
संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट
गोरखपुर। झारखंड JSSC CGL पेपर लीक कांड का फरार मास्टरमाइंड विनय साह उर्फ हरिहर सिंह आखिरकार पुलिस के शिकंजे में आ गया।
गुरुवार को उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने गोरखपुर के शाहपुर थाना क्षेत्र स्थित हनुमंत नगर कॉलोनी से विनय साह को गिरफ्तार कर
झारखंड JSSC CGL पेपर लीक गैंग की एक बड़ी कड़ी तोड़ दी। शुरुआती जानकारी के मुताबिक, यह वही नेटवर्क है जिसने
प्रतियोगी परीक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे।
पकड़ा गया आरोपित विनय साह पूर्वोत्तर रेलवे के यांत्रिक कारखाना में सेक्शन इंजीनियर के पद पर तैनात रह चुका है।
इसी सरकारी पद की आड़ में वह लंबे समय से फरारी काटता रहा और झारखंड JSSC CGL पेपर लीक मामले में गिरफ्तारी से बचता रहा।
उसकी गिरफ्तारी की खबर सामने आते ही न केवल परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों में हलचल मच गई, बल्कि रेलवे महकमे में भी हड़कंप की स्थिति बन गई है।
कौन है झारखंड JSSC CGL पेपर लीक का मास्टरमाइंड विनय साह?
झारखंड की क्राइम ब्रांच ने जनवरी 2025 में विनय साह के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की गंभीर धाराओं और
प्रतियोगी परीक्षा अधिनियम 2023 के तहत मुकदमा दर्ज किया था। आरोप है कि 22 सितंबर 2024 को हुई
झारखंड JSSC CGL पेपर लीक साजिश का मुख्य सूत्रधार विनय ही था।
वह मूल रूप से झारखंड की राजधानी रांची का निवासी है, लेकिन फरार होने के बाद उसने गोरखपुर को अपना सुरक्षित ठिकाना बना लिया।
सूत्रों के मुताबिक, विनय साह ने सेक्शन इंजीनियर जैसे संवेदनशील और जिम्मेदार पद पर रहते हुए भी
JSSC CGL पेपर लीक जैसे संगठित अपराध में सक्रिय भूमिका निभाई।
वह गोरखपुर शहर में अलग-अलग किराए के मकानों में नाम और पहचान छिपाकर रहता था, ताकि जांच एजेंसियां उसकी सही लोकेशन तक न पहुंच सकें।
नेपाली सिम कार्ड से लोकेशन छिपाकर चला रहा था JSSC CGL पेपर लीक नेटवर्क
फरार रहने के दौरान विनय साह ने अपनी लोकेशन छिपाने के लिए नेपाली सिम कार्ड का सहारा लिया।
झारखंड JSSC CGL पेपर लीक केस से जुड़े कई अहम संपर्कों से वह नेपाल के नंबरों के जरिए ही बात करता था।
यूपी एसटीएफ की टीम ने तकनीकी सर्विलांस और मैन्युअल इंटेलीजेंस के जरिए इस पैटर्न को ट्रैक किया और फिर गोरखपुर में उसकी मौजूदगी की पुष्टि की।
एसटीएफ ने जब उसे हनुमंत नगर कॉलोनी के पास घेरा, तो पहले वह अपनी वास्तविक पहचान छिपाने की कोशिश करता रहा।
लेकिन रांची क्राइम ब्रांच से फोटो और रिकॉर्ड मंगाने के बाद JSSC CGL पेपर लीक आरोपी विनय साह की पहचान की पुष्टि हो गई।
गिरफ्तारी के समय उसके पास से एक नेपाली सिम और एक भारतीय सिम बरामद हुए, जो आगे की जांच में अहम इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य साबित हो सकते हैं।
कैसे रची गई 22 सितंबर 2024 की JSSC CGL पेपर लीक साजिश?
