
हिमांशु नौरियाल की रिपोर्ट
धर्मनगरी हरिद्वार अब केवल गंगा स्नान और कुंभ के कारण ही नहीं, बल्कि
विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार के कारण भी विश्व मानचित्र पर एक नई पहचान बनाने जा रही है।
तीर्थ सेवा न्यास की इस महाआवधारणा का शिला पूजन 21 नवंबर की सुबह भूपतवाला, हरिद्वार में होना है,
जहां से सनातन पुनर्जागरण की एक नई कथा लिखी जाएगी। अनुमानित 1000 करोड़ की लागत और लगभग 100 एकड़
भूमि पर बसने वाला यह विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार केवल इमारतों का समूह नहीं, बल्कि
आने वाली पीढ़ियों के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और राष्ट्रीय चरित्र निर्माण का केंद्र बनने जा रहा है।
इस समय जब विश्व में मूल्यों का संकट, पहचान का भ्रम और सांस्कृतिक विखंडन दिखाई देता है, ऐसे दौर में
विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार एक दूरदर्शी पहल के रूप में सामने आ रहा है। यहां न केवल
धार्मिक अनुष्ठान होंगे, बल्कि सनातन दर्शन, राष्ट्रचेतना और वैश्विक मानवीय मूल्यों को आधार बनाकर
समग्र विचार-विमर्श और नीतिगत दिशा तय की जाएगी। यही कारण है कि हरिद्वार में बनने वाला
यह विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार शुरुआत से ही देश और दुनिया के संतों, विद्वानों और
धर्माचार्यों का केंद्र बिंदु बनता दिख रहा है।
वैदिक और आधुनिकता का संगम बनेगा विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार
इस विराट परियोजना के केंद्र में एक ऐसा गुरुकुल है, जो परंपरागत पाठशालाओं से बिल्कुल अलग और
अधिक व्यापक सोच के साथ तैयार किया जा रहा है। विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार के अंतर्गत
स्थापित होने वाला यह आवासीय वैदिक–आधुनिक गुरुकुल विद्यार्थियों को धर्म, विज्ञान और जीवन कौशल –
तीनों मोर्चों पर सक्षम बनाने का लक्ष्य लिए हुए है। यहां बालक–बालिकाओं को वैदिक शिक्षा के साथ-साथ
आधुनिक विज्ञान, प्रौद्योगिकी, स्वरोजगार आधारित प्रशिक्षण और शस्त्र-प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
गुरुकुल की पूरी संरचना जीवन के चार पुरुषार्थ – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष – की व्यावहारिक समझ पर
आधारित होगी। विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार का यही गुरुकुल आने वाले समय के ऐसे युवाओं को
तैयार करेगा, जो केवल डिग्रीधारी नहीं, बल्कि चरित्रवान, अनुशासित और राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानने वाले
आदर्श नागरिक बन सकें। इनसे भविष्य के आचार्य, गुरु, योगाचार्य, कर्मयोगी और राष्ट्रनिर्माता निकलेंगे,
जो भारतीय ज्ञान परंपरा को नए वैश्विक संदर्भ में पुनः प्रतिष्ठित करेंगे।
विश्व का पहला सनातन संसद भवन: हरिद्वार से उठेगी धर्मादेश की आवाज
विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार का सबसे अनूठा और आकर्षक आयाम है – विश्व का पहला
सनातन संसद भवन। यह भवन केवल एक सभा स्थल नहीं होगा, बल्कि
धर्म, नीति, संस्कृति और मानवीय मूल्यों पर वैश्विक विमर्श का मंच बनेगा। यहां विश्व के साधु-संत,
आचार्य, धर्माचार्य, कथावाचक, वैदिक विद्वान और विभिन्न पंथों के प्रतिनिधि एकत्र होकर सनातन
विश्वदृष्टि के अनुरूप धर्मादेश, सिद्धांत और नीति-निर्णय करेंगे।
यह सनातन संसद भवन आगे चलकर विश्व सनातन एकता और पुनरुत्थान का मुख्यालय बनने की दृष्टि से
आकांक्षित है। हरिद्वार स्थित विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार से नियुक्त होने वाले
‘सनातन सांसद’ समय-समय पर ऐसे धर्मादेश पारित करेंगे, जिनका उद्देश्य किसी पर वर्चस्व स्थापित करना
नहीं, बल्कि मानवता के लिए मार्गदर्शन और समन्वय देना होगा। इस प्रकार यह परियोजना भारतीय
लोकतांत्रिक परंपरा और आध्यात्मिक संवाद संस्कृति के अनूठे मेल का भी प्रतीक होगी।
हर साल तैयार होंगे एक लाख धर्म योद्धा
