इलाकों में पांच लोगों के खातों से कुल मिलाकर लगभग
3.56 लाख रुपये पार कर लिए गए। इन मामलों में साइबर ठगी का तरीका हर बार अलग रहा—कहीं KYC अपडेट का झांसा दिया गया, कहीं बैंक कर्मचारी बताकर फर्जी ऐप इंस्टॉल कराया गया, और कहीं परिचित के नाम से मैसेज भेजकर रुपए ट्रांसफर करा लिए गए।

अलीगंज, विकासनगर, सरोजनीनगर, सआदतगंज और आलमबाग में सामने आए ये पांचों केस एक ही बात साबित करते हैं कि साइबर ठगी अब हर उम्र, हर वर्ग और हर इलाके तक फैल चुकी है। जालसाज अब इतना चालाक नेटवर्क चला रहे हैं कि साधारण लोग ही नहीं, बल्कि जागरूक लोग भी इनके जाल में फंस जा रहे हैं।

KYC अपडेट का झांसा: पेटीएम एजेंट बनकर उड़ा दिए 99 हजार

अलीगंज के चौधरी टोला निवासी रामू के साथ हुई साइबर ठगी का तरीका बेहद खतरनाक और नए प्रकार का था। रामू ने बताया कि 15 नवंबर को उनके ठेले पर एक युवक आया। युवक ने खुद को पेटीएम का एजेंट बताया और कहा कि KYC अपडेट न होने पर उनका पेटीएम ब्लॉक हो जाएगा। इसके बाद उसने कई लुभावने ऑफर बताते हुए एक रुपये का ट्रांजैक्शन करने को कहा।

अगले दिन यानी 16 नवंबर को वही जालसाज फिर पहुंचा और बोला कि KYC अपडेट में दिक्कत आ रही है, इसलिए दूसरे मोबाइल से प्रक्रिया पूरी करनी होगी। इसी बहाने उसने पीड़ित की नई UPI ID बनाई और दो बार में खाते से 99 हजार रुपये निकाल लिए। जब तक रामू को शक हुआ, तब तक उनका पैसा गायब हो चुका था।

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यह घटना इस बात का उदाहरण है कि साइबर ठगी करने वाले किस तरह नई तकनीक और डिजिटल प्लेटफॉर्म का प्रयोग कर रहे हैं। KYC अपडेट, पेटीएम ऑफर और अकाउंट ब्लॉक जैसे बहाने इस समय सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जा रहे हैं।

क्रेडिट कार्ड से 1.20 लाख निकाल लिए, बिना कोई जानकारी साझा किए

विकासनगर सेक्टर-3 निवासी राजीव कुमार की घटना ने साइबर ठगी के एक और गंभीर रूप को सामने रखा। राजीव ने बताया कि 20 नवंबर को उनके क्रेडिट कार्ड से अचानक 1.20 लाख रुपये डेबिट हो गए। हैरानी की बात यह थी कि उन्होंने न तो कोई OTP साझा किया था, न कार्ड की जानकारी।

यह मामला बताता है कि साइबर ठगी अब सिर्फ झांसा देने तक सीमित नहीं, बल्कि कई जालसाज डायरेक्ट कार्ड क्लोनिंग और फिशिंग तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। साइबर सेल का कहना है कि इस प्रकार की ठगी में अंतरराष्ट्रीय गैंग भी शामिल हो सकते हैं।

फर्जी चैट और परिचित का नाम: 78 हजार रुपये का नुकसान

सरोजनीनगर के शांतिनगर निवासी गौरव वर्मा और मवेई निवासी कमेंद्र यादव एक ऐसी साइबर ठगी का शिकार बने, जिसमें जालसाज ने उनके परिचित का नाम और फोटो लगाकर WhatsApp मैसेज भेजे। दोनों ने बताया कि 16 नवंबर को संदेश आया जिसमें सहायता की जरूरत बताई गई।