शुरुआती पूछताछ में विनय साह ने माना है कि 22 सितंबर 2024 को हुई झारखंड एसएससी सीजीएल परीक्षा का प्रश्नपत्र
उसने ही अपने तीन साझेदारों – मनोज कुमार, शशिभूषण दीक्षित और संदीप त्रिपाठी – के साथ मिलकर लीक किया था।
बताया जा रहा है कि JSSC CGL पेपर लीक की पूरी योजना रांची के जे स्क्योर होटल में बनाई गई,
जहां चारों आरोपित कई दिनों तक ठहरे थे।
यहीं बैठकर परीक्षा केंद्रों, प्रश्नपत्र की संभावित मूवमेंट, अभ्यर्थियों तक पेपर पहुंचाने और
JSSC CGL पेपर लीक के बदले पैसा वसूलने की रणनीति तैयार की गई।
विनय साह की भूमिका कथित रूप से नेटवर्क के टेक्निकल और लॉजिस्टिक पार्ट को संभालने की थी,
जबकि अभ्यर्थियों से संपर्क और पैसे की वसूली की जिम्मेदारी उसके सहयोगियों पर थी।
नेपाल ले जाकर अभ्यर्थियों को रटवाए गए थे JSSC CGL पेपर
जांच में एक चौंकाने वाला खुलासा यह भी हुआ है कि कई अभ्यर्थियों को परीक्षा से पहले नेपाल ले जाया गया था।
सूत्रों के अनुसार, रांची से जुड़े नेटवर्क ने कुछ चुनिंदा उम्मीदवारों को मोतिहारी–रक्सौल बॉर्डर के रास्ते नेपाल पहुंचाया,
जहां उन्हें सुरक्षित ठिकानों पर कथित रूप से JSSC CGL पेपर लीक प्रश्नपत्र रटवाया गया।
यह पूरा ऑपरेशन इस तरह से प्लान किया गया कि भारतीय एजेंसियों को इसकी भनक ही न लगे।
पुलिस के मुताबिक, इस JSSC CGL पेपर लीक ऑपरेशन के बदले मोटी रकम वसूली गई।
मनोज कुमार नाम के साझेदार ने विनय साह के खाते में एक लाख रुपये ट्रांसफर किए थे, जो फिलहाल बैंक रिकॉर्ड में दर्ज लेनदेन के रूप में सामने आया है।
आशंका जताई जा रही है कि असल रकम इससे कहीं ज्यादा हो सकती है, जिसकी जांच अब आर्थिक अपराध की दिशा में भी आगे बढ़ाई जा रही है।
गोरखपुर में कई दिनों से निगरानी कर रही थी एसटीएफ
झारखंड पुलिस की विशेष टीम ने जब यूपी एसटीएफ से आधिकारिक रूप से सहयोग मांगा,
तब गोरखपुर यूनिट को JSSC CGL पेपर लीक केस में सक्रिय किया गया।
सीओ एसटीएफ धर्मेश शाही के नेतृत्व में टीम ने कई दिनों तक हनुमंत नगर और यांत्रिक कारखाना क्षेत्र के आसपास गुप्त रूप से निगरानी की।
गुरुवार को जानकारी मिली कि विनय साह यांत्रिक कारखाना क्षेत्र में देखा गया है।
इस सूचना की पुष्टि होते ही एसटीएफ की टीम ने इलाके की घेराबंदी की और कुछ ही देर में
JSSC CGL पेपर लीक साजिश के मुख्य आरोपी को हिरासत में ले लिया।
पूछताछ के बाद उसे शाहपुर थाने में दाखिल कर विधिक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
JSSC CGL पेपर लीक कांड में आगे क्या होगा?