आज के समय में जब सांस्कृतिक आक्रमण, विचारधारा आधारित संघर्ष और सूचनात्मक युद्ध अपने चरम पर हैं,
तब विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार धर्म रक्षा की एक नई, संगठित और अनुशासित सोच सामने रखता है।
महापीठ परिसर में स्वरोजगार एवं शस्त्र प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं, जहां प्रतिवर्ष करीब
एक लाख युवक-युवतियां ‘धर्म योद्धा’ के रूप में प्रशिक्षित किए जाने का लक्ष्य है।
इन धर्म योद्धाओं को शस्त्र-कला, आत्मरक्षा, अनुशासन, मानसिक सशक्तिकरण और राष्ट्रसुरक्षा के
विस्तृत आयामों पर प्रशिक्षित किया जाएगा। अवधारणा यह है कि विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार
के ये युवा शांति, सेवा और सजगता के प्रतीक बनें, जो किसी भी आवश्यकता पड़ने पर सीमा पर सेना के साथ
सहयोग कर सकें, आपदा प्रबंधन में हिस्सा ले सकें और आंतरिक स्तर पर समाज में सनातन मूल्यों की रक्षा में
प्रमुख भूमिका निभा सकें।
चारों शंकराचार्य पीठों से प्रेरित परिसर
महापीठ की एक और महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यहां देश की चारों प्रमुख शंकराचार्य पीठों –
द्वारका, पुरी, श्रृंगेरी और ज्योतिर्मठ – के नाम पर प्रेरणा परिसर विकसित किए जाएंगे।
विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार के इन प्रेरणा परिसरों में प्रत्येक पीठ की आध्यात्मिक परंपरा,
आचार्यों की जीवन गाथा, उनके उपदेश और सनातन दर्शन में उनके योगदान को विस्तार से प्रदर्शित किया जाएगा।
इससे एक ओर जहां साधारण श्रद्धालु को भी भारत की अद्वितीय अद्वैत, विशिष्टाद्वैत और अन्य वेदांत परंपराओं
की सहज जानकारी मिलेगी, वहीं दूसरी ओर विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार सनातन की एकात्मता और
विविधता का जीवंत उदाहरण बनकर उभरेगा। यहां आने वाला हर व्यक्ति यह अनुभव कर सकेगा कि भिन्न परंपराएं,
मठ और परंपरागत व्यवस्थाएं अंततः एक ही सनातन सत्य की ओर संकेत करती हैं।
अखाड़ों, संप्रदायों और सनातन परंपराओं का एकीकृत केंद्र
भारत की आध्यात्मिक धारा केवल एक संप्रदाय या परंपरा तक सीमित नहीं रही है। नागा परंपरा से लेकर
सिख, जैन, बौद्ध, आर्य समाज, रविदास, कबीर, नाथ और अनेक धाराएं सनातन की व्यापक छाया में विकसित होती रही हैं।
विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार में तेरहों अखाड़ों सहित इन सभी परंपराओं के लिए अलग उद्देश्य
परिसर तैयार किए जा रहे हैं, जहां उनके गुरुओं की प्रतिमाएं, शिक्षाएं और ऐतिहासिक योगदान प्रदर्शित होंगे।
यह अभिनव प्रयास इस बात का जीवंत साक्ष्य होगा कि सनातन परंपरा मूलतः समावेशी, संवादप्रिय और
मानवतावादी है। जब हरिद्वार स्थित विश्व सनातन महापीठ में एक ही परिसर के भीतर
इतनी विविध आध्यात्मिक धाराएं अपना स्थान पाएंगी, तो यह आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देगा कि
वास्तविक सनातन भाव पूरे मानव समाज को एक परिवार मानकर चलने की प्रेरणा देता है।
108 यज्ञशालाएं, संत आवास और 1008 तीर्थयात्री आवास
इस विराट परियोजना की भौतिक संरचना भी उतनी ही प्रभावशाली है।
विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार में 108 यज्ञशालाओं का निर्माण प्रस्तावित है, जहां नियमित रूप से
वैदिक अनुष्ठान, यज्ञ और विभिन्न धार्मिक कर्मकांड संपन्न होंगे। इन यज्ञशालाओं के माध्यम से न केवल
धार्मिक विधि-विधान संरक्षित होंगे, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, सामूहिक प्रार्थना और सकारात्मक ऊर्जा के
प्रसार का भी कार्य होगा।
इसी प्रकार 108 संत आवासीय कुटियों का निर्माण भी योजनाबद्ध है, जहां देश-विदेश से आने वाले संत-महात्मा
आधुनिक सुविधाओं से युक्त वातावरण में निवास कर सकेंगे। तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए
विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार में 1008 तीर्थयात्री एवं भक्त आवास तैयार किए जा रहे हैं,
ताकि हर श्रद्घालु को सुरक्षित, स्वच्छ और गरिमामय ठहराव मिल सके। इससे हरिद्वार में धार्मिक पर्यटन
