रेप, गर्भपात और फिर तय हुई इज्जत की कीमत… पंचायत के फैसले ने सबको सन्न कर दिया





रेप, गर्भपात और फिर तय हुई इज्जत की कीमत… पंचायत के फैसले ने सबको सन्न कर दिया

अब्दुल मोबीन सिद्दिकी की रिपोर्ट

Red and Blue Geometric Patterns Medical Facebook Post_20251110_094656_0000
previous arrow
next arrow

उत्तर प्रदेश का बदायूं नाबालिग दुष्कर्म मामला अब केवल एक आपराधिक घटना नहीं रह गया है, बल्कि यह ग्रामीण समाज की उस कड़वी सच्चाई को सामने लाता है जहाँ पंचायतें ‘इज्जत’ की आड़ में अपराधों का सौदा कर देती हैं। 14 वर्षीय बच्ची से महीनों तक रेप, वीडियो बनाकर धमकी, अवैध गर्भपात और फिर पंचायत द्वारा ‘कीमत’ तय करने की कहानी ने पूरे प्रदेश को हिला दिया है।

यह बदायूं नाबालिग दुष्कर्म मामला इसलिए भी अधिक भयावह है क्योंकि इसमें आरोपी, पंचायत के दबंग सदस्य, झोलाछाप डॉक्टर और गांव के कुछ प्रभावशाली लोग मिलकर एक मासूम की पीड़ा को मिट्टी में मिलाने की कोशिश करते रहे। लेकिन अंततः पीड़िता की हिम्मत और उसके पिता की शिकायत ने पूरे षड्यंत्र को उजागर कर दिया।


कैसे शुरू हुआ बदायूं नाबालिग दुष्कर्म मामला?

पीड़िता के पिता के अनुसार, गांव के ही सोमवीर उर्फ भोला (35) ने किसी बहाने से लड़की को अपने घर बुलाया और उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया। वहीं से बदायूं नाबालिग दुष्कर्म मामले की भयावह शुरुआत हुई। आरोपी ने इस दौरान वीडियो बना लिया और उसे वायरल करने की धमकी देकर बच्ची का लगभग पांच महीने तक लगातार शारीरिक शोषण करता रहा।

इसे भी पढें  तेजस्वी के भरोसेमंद रमीज़ ख़ान पर सवालों की बौछार—बलरामपुर से पटना तक कैसी है असली पृष्ठभूमि?

जब बच्ची की तबीयत बिगड़ने लगी और वह मानसिक रूप से टूटने लगी, तब घरवालों ने उससे पूछताछ की। सच सामने आने पर परिवार के पैरों तले जमीन खिसक गई। 19 सितंबर को बिसौली में हुए अल्ट्रासाउंड में पुष्टि हुई कि पीड़िता पांच महीने की गर्भवती है — और तभी बदायूं नाबालिग दुष्कर्म मामला पूरी तरह खुलकर सामने आया।


गांव की पंचायत ने दिया गैरकानूनी और अमानवीय फैसला

इस बदायूं नाबालिग दुष्कर्म मामले की सबसे चौंकाने वाली परत तब सामने आई जब पीड़िता के परिवार ने न्याय की उम्मीद में पंचायत के सामने मामला रखा। लेकिन पंचायत ने न्याय तो दूर, पीड़ित परिवार को ही धमकाना शुरू कर दिया।

पीड़िता के पिता ने बताया कि पंचायत ने उन्हें कहा—
“अगर मामला आगे बढ़ाओगे, तो गांव में नहीं रहने दिया जाएगा।”

इसके बाद पंचायत ने आरोपी पक्ष से 3.40 लाख रुपये वसूल कर अपनी ओर से ‘समझौते’ का फैसला सुना दिया। पंचायत ने कहा कि लड़की का गर्भपात करवाया जाएगा और बाद में ‘उचित जगह’ उसकी शादी भी कराई जाएगी। यह सुनकर पूरा गांव सन्न रह गया, लेकिन दबंगई के आगे कोई आवाज़ नहीं उठा सका।

यही क्षण था जब बदायूं नाबालिग दुष्कर्म मामला एक भयानक अपराध से बढ़कर एक सामाजिक त्रासदी में बदल गया।


अवैध गर्भपात—कानून और इंसानियत दोनों को कुचलता कदम

पंचायत के फैसले के बाद आरोपी पक्ष और पंचायत के सदस्य पीड़िता को बगरैन कस्बे के एक निजी क्लिनिक ले गए। वहां एक झोलाछाप डॉक्टर ने अपराधियों के कहने पर अवैध रूप से गर्भपात किया।