झारखंड पुलिस की टीम अब विनय साह को ट्रांजिट रिमांड पर लेकर रांची ले जाने की तैयारी में है,
जहां उससे विस्तृत पूछताछ की जाएगी। माना जा रहा है कि JSSC CGL पेपर लीक कांड में
अभी और भी कई बड़े नामों के सामने आने की संभावना है, क्योंकि इतने बड़े स्तर पर पेपर लीक
बिना व्यापक नेटवर्क के संभव नहीं माना जा रहा।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कोर्ट में JSSC CGL पेपर लीक से जुड़े ये इलेक्ट्रॉनिक और वित्तीय साक्ष्य मजबूत साबित होते हैं,
तो विनय साह और उसके सहयोगियों को प्रतियोगी परीक्षा अधिनियम 2023 के तहत कड़ी सजा हो सकती है।
इस अधिनियम में JSSC CGL पेपर लीक जैसे मामलों के लिए कठोर दंड और आर्थिक जुर्माने का प्रावधान है,
ताकि भविष्य में कोई भी संगठित गिरोह इस तरह की हरकत करने से पहले दस बार सोचे।
इधर परीक्षा देने वाले अभ्यर्थी भी उम्मीद जता रहे हैं कि JSSC CGL पेपर लीक के आरोपियों पर सख्त कार्रवाई हो,
ताकि पारदर्शिता और मेरिट के आधार पर प्रतियोगी परीक्षाओं में चयन की प्रक्रिया बहाल हो सके।
झारखंड और उत्तर प्रदेश की संयुक्त कार्रवाई से अभ्यर्थियों में यह संदेश गया है कि
JSSC CGL पेपर लीक जैसे अपराध अब बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे और ऐसे नेटवर्क को जड़ से खत्म करने की कोशिश जारी रहेगी।
FAQs: JSSC CGL पेपर लीक कांड से जुड़े प्रमुख सवाल
प्रश्न 1: JSSC CGL पेपर लीक कांड का मास्टरमाइंड कौन है?
झारखंड JSSC CGL पेपर लीक कांड का मुख्य मास्टरमाइंड विनय साह उर्फ हरिहर सिंह को बताया जा रहा है,
जिसे गोरखपुर के शाहपुर थाना क्षेत्र की हनुमंत नगर कॉलोनी से यूपी एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है।
वह पूर्वोत्तर रेलवे के यांत्रिक कारखाना में सेक्शन इंजीनियर के पद पर तैनात रह चुका है।
प्रश्न 2: JSSC CGL पेपर लीक कब और कैसे हुआ?
यह JSSC CGL पेपर लीक 22 सितंबर 2024 को हुई सीजीएल परीक्षा से जुड़ा है।
आरोप है कि विनय साह और उसके तीन साझेदारों – मनोज कुमार, शशिभूषण दीक्षित व संदीप त्रिपाठी –
ने रांची के जे स्क्योर होटल में बैठकर पेपर लीक की साजिश रची और परीक्षा से पहले अभ्यर्थियों तक प्रश्नपत्र पहुंचाया।
प्रश्न 3: अभ्यर्थियों को नेपाल क्यों ले जाया गया?
जांच एजेंसियों के अनुसार, कुछ अभ्यर्थियों को मोतिहारी–रक्सौल बॉर्डर के रास्ते नेपाल ले जाया गया,
जहां सुरक्षित स्थानों पर उन्हें JSSC CGL पेपर लीक प्रश्नपत्र रटवाया गया।
ऐसा इसलिए किया गया ताकि भारतीय सीमा के भीतर किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि सीधे तौर पर दर्ज न हो पाए।
प्रश्न 4: JSSC CGL पेपर लीक कांड में अब आगे क्या कार्रवाई होगी?
फिलहाल विनय साह को शाहपुर थाने में दाखिल कर आवश्यक औपचारिकताएं पूरी की गई हैं।
झारखंड पुलिस की विशेष टीम उसे ट्रांजिट रिमांड पर रांची ले जाकर
JSSC CGL पेपर लीक नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों, फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों की गहराई से जांच करेगी।
प्रतियोगी परीक्षा अधिनियम 2023 के तहत इस मामले में कड़ी कानूनी कार्रवाई की संभावना है।