और आध्यात्मिक अध्ययन दोनों को नया आयाम मिलेगा।
भारत की आत्मा को पुनः विश्व के केंद्र में प्रतिष्ठित करने की पहल
एक व्यापक दृष्टि से देखें तो विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार केवल हरिद्वार या उत्तराखंड की
परियोजना नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक आत्मा को पुनः विश्व के केंद्र में स्थापित करने का
सजग प्रयास है। जब यहां से सनातन संसद के माध्यम से धार्मिक–सांस्कृतिक दिशा तय होगी, जब गुरुकुल से
चरित्रवान और ज्ञानवान युवा निकलेंगे, जब अखाड़ों और विविध परंपराओं का एकीकृत दर्शन दुनिया के सामने
आएगा, तब निस्संदेह हरिद्वार स्थित यह विश्व सनातन महापीठ वैश्विक स्तर पर एक
प्रेरणास्थल बन जाएगा।
आर्थिक दृष्टि से भी यह परियोजना स्थानीय रोजगार, कौशल विकास, धार्मिक पर्यटन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों
और शोध-अध्ययन केंद्रों की स्थापना के माध्यम से पूरे क्षेत्र के लिए विकास का बड़ा अवसर लेकर आएगी।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार आधुनिक तकनीक और पारंपरिक
आध्यात्मिकता – दोनों का संतुलित समन्वय प्रस्तुत करेगा, जिससे भविष्य की पीढ़ियां अपनी जड़ों से जुड़े
रहते हुए भी विश्व के साथ कदम मिलाकर चल सकें।
विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल-जवाब
प्रश्न 1: विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार कहां और कितने क्षेत्र में बनाया जा रहा है?
उत्तर: विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार, उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के भूपतवाला क्षेत्र में
लगभग 100 एकड़ भूमि पर विकसित किया जा रहा है। यह पूरा परिसर चरणबद्ध तरीके से निर्मित होगा,
जिसमें गुरुकुल, सनातन संसद भवन, प्रेरणा परिसर, यज्ञशालाएं, संत आवास और तीर्थयात्री आवास शामिल हैं।
प्रश्न 2: विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार परियोजना की अनुमानित लागत कितनी है?
उत्तर: विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार की अनुमानित परियोजना लागत लगभग 1000 करोड़ रुपये
रखी गई है। यह राशि चरणबद्ध निर्माण, अधोसंरचना विकास, शिक्षा-संस्थानों, यज्ञशालाओं, आवासीय परिसरों
और अन्य सुविधाओं पर व्यय की जाएगी।
प्रश्न 3: विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार में गुरुकुल की विशेषता क्या होगी?
उत्तर: यहां स्थापित गुरुकुल वैदिक और आधुनिक शिक्षा का अनूठा संगम होगा।
विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार के इस गुरुकुल में छात्रों को वैदिक ज्ञान, आधुनिक विज्ञान,
स्वरोजगार प्रशिक्षण, शस्त्र-प्रशिक्षण और जीवन मूल्यों की व्यावहारिक शिक्षा दी जाएगी,
ताकि वे चरित्रवान और राष्ट्रनिर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने वाले नागरिक बन सकें।
प्रश्न 4: विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार में बनने वाला सनातन संसद भवन किस उद्देश्य से होगा?
उत्तर: विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार में प्रस्तावित सनातन संसद भवन धर्म, नीति और
संस्कृति से जुड़े वैश्विक विमर्श का केंद्र होगा। यहां विश्व के संत, आचार्य और विभिन्न पंथों के
प्रतिनिधि मिलकर सनातन मूल्यों पर आधारित धर्मादेश और नीति-सुझाव तैयार करेंगे, जिससे मानवता के लिए
मार्गदर्शन का काम हो सके।
प्रश्न 5: क्या आम श्रद्धालु भी विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार में दर्शन और प्रवास कर सकेगा?
उत्तर: जी हां, विश्व सनातन महापीठ हरिद्वार में 1008 तीर्थयात्री एवं भक्त आवास बनाए जा रहे हैं,
जहां देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु सुरक्षित और सुविधाजनक वातावरण में ठहर सकेंगे। साथ ही,
वे गुरुकुल, प्रेरणा परिसर, यज्ञशालाओं और सनातन संसद भवन के दर्शन-भ्रमण के माध्यम से सनातन परंपरा
को निकट से अनुभव कर सकेंगे।






