झाड़फूंक के बहाने दुराचार मामले में बड़ा फैसला : तांत्रिक को 10 वर्ष सश्रम कारावास, त्वरित न्यायालय ने सुनाया ऐतिहासिक निर्णय

संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
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चित्रकूट – अंधविश्वास, तंत्र-मंत्र और झाड़फूंक के नाम पर महिलाओं का शोषण भारत के कई ग्रामीण इलाकों में आज भी एक कठोर सच्चाई है। लेकिन चित्रकूट में त्वरित न्यायालय ने ऐसे ढोंगी तांत्रिकों के खिलाफ एक ऐसा फैसला सुनाया है जिसे अभूतपूर्व और मिसाल कहा जा रहा है। झाड़फूंक के बहाने दुराचार करने वाले कथित तांत्रिक ननकू पंडा को अदालत ने 10 वर्ष का सश्रम कारावास और 17,000 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाकर यह संदेश दिया है कि अंधविश्वास की आड़ में अपराध को समाज किसी भी रूप में स्वीकार नहीं करेगा।

यह मामला न केवल एक पीड़िता के साहस की कहानी है, बल्कि उन हजारों महिलाओं के संघर्ष का प्रतीक भी है जो झाड़फूंक, इलाज और तांत्रिक विद्या के नाम पर शोषित की जाती रही हैं। अदालत के इस निर्णय ने साफ कर दिया है कि झाड़फूंक के बहाने दुराचार जैसा अपराध अब कानून की पकड़ से बच नहीं सकता।

कहानी की शुरुआत: जब झाड़फूंक इलाज के बहाने बना दुराचार की साजिश

घटना 27 मई 2021 की है। चित्रकूट जिले के पहाड़ी क्षेत्र की एक अनुसूचित जाति महिला पेट दर्द से परेशान थी। परिवार, जो गाँव की आम मान्यताओं के अनुसार झाड़फूंक पर विश्वास करता था, उसे तौरा गांव के तथाकथित तांत्रिक ननकू पंडा के पास झाड़फूंक के लिए भेज देता है। लेकिन किसी को अंदाज़ा नहीं था कि जो इलाज के लिए भेजी जा रही है, वह झाड़फूंक के बहाने दुराचार की एक बड़ी साजिश में फँस जाएगी।

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पीड़िता जब अपने देवर के साथ तांत्रिक के घर पहुंची तो आरोपी ने पहले उसे कमरे में बैठाया और फिर योजनाबद्ध तरीके से उसके देवर को नींबू लाने भेज दिया। इसी क्षण से उसकी नीयत खुलकर सामने आने लगी। जैसे ही महिला अकेली हुई, तांत्रिक ने उसे पानी लाने का बहाना करके अंदर बुलाया और पीछे से धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया। इसके बाद जो हुआ वह किसी भी महिला के लिए एक भयावह अनुभव से कम नहीं था—उसके साथ जबरन दुराचार किया गया।

यह घटना झाड़फूंक के बहाने दुराचार का सबसे क्रूर रूप सामने लाती है, जहां अंधविश्वास के सहारे अपराधी महिलाओं को टारगेट करते हैं।

पीड़िता का साहस: परिवार को बताई पूरी घटना, आरोपी घर में छिपा रहा

दुराचार के बाद महिला की हालत बिगड़ने लगी, तो आरोपी डर गया और झाड़फूंक का नाटक शुरू कर दिया। वह उसे बाल पकड़कर चैरी के पास ले गया और मंत्र पढ़ने का दिखावा करता रहा, ताकि किसी को शक न हो। लेकिन घर पहुंचते ही पीड़िता ने पूरी घटना अपने परिजनों को बता दी। परिजन गुस्से में तुरंत ननकू पंडा के घर पहुंचे, लेकिन वह अंदर से दरवाजा बंद करके बैठा रहा और सामने आने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।

यह दृश्य बताता है कि जैसे ही अपराधी को सच्चाई उजागर होने का डर लगा, उसने खुद को अंदर बंद कर लिया। यह कहीं न कहीं झाड़फूंक के बहाने दुराचार करने वाले अपराधियों की मानसिकता को दर्शाता है।

