
हिमांशु मोदी की रिपोर्ट
भरतपुर-डीग जिले के प्रतिष्ठित कामां कस्बे में 15 दिवसीय कामवन रामलीला महोत्सव का समापन इस वर्ष अत्यंत भव्य और भावनात्मक रहा।
भरत मिलाप एवं राजा राम के राजतिलक के साथ संपन्न हुए इस आयोजन में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
पूरे 15 दिन तक चली इस रामचरितमानस आधारित रामलीला ने कामां कस्बे को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया और इसे एक सांस्कृतिक तीर्थस्थल का रूप दे दिया।
कामवन रामलीला में रामचरितमानस के दिव्य प्रसंगों का मंचन
इस वर्ष कामवन रामलीला में भगवान राम के जीवन से जुड़े वे सभी प्रमुख प्रसंग प्रस्तुत किए गए, जो रामचरितमानस में वर्णित हैं।
कामां कस्बे के कोटऊपर रामलीला मैदान में हर शाम हजारों श्रद्धालु भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता के चरित को देखने के लिए जुटते रहे।
सूत्रधारों की संवाद शैली, पात्रों की अभिनय प्रतिभा और मंच-सज्जा ने इस रामलीला महोत्सव को और भी भव्य बना दिया।
शोभायात्रा में उमड़ा जनसैलाब, पुष्प वर्षा से हुआ स्वागत
कामां कस्बे में देर रात निकाली गई भगवान राम की शोभायात्रा शहर का सबसे आकर्षक दृश्य रही।
बैंड-बाजों के साथ शुरू हुई यह यात्रा जैसे-जैसे मुख्य बाजारों से गुजरी, श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर भगवान राम का भव्य स्वागत किया।
सब्जी मंडी बाजार में पार्षद प्रदीप गोयल, व्यापार महासंघ अध्यक्ष कमल अरोड़ा, जायंट्स ग्रुप ऑफ कामवन और अपना घर सेवा समिति ने विशेष स्वागत किया।
ऐतिहासिक लाल दरवाजे पर निर्मित अयोध्या नगरी में भरत मिलाप
कामां कस्बे के ऐतिहासिक लाल दरवाजे पर इस बार अद्भुत अयोध्या नगरी की सजावट की गई थी।
यहीं पर भरत मिलाप का हृदयस्पर्शी दृश्य मंचित हुआ।
भरत और शत्रुघ्न ने अपने आराध्य भाई श्रीराम का भावपूर्ण स्वागत किया।
परंपरा के अनुसार घनश्याम सोनी परिवार ने सभी पात्रों की आरती कर उनका सम्मान किया और स्मृति-चिह्न भेंट किए।
केरल प्रदेश की झांकियां बनी आकर्षण का केंद्र
इस वर्ष की कामवन रामलीला में केरल प्रदेश की विशिष्ट झांकियां विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं।
इनके माध्यम से दक्षिण भारतीय संस्कृति और भगवान राम के प्रति श्रद्धा का अनोखा संगम देखने को मिला।
हर झांकी पर दर्शकों ने जमकर तालियां बजाईं और इस रामलीला को राष्ट्रीय रंग प्रदान किया।
राम राजतिलक की भव्य लीला—भावुक हुए राम का पात्र
कोटऊपर रामलीला मैदान में राजा राम के राजतिलक की लीला ने वातावरण को दिव्यता से भर दिया।
सबसे पहले ऋषि वशिष्ठ द्वारा भगवान राम का प्रथम तिलक किया गया, जिसके बाद सभी पात्रों और दर्शकों ने प्रभु के राज्याभिषेक में सहभागिता की।
भावनाओं से भरे इस क्षण में राम का अभिनय करने वाले पात्र की आंखों से आँसू छलक पड़े।
रामलीला समिति ने पात्रों का किया सम्मान
समारोह के अंत में रामलीला समिति के संरक्षक ओमप्रकाश बूरेवाला, पात्र प्रधान भगवान मकरंद, अरुण पाराशर और संयोजक पार्षद प्रदीप गोयल ने सभी पात्रों, कलाकारों और सहयोगियों का सम्मान किया।
इस महोत्सव में कथा व्यास विजय कृष्ण शर्मा, सूत्रधार संजय शर्मा, पवन पाराशर, जगदीश प्रसाद गौतम सहित सैकड़ों लोग शामिल रहे।
कामवन रामलीला महोत्सव—आस्था, संस्कृति और एकता का संगम
कुल मिलाकर, इस वर्ष का कामवन रामलीला महोत्सव आस्था, संस्कृति और सामाजिक एकता का अद्भुत उदाहरण बनकर उभरा।
भरतपुर-डीग क्षेत्र में यह रामलीला न केवल सांस्कृतिक पहचान बन चुकी है बल्कि यह हर वर्ष लाखों लोगों के लिए धार्मिक ऊर्जा का सबसे बड़ा केंद्र भी बनती जा रही है।
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कामवन रामलीला महोत्सव कितने दिनों तक चला?
यह रामलीला महोत्सव पूरे 15 दिनों तक चला और प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लिया।
इस वर्ष रामलीला का मुख्य आकर्षण क्या रहा?
भरत मिलाप, राजा राम राजतिलक, केरल की झांकियां और भव्य शोभायात्रा मुख्य आकर्षण रहे।
शोभायात्रा का स्वागत कैसे किया गया?
कामां कस्बे के मुख्य बाजारों में पुष्प वर्षा करते हुए श्रद्धालुओं ने भव्य स्वागत किया।