
हिमांशु मोदी की रिपोर्ट
भरतपुर। महारानी श्री जया (एमएसजे) राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, भरतपुर में राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) की संभाग स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में भरतपुर संभाग के विभिन्न जिलों से पहुंचे कार्यक्रम अधिकारी, जिला समन्वयक एवं स्वयंसेवकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
दीप प्रज्वलन के साथ कार्यशाला का शुभारंभ
कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की वंदना के साथ दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण से हुई। इस दौरान एनएसएस के राज्य समन्वयक डॉ. कृष्ण कुमार कुमावत, राष्ट्रपति पदक से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता राजन चौधरी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) रघुवीर सिंह, युवा साथी केंद्र, भरतपुर के जितेंद्र सिंह तथा महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. डॉ. अंजू तँवर सहित अन्य विशिष्ट अतिथि मंचासीन रहे।
प्राचार्य डॉ. अंजू तँवर ने अपने स्वागत उद्बोधन में सभी अतिथियों का अभिनंदन किया और बताया कि यह संभाग स्तरीय कार्यशाला, राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारियों एवं स्वयंसेवकों के लिए अत्यंत उपयोगी एवं मार्गदर्शी सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम स्वयंसेवकों में नेतृत्व, जिम्मेदारी और सामाजिक संवेदनशीलता को और प्रबल बनाते हैं।
प्रथम तकनीकी सत्र : एनएसएस का महत्व और डिजिलॉकर प्रशिक्षण
कार्यक्रम के प्रथम तकनीकी सत्र में विशिष्ट अतिथि डॉ. के. के. कुमावत ने राष्ट्रीय सेवा योजना की स्थापना, उद्देश्य और इसकी प्रासंगिकता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने समझाया कि एनएसएस केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि युवाओं को राष्ट्रनिर्माण से जोड़ने वाला सशक्त मंच है।
इसके साथ ही उन्होंने डिजिलॉकर से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी। प्रतिभागियों को बताया गया कि किस प्रकार डिजिलॉकर के माध्यम से शैक्षणिक प्रमाणपत्र, पहचान पत्र और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज सुरक्षित रूप से डिजिटल रूप में संग्रहित किए जा सकते हैं। इस दौरान स्वयंसेवकों को प्रायोगिक प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया, ताकि वे आगे चलकर अपने कॉलेज और समुदाय में डिजिलॉकर के व्यापक उपयोग को प्रोत्साहित कर सकें।
द्वितीय तकनीकी सत्र : साइबर सिक्योरिटी और नए आपराधिक नियम
द्वितीय तकनीकी सत्र को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रघुवीर सिंह (एएसपी) ने संबोधित किया। उन्होंने बदलते डिजिटल दौर में साइबर सिक्योरिटी के महत्व को रेखांकित करते हुए विद्यार्थियों और युवाओं को सतर्क रहने के लिए प्रेरित किया।
एएसपी रघुवीर सिंह ने फिशिंग, ऑनलाइन फ्रॉड, ओटीपी साझा करने के खतरे, सोशल मीडिया पर निजी जानकारी के अति-प्रदर्शन जैसे विषयों को सरल भाषा में समझाया। साथ ही उन्होंने नए आपराधिक नियमों की मुख्य बातों से भी प्रतिभागियों को अवगत कराया और बताया कि कानून की जानकारी होना हर जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य है।
तृतीय तकनीकी सत्र : ‘नई किरण’ नशा मुक्ति अभियान और युवा शक्ति
तृतीय तकनीकी सत्र में राजन चौधरी ने ‘नई किरण’ नशा मुक्ति अभियान के विषय में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नशा किसी भी परिवार, समाज और राष्ट्र की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है। यदि युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में आ जाए तो राष्ट्र की ऊर्जा और क्षमता प्रभावित हो जाती है।
उन्होंने राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों से आह्वान किया कि वे अपने-अपने क्षेत्र में नशा मुक्ति के लिए जागरूकता रैलियां, गोष्ठियां, पोस्टर अभियान एवं जनसंवाद जैसे कार्यक्रम आयोजित करें। राजन चौधरी ने उदाहरणों के माध्यम से बताया कि कैसे समाज की छोटी-छोटी पहलें भी बड़ी सकारात्मक बदलाओं का आधार बन सकती हैं।
चतुर्थ तकनीकी सत्र : ‘माय भारत पोर्टल’ पर रजिस्ट्रेशन और इवेंट क्रिएशन