इसे भी पढें  नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर चित्रकूट : बुन्देलखण्ड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में 150 मरीजों को मिली निःशुल्क चिकित्सा सेवा

बदायूं नाबालिग दुष्कर्म मामले में इस अवैध गर्भपात की पुष्टि होते ही पुलिस ने डॉक्टर को भी आरोपी बनाया है। गर्भपात के बाद बच्ची की हालत और बिगड़ गई और उसे मानसिक आघात का सामना करना पड़ा।

यह अवैध चिकित्सा न केवल कानूनन अपराध है, बल्कि यह बच्ची के अस्तित्व और सम्मान दोनों पर कुठाराघात है।


एफआईआर दर्ज—छह आरोपी नामजद, बदायूं नाबालिग दुष्कर्म मामले की जांच तेज

पीड़िता के पिता ने 17 नवंबर को बिसौली कोतवाली में शिकायत देकर पूरा सच सामने रखा। इसके बाद SSP के निर्देश पर पुलिस ने छह लोगों को आरोपी बनाया—

  • मुख्य आरोपी सोमवीर उर्फ भोला
  • पंचायत के सदस्य
  • आरोपी के परिजन
  • अवैध गर्भपात करने वाला झोलाछाप डॉक्टर

POCSO Act, IPC की गंभीर धाराएँ, मेडिकल टर्मिनेशन एक्ट और अन्य प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस आरोपी की तलाश में लगातार छापेमारी कर रही है।

सूत्रों के अनुसार, बदायूं नाबालिग दुष्कर्म मामला अब जिला प्रशासन से होते हुए प्रदेश स्तर तक पहुंच गया है, और जल्द बड़ी कार्रवाई की उम्मीद है।


कानून और समाज दोनों के लिए बड़ा सवाल—इज्जत की कीमत कौन तय करेगा?

यह बदायूं नाबालिग दुष्कर्म मामला एक गहरी सामाजिक बीमारी की ओर इशारा करता है, जहाँ पंचायतें कानून से ऊपर खुद को समझने लगी हैं।

इसे भी पढें  कंतारा ए लीजेंड : भारतीय सिनेमा की अद्वितीय धरोहर, संस्कृति, प्रकृति, संघर्ष और कच्ची भावनाओं का एक आकर्षक मिश्रण

क्या किसी पंचायत को यह अधिकार है कि वह एक नाबालिग की जिंदगी और उसकी इज्जत का ‘भाव’ तय करे?
क्या कोई अपराध पैसे देकर खत्म हो सकता है?
क्या किसी बच्ची का गर्भपात करवा देना न्याय है?

इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब तक समाज और सिस्टम मिलकर ऐसे अपराधों के खिलाफ कठोर रुख नहीं अपनाएंगे, तब तक बदायूं नाबालिग दुष्कर्म मामले जैसे उदाहरण सामने आते रहेंगे।


पीड़िता की सुरक्षा और न्याय—अब सबसे बड़ी प्राथमिकता

फिलहाल पीड़िता को काउंसलिंग, सुरक्षा और मेडिकल सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। जिला प्रशासन ने भी मामले की निगरानी तेज कर दी है।

यह बदायूं नाबालिग दुष्कर्म मामला केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है कि नाबालिगों की सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करना सभी की जिम्मेदारी है।


क्लिक कर उत्तर देखें (FAQ)

बदायूं नाबालिग दुष्कर्म मामला पहली बार कैसे सामने आया?

जब 14 वर्षीय बच्ची की तबीयत बिगड़ी और अल्ट्रासाउंड में गर्भ की पुष्टि हुई, तब पूरा मामला खुला।

इस केस में कितने आरोपी नामजद हैं?

कुल छह आरोपी—मुख्य आरोपी, पंचायत सदस्य, आरोपी के परिजन और झोलाछाप डॉक्टर।

क्या पंचायत ने वाकई पैसा वसूला?

हाँ, पंचायत ने आरोपी पक्ष से 3.40 लाख रुपये वसूले और समझौता करने की कोशिश की।

क्या अवैध गर्भपात की पुष्टि हुई?

हाँ, पीड़िता का गर्भपात बगरैन कस्बे के एक निजी अस्पताल में कराया गया।


Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Language »
Scroll to Top