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विश्वास में आकर दोनों ने कुल 78 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए। बाद में जब उन्होंने असली परिचित से बात की, तब पता चला कि उनका नंबर भी किसी ने हैक कर लिया था। यह नया तरीका तेजी से बढ़ता जा रहा है और WhatsApp आधारित साइबर ठगी अब कई राज्यों में फैल चुकी है।

फर्जी ऐप डाउनलोड कराकर बैंक खाता साफ

सआदतगंज स्थित गोल्डन सिटी निवासी मतीन के साथ ठगी का तरीका और भी खतरनाक था। कॉल करने वाले ने खुद को बैंक कर्मचारी बताया और कहा कि क्रेडिट कार्ड का पिन अपडेट करना है। पीड़ित से एक ऐप डाउनलोड कराया गया, जिसमें स्क्रीन शेयरिंग की सुविधा थी। ऐप डाउनलोड होते ही जालसाज ने उनके क्रेडिट कार्ड का पिन बनाकर49,638 रुपये ट्रांसफर कर लिए।

स्क्रीन शेयरिंग ऐप्स आजकल साइबर ठगी का सबसे बड़ा हथियार बन चुके हैं। एक बार ऐप डाउनलोड हो जाए, जालसाज मोबाइल पर पूरा नियंत्रण पा लेते हैं।

आलमबाग में महिला के खाते से 8745 रुपये गायब

आलमबाग के नटखेड़ा रोड निवासी नवदीप कौर ने बताया कि उनके बैंक खाते से अचानक 8745 रुपये गायब हो गए। उन्होंने किसी को कोई जानकारी नहीं दी थी। यह भी साइबर ठगी के उसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें छोटे-छोटे अमाउंट निकालकर कई लोगों को निशाना बनाया जाता है।

साइबर ठगी के बढ़ते मामले और पुलिस की धीमी जांच

इन पांचों मामलों के सामने आने के बाद पुलिस ने केस दर्ज तो कर लिए हैं, लेकिन पीड़ितों का आरोप है कि जांच की रफ्तार बेहद धीमी है। कई मामलों में FIR दर्ज करने में भी देरी की गई। विशेषज्ञों का मानना है कि यूपी में साइबर ठगी के मामलों में 300% तक बढ़ोतरी हुई है, लेकिन साइबर क्राइम सेल में स्टाफ और तकनीकी संसाधन अभी भी कम हैं।

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साइबर ठगी रोकने के लिए जागरूकता अभियान तो चलाए जा रहे हैं, लेकिन जालसाजों की चालाकी और सिस्टम की लापरवाही अभी भी लोगों को भारी नुकसान पहुंचा रही है।


🔵 क्लिक करें और जवाब पढ़ें – साइबर ठगी से जुड़े 5 महत्वपूर्ण सवाल

1. साइबर ठगी सबसे ज्यादा कैसे होती है?

साइबर ठगी मुख्य रूप से KYC अपडेट, क्रेडिट कार्ड फ्रॉड, फर्जी ऐप डाउनलोड, स्क्रीन शेयरिंग और WhatsApp चैटिंग के जरिए की जाती है।

2. क्या बिना OTP साझा किए भी पैसा निकल सकता है?

हाँ, यदि कार्ड क्लोनिंग, फिशिंग या UPI ऐप के जरिए हैकिंग की गई हो, तो पैसा बिना OTP के भी कट सकता है।

3. WhatsApp पर परिचित के नाम से किया गया मैसेज कितना खतरनाक है?

बहुत खतरनाक। जालसाज किसी का DP, नाम और नंबर कॉपी कर फर्जी मैसेज भेजकर पैसे मंगा लेते हैं—इसे सोशल इंजीनियरिंग फ्रॉड कहा जाता है।

4. KYC अपडेट के नाम पर ठगी से कैसे बचें?

कोई भी बैंक या पेटीएम एजेंट आपके पास घर नहीं आता। KYC केवल ऑफिशियल ऐप या बैंक में ही अपडेट होता है।

5. साइबर ठगी का शिकार होने पर सबसे पहले क्या करें?

तुरंत 1930 पर कॉल करें, फिर नजदीकी साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराएं। देरी होने पर पैसा वापस मिलना मुश्किल हो जाता है।



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