चतुर्थ तकनीकी सत्र में जितेंद्र सिंह ने प्रतिभागियों को ‘माय भारत पोर्टल’ के बारे में प्रशिक्षित किया। उन्होंने पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से समझाई तथा यह भी बताया कि किस प्रकार छात्र-छात्राएं एवं स्वयंसेवक इस पोर्टल के माध्यम से विभिन्न कार्यक्रमों, गतिविधियों और स्वयंसेवी अवसरों से जुड़ सकते हैं।
सत्र में इवेंट क्रिएशन, रिपोर्ट अपलोड करना, वॉलेंटियरिंग अवर्स अपडेट करना और डिजिटल रिकॉर्ड मैनेजमेंट जैसे व्यावहारिक पहलुओं पर भी प्रशिक्षण दिया गया, जिससे कार्यशाला में उपस्थित कार्यक्रम अधिकारी और स्वयंसेवक भविष्य में तकनीकी रूप से अधिक सशक्त हो सकें।
कार्यक्रम संचालन, आभार और व्यापक सहभागिता
कार्यशाला का संपूर्ण संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी एवं कार्यशाला संयोजक डॉ. देशमुख सिंह द्वारा कुशलतापूर्वक किया गया। वहीं, राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी एवं आयोजन सचिव गिरधारी लाल महावर ने अतिथियों, सहभागी महाविदyalयों एवं स्वयंसेवकों के प्रति आभार व्यक्त किया।
इस संभाग स्तरीय कार्यशाला में भरतपुर, डीग, करौली, सवाई माधोपुर और धौलपुर जिलों से आए कार्यक्रम अधिकारी, जिला समन्वयक और स्वयंसेवकों ने भाग लिया। प्रमुख रूप से प्रो. राजेश सिंह, प्रो. सुनीता पाण्डेय, प्रो. कमलेश सिसोदिया, प्रो. मजूलता, प्रो. आर. के. उपाध्याय, प्रो. अशोक कुमार गुप्ता सहित अनेक शिक्षकीय एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
पूरे दिन चले विभिन्न तकनीकी सत्रों ने न केवल युवाओं को नई जानकारी प्रदान की, बल्कि उन्हें सामाजिक उत्तरदायित्व, डिजिटल सशक्तिकरण, कानून की समझ और नशा मुक्ति जैसे विषयों पर भी संवेदनशील बनाया। एनएसएस के माध्यम से युवा शक्ति को सकारात्मक दिशा देने की यह सार्थक पहल सभी प्रतिभागियों के लिए प्रेरणादायी रही।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
प्रश्न 1: एमएसजे महाविद्यालय में आयोजित इस एनएसएस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर: इस संभाग स्तरीय कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारियों और स्वयंसेवकों को डिजिटल सेवाओं (जैसे डिजिलॉकर और माय भारत पोर्टल), साइबर सिक्योरिटी, नए आपराधिक नियमों और नशा मुक्ति अभियान जैसे समसामयिक विषयों पर अद्यतन व व्यावहारिक प्रशिक्षण देना था, ताकि वे समाज में अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकें।
प्रश्न 2: कार्यशाला में किन-किन जिलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया?
उत्तर: इस एक दिवसीय कार्यशाला में भरतपुर संभाग के अंतर्गत भरतपुर, डीग, करौली, सवाई माधोपुर और धौलपुर जिलों से आए कार्यक्रम अधिकारी, जिला समन्वयक एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों ने भाग लिया।
प्रश्न 3: ‘नई किरण’ नशा मुक्ति अभियान से संबंधित सत्र में क्या संदेश दिया गया?
उत्तर: ‘नई किरण’ नशा मुक्ति अभियान पर हुए सत्र में युवाओं को यह संदेश दिया गया कि नशा, व्यक्ति और समाज दोनों के लिए विनाशकारी है। राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों से अपेक्षा की गई कि वे अपने क्षेत्र में नशा मुक्ति के लिए जागरूकता अभियान चलाएं, रैलियों, पोस्टर, गोष्ठी और संवाद के माध्यम से समाज को नशे के दुष्परिणामों से अवगत कराएं।
प्रश्न 4: ‘माय भारत पोर्टल’ पर प्रशिक्षण से स्वयंसेवकों को क्या लाभ होगा?
उत्तर: ‘माय भारत पोर्टल’ पर रजिस्ट्रेशन और इवेंट क्रिएशन संबंधी प्रशिक्षण से स्वयंसेवक डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से विभिन्न कार्यक्रमों, स्वयंसेवी कार्यों और सरकारी/संस्थागत गतिविधियों से सीधे जुड़ सकेंगे। इससे उनकी भागीदारी दर्ज होगी, वॉलेंटियरिंग अवर्स का रिकॉर्ड सुरक्षित रहेगा और वे राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्ध अवसरों का लाभ आसानी से उठा सकेंगे।
प्रश्न 5: साइबर सिक्योरिटी सत्र में विद्यार्थियों को किन महत्वपूर्ण बातों के लिए सचेत किया गया?
उत्तर: साइबर सिक्योरिटी पर आधारित सत्र में विद्यार्थियों को ओटीपी, बैंक डिटेल, पासवर्ड जैसी संवेदनशील जानकारियां कभी भी साझा न करने, संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करने, सोशल मीडिया पर निजी जानकारी सीमित रखने और किसी भी साइबर अपराध की स्थिति में तुरंत पुलिस या साइबर सेल से संपर्क करने जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं के प्रति जागरूक किया गया।
Great news by Mr. Anil Anup ji.
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