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पुलिस की तेज कार्रवाई: दो दिन में गिरफ्तार, तुरंत आरोपपत्र

पीड़िता ने 28 मई 2021 को पहाड़ी थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने इस गंभीर प्रकरण में तेजी दिखाते हुए दो दिन के भीतर ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। ऐसे मामलों में समय पर की गई कार्रवाई अक्सर मामले की दिशा तय करती है, और इस केस में पुलिस ने बिल्कुल वही किया।

जांच के दौरान सभी तथ्यों की पुष्टि हुई, चिकित्सकीय रिपोर्ट, बयान और घटनास्थल के निशान भी झाड़फूंक के बहाने दुराचार की पुष्टि कर रहे थे। इसके बाद पुलिस ने तुरंत आरोपपत्र दाखिल किया और मुकदमे की प्रक्रिया शुरू हो गई।

अदालत में चली बहस: तांत्रिक के झूठ की परतें खुलीं

अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) सुशील कुमार सिंह ने अदालत में मजबूत दलीलें रखीं। उन्होंने कहा कि आरोपी ने पीड़िता की असहाय स्थिति का फायदा उठाया और धार्मिक आस्था का दुरुपयोग करते हुए अपराध को अंजाम दिया।

बचाव पक्ष ने सामान्य रूप से अपराध से इनकार किया, लेकिन साक्ष्य इतने स्पष्ट और मजबूत थे कि झाड़फूंक के बहाने दुराचार का मामला एकदम साबित हो गया। पीड़िता के बयान ने निर्णायक भूमिका निभाई, जिसे अदालत ने पूरी तरह विश्वासयोग्य माना।

ऐतिहासिक फैसला: 10 वर्ष सश्रम कारावास और 17,000 रुपये अर्थदंड

गुरुवार को त्वरित न्यायालय के अपर सत्र न्यायाधीश नीरज श्रीवास्तव ने अपना निर्णय सुनाया। अदालत ने स्पष्ट किया कि झाड़फूंक के बहाने दुराचार जैसा अपराध बेहद गंभीर है क्योंकि यह अंधविश्वास, भय और महिलाओं की कमजोर सामाजिक स्थिति का शोषण करता है।

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इस आधार पर तांत्रिक ननकू पंडा को 10 वर्ष का सश्रम कारावास और 17,000 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अदालत ने पीड़िता के साहस की सराहना भी की और कहा कि ऐसे मामलों में पीड़ित महिलाओं का बयान ही सबसे मजबूत साक्ष्य होता है।

समाज के लिए संदेश: अंधविश्वास की आड़ में अपराध अब नहीं बचेगा

यह निर्णय केवल एक केस का अंत नहीं, बल्कि महिलाओं को यह संदेश भी है कि यदि वे आवाज उठाएं, तो झाड़फूंक के बहाने दुराचार जैसे अपराधी बच नहीं सकते। तंत्र-मंत्र, ओझा-गुनहों और झाड़फूंक के नाम पर होने वाले अपराधों की जड़ें ग्रामीण समाज में गहरी हैं, लेकिन कानून इन पर लगातार शिकंजा कस रहा है।

चित्रकूट का यह फैसला आने वाले समय में कई ऐसे मामलों के लिए मिसाल बनेगा और समाज को अंधविश्वास से बाहर निकलने की चेतावनी देगा।


क्लिक करके पढ़ें सवाल–जवाब

1. तांत्रिक ननकू पंडा को कितनी सजा मिली?

उसे 10 वर्ष सश्रम कारावास और 17,000 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई।

2. झाड़फूंक के बहाने दुराचार की घटना कब हुई?

यह घटना 27 मई 2021 की है।

3. मामला उजागर कैसे हुआ?

पीड़िता ने घर पहुंचकर अपनी सास और परिजनों को घटना की जानकारी दी, जिसके बाद FIR दर्ज हुई।

4. पुलिस ने आरोपी को कब गिरफ्तार किया?

घटना की रिपोर्ट दर्ज होने के दो दिन के भीतर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था।

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